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स्याह चादर

>> Thursday, March 29, 2012





कहते हैं वक़्त 
किसी का इंतज़ार 
नहीं करता 
चलता रहता है 
अनवरत ,
और 
हमारी ज़िंदगी भी
चलती रहती है 
पल - पल ,
बीतते वक़्त के साथ 
बीत जाते हैं 
हम भी ,
पर न जाने क्यों 
कभी - कभी 
ठिठक के 
खड़ी हो जाती है 
ज़िंदगी ,
और हम 
अटक जाते हैं 
कि
ऐसा क्यों हुआ ?
ऐसा होना चाहिए था 
आगे बढ्ने के बजाए 
पीछे भागता है मन 
और हम 
आने वाली खुशियों को 
अनदेखा कर 
ओढ़ लेते हैं 
उदासी और 
डाल देते हैं 
एक स्याह  चादर 
अपनी ज़िंदगी पर ।

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बोन्साई

>> Thursday, March 8, 2012


बोन्साई का सा 
जीवन होता है 
लड़कियों का ,
अंकुरित हो 
जैसे ही निकलता है 
नन्हा सा पौधा 
मिलती है उसको 
खिली हुई धूप 
पर पल्लव निकलते ही 
रख दिया जाता है 
छांव में, 
काट - छांट 
रखना होता है 
उनको सही 
आकार में ,
माता  - पिता ही 
नहीं देते उनको 
खिली धूप ,
रखते हैं  
अपनी निगरानी में 
कतरते रहते हैं 
उनकी ख़्वाहिशों की 
टहनियों को ,
और सजा देते हैं 
किसी और की ज़िंदगी में 
यह सोच कर कि
होगी पूरी देख भाल 
लोग करेंगे सराहना 
इस सुंदर बोन्साई की ,
लेकिन जब 
नहीं मिलता 
उचित खाद पानी 
और उसके हिस्से की 
थोड़ी सी धूप 
तो उपेक्षित हो 
खो देता है अपना 
सारा सौंदर्य 
और हो जाता है 
निष्प्राण सा ।


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हमारी वाणी

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