tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post3095216574318105154..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: अवचेतन मन की चेतनासंगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-90651860033322617222010-03-07T18:00:33.512+05:302010-03-07T18:00:33.512+05:30न खौफ है
न कोई मजबूरी है
अलबत्ता, इस जहान का
...न खौफ है<br />न कोई मजबूरी है<br />अलबत्ता, इस जहान का<br />दर्द पीने को<br />मेरे हृदय का दरक जाना जरूरी है।<br />तदात्मानं सृजाम्यहम्https://www.blogger.com/profile/17998161682045005502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-54901105500728324522010-03-07T00:46:58.675+05:302010-03-07T00:46:58.675+05:30कुछ पंक्तीया आपकी पंक्तियो पर ...
टूट टूट कर बिख...कुछ पंक्तीया आपकी पंक्तियो पर ...<br /><br />टूट टूट कर बिखर गयी<br />और हर कण, कण में समा गया<br />फिर भी कोई मुझ पर<br />बेगैरत की तोहमत लगा गया<br /><br />- जिसके लिए टूट कर बिखरे<br /> शायद वो इस काबिल ना था..<br /> बेगैरत तुम्हे कहने वाला <br /> खुद भी तो बे-इन्तेहा सुल्गा होगा .<br /><br />अब मैं तपती रेत बनी<br />खुद को झुलसाती रहती हूँ<br />शबनम की बूंदों को भी<br />धुआँ बनाती रहती हूँ<br /><br />- तपती रेत में खुद को झुल्साने से<br /> क्या होगा हासिल <br /> शबनम की बूंदों को धुआँ बनाने से <br /> ना वज़ूद की तळाश पायेगी मंजिल <br /><br />कुछ था जो मन में दरक गया<br />पल - पल का एहसास गया<br />अब खाली हाथ खड़ी हूँ मैं<br />वक़्त हाथ से निकल गया<br /><br />- आने वाली दरारो को <br /> ना जगह दो मन की दिवारो में <br /> वक्त बहुत निष्ठुर है <br /> बेहतर है वक्त को बदल लो खुशियो में.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-10387591068270894392010-03-06T21:11:44.054+05:302010-03-06T21:11:44.054+05:30जो मन में
दरक गया
पल - पल का
एहसास गया
...जो मन में <br /><br /><br />दरक गया <br /><br /><br />पल - पल का <br /><br /><br />एहसास गया <br /><br /><br />अब खाली हाथ <br /><br /><br />खड़ी हूँ मैं <br /><br /><br />वक़्त हाथ से <br /><br /><br />निकल गया...<br /><br />बहुत सार्थक और खूबसूरत अभिव्यक्ति.... के साथ सुंदर कविता.... कल आपकी यह कविता मैंने पॉडकास्ट में गा कर सुनाई थी.... <br /><br />बहुत अच्छी लगी यह कविता....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-36071273300032856302010-03-06T18:35:45.895+05:302010-03-06T18:35:45.895+05:30दिल को छुने वाली रचना!!!!!!!!!!
बहुत अच्छा लगा पढ़...दिल को छुने वाली रचना!!!!!!!!!!<br />बहुत अच्छा लगा पढ़कर.........<br />आदर सहित-<br />रोहितरोहितhttps://www.blogger.com/profile/15505244446493519414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-50902917805227399282010-03-06T17:18:33.932+05:302010-03-06T17:18:33.932+05:30खुद के
वजूद की तलाश में
एक आग
सुलगती रहती है
...खुद के <br />वजूद की तलाश में <br />एक आग <br />सुलगती रहती है <br /><br />वैसे तो ये आग सुलगती रहनी चाहिए ... खुद की तलाश नियंतर चलनी चाहिए ...<br />अच्छा लिखा है बहुत ही ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-64986025354177703732010-03-06T14:16:33.566+05:302010-03-06T14:16:33.566+05:30वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिल्कुल सही कहा है आप...वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिल्कुल सही कहा है आपने! बेहद पसंद आया आपकी ये भावपूर्ण रचना!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-54637838224955780812010-03-06T09:36:53.721+05:302010-03-06T09:36:53.721+05:30अंतर्मन की पीड़ा का सुन्दर और भावभीना अंकन. अद्भुत...अंतर्मन की पीड़ा का सुन्दर और भावभीना अंकन. अद्भुत !किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-29672430923539828262010-03-06T00:14:19.854+05:302010-03-06T00:14:19.854+05:30मन के आन्तरिक द्वन्द और उसकी पीड़ा का इतना सुन्दर ...