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छुअन

>> Sunday, December 13, 2009


स्मृति की मञ्जूषा से

एक और पन्ना

निकल आया है

लिए हाथ में

पढ़ गयी हूँ विस्मृत

सी हुई मैं ।


आँखों की लुनाई

छिपी नहीं थी

तुम्हारा वो एकटक देखना

सिहरा सा देता था मुझे

और मैं अक्सर

नज़रें चुरा लेती थी ।


प्रातः बेला में

बगीचे में घूमते हुए

तोड़ ही तो लिया था

एक पीला गुलाब मैंने ।

और ज्यों ही

केशों में टांकने के लिए

हाथ पीछे किया

कि थाम लिया था

गुलाब तुमने

और कहा कि

फूल क्या खुद

लगाये जाते हैं वेणी में ?

लाओ मैं लगा दूँ

मेरा हाथ

लरज कर रह गया था।

और तुमने

फूल लगाते लगाते ही

जड़ दिया था

एक चुम्बन

मेरी ग्रीवा पर ।

आज भी गर्दन पर

तुम्हारे लबों की

छुअन का एहसास है.

22 comments:

shikha varshney 12/13/2009 2:19 AM  

tipiyane baad main aati hoon :)

Udan Tashtari 12/13/2009 5:43 AM  

बहुत कोमल भाव!!

Apanatva 12/13/2009 6:52 AM  

dil se jude pal hamesha sath rahate hai . aap kuredengee to khajana hee hath aaega . bahut hee lubhavanee rachana .

परमजीत सिहँ बाली 12/13/2009 11:49 AM  

बहुत सुन्दर भाव!!!

अनामिका की सदायें ...... 12/13/2009 1:24 PM  

kuch ehsaas bhoole nahi bhoolte...aur yahi ve ehsaas hote hai jinki umr lambi hone ke sath sath hamare kathor palo ko sehla jate hai...

bahut khoobsurat shabdo se ehsaso ko pirone ki kala me aap mahir hai..iske liye ek hi shabd hai mere paas. 'hatts off'.

thanks to share it.aage bhi intzar rahega

रश्मि प्रभा... 12/13/2009 2:10 PM  

कुछ एहसास अनछुए से होते हैं, सिहरन लिए, बोलते हुए..........
ऐसा ही लगा

Pramod Kumar Kush 'tanha' 12/13/2009 4:40 PM  

saadgii mein kuchh khaas hai jo abhivyakt ho rahaa hai...

vandana gupta 12/13/2009 5:40 PM  

kuch ahsaas aise hi hote hain.........komal siharte se.

दिगम्बर नासवा 12/13/2009 7:52 PM  

प्रेम के मधुर एहसास से भरी ........ खुश्बू की तरह तन में समाई लाजवाब रचना ......... दिल को छूते हुवे .........

shikha varshney 12/15/2009 8:11 PM  

हम्म आ गई मैं.....बहुत बहुत कोमल एहसासों वाली छुई मुई सी रचना है दी. पढ़कर बस मुस्कराहट आ जाती है चेहरे पर.ऐसा ही प्यार भरा लिखती रहो.समस्त शुभकामनाएं.

संजय भास्‍कर 12/18/2009 1:48 PM  

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Unknown 2/25/2021 10:24 PM  

वाह !! बेहद खूबसूरत एहसास से ओतप्रोत छुअन ☺️

Rohitas Ghorela 3/05/2021 9:33 AM  

प्यार प्यार और बस प्यार।
उम्दा।

गुजरे वक़्त में से...

प्रवीण पाण्डेय 3/05/2021 1:29 PM  

सहसा १२ साल बाद पढ़कर अपने ब्लाग भी याद आ गये।

प्रतिभा सक्सेना 3/05/2021 9:30 PM  

संगीताजी,अब ब्लागिंग पर बनी रहिये.

रेणु 3/05/2021 10:36 PM  

भावपूर्ण और अनुराग भरी रचना!!

सदा 3/06/2021 6:29 AM  

स्मृतियों के आँगन से चुनी हुई शानदार अभिव्यक्ति ... स्वागत आपका 💐💐

उषा किरण 3/06/2021 10:39 PM  

बेहद कोमल भावों को समेटे गुलाब सी महकती प्रेम के अहसास में लिपटी, नाजुक सी रचना...बहुत खूब👌👌

रेणु 10/08/2022 11:56 PM  

अंतरंग भावों की मनोरम और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।👌👌👌🙏

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