tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post8889924657443835899..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: तथागत ..संगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger93125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-45772403909942804492011-08-10T10:51:33.564+05:302011-08-10T10:51:33.564+05:30संगीता जी ..
बहुत बहुत शुक्रिया आपने मेरे अभिव्यक्...संगीता जी ..<br />बहुत बहुत शुक्रिया आपने मेरे अभिव्यक्ति को मोल दिया. कई बार जो कहना होता है वो शब्दों में कहना बहुत मुश्किल होता है लेकिन मुझे ख़ुशी है कि आपने मेरे शब्दों में मेरे भाव पढ़ लिए.<br />मेरा ज्ञान भी अधुरा ही है इस मामले में. जो मेरी समझ है उसे बेख़ौफ़ बता दिया :-)<br />शुक्रियाMayurihttps://www.blogger.com/profile/08246547516567253697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-43779977126717603072011-08-09T20:55:42.529+05:302011-08-09T20:55:42.529+05:30This comment has been removed by the author.Mayurihttps://www.blogger.com/profile/08246547516567253697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-20452119234625399202011-08-02T19:17:07.517+05:302011-08-02T19:17:07.517+05:30संगीता दी....आपकी कविता पढ़ के मुझे मेरी लेखनी तुछ...संगीता दी....आपकी कविता पढ़ के मुझे मेरी लेखनी तुछ ...लग रही है ......बहुत गहरे भाव लिए आपकी ये रचना<br />अपने संस्कारो और ज़िम्मेवारियों से भागने का नाम जीवन नहीं है ...जीवन वही जिस का डट के मुकाबला किया जाये ..........आभारAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-1491148961670622592011-06-12T08:01:05.562+05:302011-06-12T08:01:05.562+05:30तू मेरे प्रथम -ज्ञान की प्रतिमा
तेरे स्फुलिंग मेरी...तू मेरे प्रथम -ज्ञान की प्रतिमा<br />तेरे स्फुलिंग मेरी ज्योति जली. <br />देखा जगत को अग्नि में जलते<br />क्या 'यश' मेरी भी जल जाएगी?<br /><br /><br />क्या जायेगी सूख ये बगिया मेरी<br />ये वाटिका आज जो है हरी-भरी.<br />सच मनो तेरे चिंतन ने ही मेरे<br />अंतर्मन में अति उत्साह भरी.<br /><br /><br />तुझे अजर अमर-अजीर्ण बनाने<br />छोड़ के प्रासाद निकल पड़ा हूँ.<br />दवा तेरी जग - दंश हरेगा ,<br />धरा की यश का सुयश होगा . <br /><br /><br />नहीं चाहता था तुझे खोना<br />अब भी नहीं चाहता हूँ खोना.<br />लेकिन खोना और पाना क्या<br />बिना 'निर्वाण' सब खुछ सूना.<br /><br /><br />एक प्रतनिधि छोड़ मैं आया हूँ<br />तेरे मन को वह बहलायेगा.<br />लेकिन वह भी मोह ही ...है..<br />'निर्वाण' में बाधा लाएगा....<br /><br /><br />जब तू सचेत हो जायेगी<br />मुझे दोष न तब दे पाएगी.<br />मेरा क्या, मै तो करूंगा<br />प्रतीक्षा तेरी! चिर प्रतीक्षा.<br /><br /><br />तुझे सिद्धार्थ बनकर जीना है<br />दायित्व मातु-पिता का ढोना है.<br />तुझको फिर बुद्ध बना करके <br />धरा के यश को फैलाऊंगा .<br /><br /><br />तुम नहीं केवल यशोधरा <br />तुम तो इस धरा की यश हो.<br />ढूंढो तुम निर्वाण जगत में<br />मैं पथ -निर्वाण जगत को दूंगा . <br /><br /><br />हम और तुम नहीं हैं दो <br />यह अंतर केवल जगत बीच .<br />'निर्वाण जगत' में भेद नहीं<br />अनंत ये सारा शून्य बीच .<br /><br /><br />अनंत और शून्य दो अति वाद हैं <br />इन अतिवादों से हमें बचना है.<br />अपनाना है हमको मध्य मार्ग <br />माध्यम का आदर्श बताना है.<br /><br /><br />एक बार हूँ चाहता फिर बतलाना<br />अविश्वास नहीं तुम मुझपर लाना.<br />जब तक जगत में दुःख होगा<br />यह बुद्ध नहीं फिर मुक्त होगा.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-5753306255876427262011-05-26T00:19:08.247+05:302011-05-26T00:19:08.247+05:30wah!!! kya kamaal sawaal uthae hain... sach hai, u...wah!!! kya kamaal sawaal uthae hain... sach hai, unki patni ko kitni badi kimat chukaani badi! ese to kabhi socha hi nahi... wah!Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-80144547047934213452011-05-20T17:49:42.751+05:302011-05-20T17:49:42.751+05:30बेहद भावप्रधान..एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती सु...बेहद भावप्रधान..एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती सुंदर कविताAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-51896956637795410922011-05-19T16:52:15.428+05:302011-05-19T16:52:15.428+05:30सहज प्रश्न उठते हैं, उठना स्वाभाविक है, प्रक्रिया ...सहज प्रश्न उठते हैं, उठना स्वाभाविक है, प्रक्रिया सीखने की इसे ही कहते होंगे।<br />और जो बधाई नहीं दी मैंने वक़्त पर, उसके लिए मेरे कान खींचे जाने चाहियें।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-45342661086472459852011-05-17T11:22:13.516+05:302011-05-17T11:22:13.516+05:30पता है तुमको कि तुमने
दिया है कितना कष्ट
यशोधरा ...पता है तुमको कि तुमने <br />दिया है कितना कष्ट <br />यशोधरा और राहुल को <br />हे तथागत - <br />आज तक नहीं समझ पायी <br />मैं तुम्हारे ज्ञान का सार <br />कर्तव्यों से च्युत हुए बिना <br />क्या नहीं हो सकता था <br />तुम्हारे ज्ञान का प्रसार ? <br /><br />गहन विचार से प्रेरित रचना,संवेदनशीलता से अंतस को छूती बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार<br /><br /> के लिए आभारAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-89365757561013302152011-05-16T17:09:39.865+05:302011-05-16T17:09:39.865+05:30सोचने पर मजबूर करती संवेदनशील रचनासोचने पर मजबूर करती संवेदनशील रचनाज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-72931408290150839272011-05-16T11:51:09.933+05:302011-05-16T11:51:09.933+05:30यहाँ अभी तक अंतर्जाल से दूर थी .
जन्म -दिवस की हा...यहाँ अभी तक अंतर्जाल से दूर थी .<br /> जन्म -दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएँ -देर से ही सही ,स्वीकारें !<br />इन पंथों की पलायनवादिता ,निवृत्ति को प्रोत्साहन देती है .गीता का कर्म-योग मुझे तो जीवन-समर का सबसे वांछित समाधान लगता है -दैन्य रहित हो कर प्रवृत्तिमार्ग का अनुशीलन. <br />वैसे जिसकी जैसी प्रवृत्ति .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-83176361809503889292011-05-16T00:01:45.532+05:302011-05-16T00:01:45.532+05:30अपनी भावनाएँ आपने एक अलग नज़रिए से व्यक्त किया है....अपनी भावनाएँ आपने एक अलग नज़रिए से व्यक्त किया है..बहुत सुंदर भाव पिरोए है आपने..बढ़िया कविता के लिए बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-1980808652558680182011-05-15T18:21:50.849+05:302011-05-15T18:21:50.849+05:30Anita said...
बुद्ध यदि घर छोड़ कर न गए होते ...Anita said...<br /><br /> बुद्ध यदि घर छोड़ कर न गए होते तो संसार की कितनी बड़ी क्षति होती और तब न कोई यशोधरा का नाम जानता न राहुल का, लाखों नारियों की तरह एक अनाम जिंदगी उसने भी जी होती...<br /><br /> ----यही एक सही टिप्पणी है....बताइये क्या नहीं देदिया बुद्ध ने अपने परिवार को....कालजयी नाम... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-6539988259766899682011-05-15T10:39:23.862+05:302011-05-15T10:39:23.862+05:30janm divas ki shubhkaamnayen!janm divas ki shubhkaamnayen!CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-72406313026297799012011-05-15T10:38:42.742+05:302011-05-15T10:38:42.742+05:30तो कहाँ लुप्त हो गयीं थीं
तुम्हारी सारी संवेदनाएं
...तो कहाँ लुप्त हो गयीं थीं<br />तुम्हारी सारी संवेदनाएं<br />जब पुत्र और पत्नि को<br />छोड़ गए थे सोता हुआ<br />और अपने कर्तव्य से विमुख हो<br />चल पड़े थे दर - बदर भटकने .<br />क्या तुम्हे हुयी कभी ग्लानि<br />बिना बताये जाने की ? <br /><br />bahut bahut bahut sunder.....<br /><br />SIDDHART= SIDDH+ARTH, ne shayad kahi apne aapko sahee arthon me siddh karne me galti ki...........CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-84784139306589871722011-05-15T08:46:18.128+05:302011-05-15T08:46:18.128+05:30"क्योंकि व्यक्ति से बड़ा परिवार एवं परिवार से..."क्योंकि व्यक्ति से बड़ा परिवार एवं परिवार से बड़ा समाज और समाज से बड़ा देश और अन्त में देश से बड़ा संसार" शायद यही एकमात्र कारण होगा ’महापुरुषों के अन्तर्मन में ।amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-84409311127685993042011-05-15T05:45:49.712+05:302011-05-15T05:45:49.712+05:30कर्तव्यों से च्युत हुए बिना