मन के आन्तरिक द्वन्द और उसकी पीड़ा का इतना सुन्दर शब्दों में चित्रण बहुत अच्छा लगा ...इस रचना के लिए आपको धन्यवाद !!रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-4126000164624875932010-03-05T23:32:57.035+05:302010-03-05T23:32:57.035+05:30Bahut khoob,ati sundar rachna,shabdo ka adbhut san...Bahut khoob,ati sundar rachna,shabdo ka adbhut sangam.<br /><br />VIKAS PANDEY <br /><br />www.vicharokadarpan.blogspot.comUnknownhttps://www.blogger.com/profile/06516338373384117812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-17081996839294721902010-03-05T22:49:59.943+05:302010-03-05T22:49:59.943+05:30कुछ था
जो मन में
दरक गया
पल - पल का
एहसास गया
बड़ी...कुछ था<br />जो मन में<br />दरक गया<br />पल - पल का<br />एहसास गया<br />बड़ी मार्मिक अभिव्यक्ति है...इतने अच्छे से बयाँ किया है,मन की बेबसी को...हमेशा की तरह भावप्रवण अभिव्यक्तिrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-91589989073713565792010-03-05T21:42:38.401+05:302010-03-05T21:42:38.401+05:30Great expression of subconscious mindGreat expression of subconscious mindjayanti jainhttp://uthojago.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-32795904767492423272010-03-05T21:00:26.756+05:302010-03-05T21:00:26.756+05:30NISHABD KAR DIYA AAJ TO.NISHABD KAR DIYA AAJ TO.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-91904966948886688632010-03-05T20:29:31.084+05:302010-03-05T20:29:31.084+05:30are! lagata hai pichalee kavita ko aur aage badaya...are! lagata hai pichalee kavita ko aur aage badaya hai <br />jaise agalee kadee ho.<br /><br /><br />bahut dard samete hai apane astitv me ye kavita.<br /><br />dil ko choo gayee gahraee tak.Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-37346097810785659122010-03-05T20:05:05.356+05:302010-03-05T20:05:05.356+05:30दी ! मैं निशब्द हूँ ...मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपक...दी ! मैं निशब्द हूँ ...मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपके पैर छूँ या आपकी कलम को माथे से लगा लूं..एक ही सांस में न जाने कितनी बार पढ़ गई मैं इसे .लग रहा है जैसे मेरा ही मन निकल कर रख दिया हो.किस किस चीज़ का जिक्र करूँ...शैली का...भाव का..या शब्द संयोजन का...न बाबा इस पर कुछ भी नहीं कहा जायेगा मुझसे..<br />.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-17698177490309378402010-03-05T20:02:10.051+05:302010-03-05T20:02:10.051+05:30पिछली पोस्ट का शबनम अचानक ...
तपती रेत बनी
खुद को...पिछली पोस्ट का शबनम अचानक ...<br />तपती रेत बनी <br />खुद को <br />झुलसाती रहती हूँ <br />शबनम की बूंदों को भी <br />धुआँ बनाती रहती हूँ <br />इतना परिवर्तन ...? अत्माभिव्यक्ति की अनूठी मिसाल!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-69571395922790115512010-03-05T19:59:27.515+05:302010-03-05T19:59:27.515+05:30"भाव बहुत अच्छे हैं पर आपने कुछ चिरपरिचित शब्..."भाव बहुत अच्छे हैं पर आपने कुछ चिरपरिचित शब्दों का उपयोग किया है जैसे दरक । पर क्या करें कुछ शब्द होते ही इतने अच्छे हैं कि उन पर जी ललचा जाता है, अच्छा लिखा है आपने..........और गुज़्ररती रंगापंचमी की शुभकामनाएँ.........."<br />प्रणव सक्सैना<br />amitraghat.blogspot.comAmitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-61125584142195664222010-03-05T19:44:13.211+05:302010-03-05T19:44:13.211+05:30कुछ था
जो मन में
दरक गया
पल - पल का
एहसास गया
...कुछ था <br />जो मन में <br />दरक गया <br />पल - पल का <br />एहसास गया<br />अनूभूति की यह खूबसूरत रचना कई परतों को खोलती हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com