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मौन की साधना

>> Sunday, February 14, 2021



मौन की तलाश में 


मैं मौन हूँ ,


ढूँढती रहती हूँ मै


मौन को अपने अन्दर
लेकिन उठता रहता है 
मन में एक बवंडर 
साँस की ताल पर 
बाँधती हूँ मौन की लय 
ज़िन्दगी के तार कर देते 
सारी सोच का विलय 
बन्द आंखों से फिर 
एक भीड़ नज़र आती है 
और मेरी नज़र खुद को ही 
ढूँढती रह जाती है ।
थक हार फिर से मैं 
साँस की सरगम पकड़ती हूँ
शांत मन से फिर मौन का 
अनुसरण  करती हूँ । 
थोड़ी देर मौन मेरे साथ 
वक़्त बिताता है कि,
कोलाहल का रेला 
फिर से चला आता है ।
बस इसी जद्दोजहद में 
बीत रही है ज़िन्दगी 
मौन को साधना ही 
बन गयी  है बंदगी । 







19 comments:

A rai 2/14/2021 12:24 PM  

मौनी अमावस्या तो गुजर गई दी,अब बोलिये।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 2/14/2021 4:19 PM  

सार्थक प्रस्तुति।
आपको ब्लॉग पर पुनः सक्रिय देखकर अच्छा लगा।

Ravindra Singh Yadav 2/14/2021 11:37 PM  

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) 2/14/2021 11:47 PM  

शुक्रिया रविन्द्र सिंह यादव जी

Dr Varsha Singh 2/14/2021 11:52 PM  

सदैव की भांति उत्कृष्ट रचना... साधुवाद आदरणीया 🙏

Dr (Miss) Sharad Singh 2/15/2021 1:39 AM  

मौन की तलाश में
मैं मौन हूँ ,
ढूँढती रहती हूँ मै
मौन को अपने अन्दर
लेकिन उठता रहता है
मन में एक बवंडर

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति 🌹🙏🌹
-------

एक अरसे बाद पुनः आपको पाकर सुखद लगा 💐🙏💐

जिज्ञासा सिंह 2/15/2021 8:46 AM  

बहुत बहुत सुन्दर आदरणीय दीदी, सत्यता से परिचय कराती आपकी सुन्दर कविता मन मोह गई..मैंने भी 12.2 को "मौन से साक्षात्कार" नाम से एक कविता पोस्ट की है, कृपया समय मिले तो ब्लॉग पर पधारें...आपके मार्गदर्शन की अभिलाषा में जिज्ञासा सिंह..

Meena Bhardwaj 2/15/2021 9:26 AM  

मौन की साधना.. मन्त्रमुग्ध हूँ आपकी भावाभिव्यक्ति पढ़ कर।
अत्यंत सुन्दर सृजन।

जितेन्द्र माथुर 2/15/2021 10:31 AM  

मौन की ही साधना बन गई है बंदगी । बहुत कम लोग हैं जो मौन का मूल्य समझते है । मुझे आपकी कविता बहुत पसंद आई संगीता जी । बहुत-बहुत अभिनंदन आपका ।

आलोक सिन्हा 2/15/2021 3:10 PM  

बहुत बहुत सुन्दर

Shakuntla 2/15/2021 4:55 PM  

अतिसुंदर रचना

Meena sharma 2/15/2021 5:25 PM  

बहुत सुंदर रचना। मौन अंतर्मुख बनाकर स्वयं से साक्षात्कार कराता है।

अनीता सैनी 2/15/2021 9:29 PM  

बहुत ही सुंदर सृजन।

दिगम्बर नासवा 2/15/2021 9:44 PM  

मौन की साधना और उसकी कल्पना एक सादना जैसे ...
सुन्दर सृजन ...

Anita 2/16/2021 3:10 PM  

मौन की साधना का आरंभ ही उसकी मंजिल की खबर देता है

Amrita Tanmay 2/17/2021 2:01 PM  

बस .... मौन ।

सदा 2/22/2021 5:29 PM  

मौन को साधना ही
बन गयी है बंदगी ।
.... क्या कहने 👌👌
शानदार

shikha varshney 2/22/2021 9:36 PM  

जब मौन प्रखर हो व्यक्त हुआ...

ज्योति सिंह 2/25/2021 8:17 AM  

लाजवाब, बेहतरीन रचना संगीता जी , आप दोनों को ढेरों बधाई नमस्कार

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