क्या नहीं हो सकता था
त...कर्तव्यों से च्युत हुए बिना<br />क्या नहीं हो सकता था<br />तुम्हारे ज्ञान का प्रसार ? <br />एक बड़े सच को आपने प्रश्न बना दिया. कर्तव्य च्युत होकर तो बहुत ज्ञान बखारा जा सकता है पर कर्तव्य रत होकर सच को परखा जाये तो शायद सही मायने में ज्ञान का प्रसार होगा.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-62136120673160386832011-05-14T21:48:35.285+05:302011-05-14T21:48:35.285+05:30संगीता दी ,
सच में बहुत अच्छा लिखा है .....काश बुद...संगीता दी ,<br />सच में बहुत अच्छा लिखा है .....काश बुद्धपना बुद्धत्व प्राप्त करने के पहले अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर जाते ....आभार!निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-61077498878059162852011-05-14T18:59:03.690+05:302011-05-14T18:59:03.690+05:30Neer has left a new comment on your post "तथा...Neer has left a new comment on your post "तथागत ..": <br /><br />आप हमेशा कुछ न कुछ अनछुआ ख्याल लेकर आती है जो हर कोई नहीं कर पाता एक अच्छी कविता फिर से .. मानव मन मोहमाया का त्याग नहीं कर पाता ,प्रभु सब जानते है इसलिए वो ऐसी लीला रचते है ..कृष्ण भगवान् ने अर्जुन को कैसे युद्ध के लिए तैयार किया था .ये मानव मन कहाँ स्वीकार करता है ऐसी स्तिथि को.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-35514806029592310522011-05-12T12:41:37.629+05:302011-05-12T12:41:37.629+05:30आप हमेशा कुछ न कुछ अनछुआ ख्याल लेकर आती है जो हर क...आप हमेशा कुछ न कुछ अनछुआ ख्याल लेकर आती है जो हर कोई नहीं कर पाता एक अच्छी कविता फिर से .. मानव मन मोहमाया का त्याग नहीं कर पाता ,प्रभु सब जानते है इसलिए वो ऐसी लीला रचते है ..कृष्ण भगवान् ने अर्जुन को कैसे युद्ध के लिए तैयार किया था .ये मानव मन कहाँ स्वीकार करता है ऐसी स्तिथि को.निर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-11022779709010249422011-05-11T18:25:58.160+05:302011-05-11T18:25:58.160+05:30आदरणीय संगीता स्वरुप जी
नमस्कार
........बहुत अच्छ...आदरणीय संगीता स्वरुप जी<br />नमस्कार <br />........बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-54291877756644984042011-05-10T21:26:33.248+05:302011-05-10T21:26:33.248+05:30man kee komal bhavnaon se hi upaj sakati hai aisee...man kee komal bhavnaon se hi upaj sakati hai aisee marmsparshee kavitaa..girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-61219232536852449222011-05-10T20:52:22.459+05:302011-05-10T20:52:22.459+05:30क्या तुम्हे हुयी कभी ग्लानि
बिना बताये जाने की ? ...क्या तुम्हे हुयी कभी ग्लानि <br />बिना बताये जाने की ? <br />जवाब दोगे या यहाँ भी महाभिनिष्क्रमणAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-78631173193044266402011-05-10T14:23:37.319+05:302011-05-10T14:23:37.319+05:30आदरणीय संगीता स्वरुप जी
नमस्कार !बहुत अच्छी लगी आप...आदरणीय संगीता स्वरुप जी<br />नमस्कार !बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना..RAJPUROHITMANURAJhttps://www.blogger.com/profile/07529097388842126517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-79498109888843458642011-05-10T13:54:10.766+05:302011-05-10T13:54:10.766+05:30सार्थक प्रश्न ......
सत्य है, गृहस्थ धर्म के साथ ...सार्थक प्रश्न ......<br /><br />सत्य है, गृहस्थ धर्म के साथ वृहत्तर मानव धर्म निबाहा जाता तो बात ही कुछ और होती...<br /><br />बहुत ही सुन्दर रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-13674275746387912922011-05-09T19:55:07.667+05:302011-05-09T19:55:07.667+05:30budhdham sharanam gachhami....
तब भी बनते तुम्हार...budhdham sharanam gachhami....<br /><br />तब भी बनते तुम्हारे <br />अनुयायी <br />गर तुम ज़रा <br />सुनते यशोधरा का <br />मन <br />भावनाओं से परे.....<br /><br />vistrit bhaaw.....<br /><br />bahut sunder rachna.....CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.com