tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post3007922519269846116..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: रे ! मन संगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-67659138153604254732023-01-01T10:18:17.295+05:302023-01-01T10:18:17.295+05:30मंगलमयी कामनाओं के साथ आपको नव वर्ष की बहुत बहुत ब...मंगलमयी कामनाओं के साथ आपको नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई एवं असीम शुभकामनाएं आदरणीया दीदी 🌷🌷Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-71878402293133363492022-12-26T16:11:13.364+05:302022-12-26T16:11:13.364+05:30बेहतरीन अभिव्यक्ति बेहतरीन अभिव्यक्ति Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-83143316266642285012022-12-25T14:23:08.724+05:302022-12-25T14:23:08.724+05:30आदरणीया संगीता जी , प्रणाम !
बहुत समय बाद आपके ब्ल...आदरणीया संगीता जी , प्रणाम !<br />बहुत समय बाद आपके ब्लॉग पर उपस्थिति का अवसर मिला , सरल शब्दों में "वीतराग" का आमंत्रण मन को छू गया !<br />अभिनन्दन ! मैरी क्रिसमस ! जय भारत ! जय भारती !!<br /><br />Tarun / तरुण / தருண் https://www.blogger.com/profile/13383539658535803715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-15009514393202653292022-12-25T12:34:25.620+05:302022-12-25T12:34:25.620+05:30गागर में सागर समाती बहुत खूबसूरत रचना।गागर में सागर समाती बहुत खूबसूरत रचना।Rupa Singhhttps://www.blogger.com/profile/01854409611932530170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-19671429726160504492022-12-24T07:28:12.042+05:302022-12-24T07:28:12.042+05:30मन एकाकी कहता तो बहुत कुछ है पर सम्भव नहीं होता ऐस...मन एकाकी कहता तो बहुत कुछ है पर सम्भव नहीं होता ऐसा कर पाना … जाने क्या होता है पर होता है जिसे ढूँढता है मन … क्यों, कहाँ … दिगम्बर नासवाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-12069918434526664292022-12-23T23:27:05.999+05:302022-12-23T23:27:05.999+05:30क्यों बाँधा मन को तूने है
और पीड़ा को पाया
मेरा -...क्यों बाँधा मन को तूने है <br />और पीड़ा को पाया <br />मेरा - तेरा कुछ नहीं जग में <br />सब भ्रम की है छाया ।<br />इस छाया को हटा नैनों से ,<br />बन जा तू वीतरागी ,<br />रे मन ! अब तो चल एकाकी ! . ////<br />अगर ये चंचल मन वीतरागी हो जाता तो सारे दुख- दर्द मिट जाते पर पारे सी प्रकृति ये मूढ इतना ज्ञानी हर्गिज नहीं हो सकता ।विचलित मन को एक गम्भीर उद्बोधन जो शायद हर परिस्थिति के बाद इसी पथ पर अग्रसर हो जाता है।सादर 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-16474828304106581012022-12-23T17:34:52.213+05:302022-12-23T17:34:52.213+05:30सब जानते हुए भी हम मन को कहाँ मना पाते हैं कि वह द...सब जानते हुए भी हम मन को कहाँ मना पाते हैं कि वह दुनियादारी की बातों में मत पड़ जाय कर <br />बहुत बढ़िया कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-24870754177275836002022-12-23T12:44:53.882+05:302022-12-23T12:44:53.882+05:30क्यों बाँधा मन को तूने है
और पीड़ा को पाया
मेरा -...क्यों बाँधा मन को तूने है <br />और पीड़ा को पाया <br />मेरा - तेरा कुछ नहीं जग में <br />सब भ्रम की है छाया ।<br />इस छाया को हटा नैनों से ,<br />बन जा तू वीतरागी ,<br />रे मन ! अब तो चल एकाकी ! . <br />वीतरागी मन ही एकाकी चल पायेगा<br />वरना बस बंधन और भ्रम हैं<br />गहन चिंतनपरक लाजवाब सृजन ।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-39758615586973636582022-12-23T11:22:08.454+05:302022-12-23T11:22:08.454+05:30मन की माया को कौन समझ पाया है, मन की कथा-व्यथा को ...मन की माया को कौन समझ पाया है, मन की कथा-व्यथा को बुनती सुंदर रचना !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-21240116119262500302022-12-23T11:16:48.592+05:302022-12-23T11:16:48.592+05:30बेहद सुंदर जीवन दर्शन
वाहबेहद सुंदर जीवन दर्शन<br />वाहM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-22338226879459991182022-12-23T11:13:06.195+05:302022-12-23T11:13:06.195+05:30सार्थक जीवन दर्शन - बेहतरीनसार्थक जीवन दर्शन - बेहतरीनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-84550457589241656632022-12-23T11:01:12.415+05:302022-12-23T11:01:12.415+05:30क्यों बाँधा मन को तूने है
और पीड़ा को पाया
मेरा -...क्यों बाँधा मन को तूने है <br />और पीड़ा को पाया <br />मेरा - तेरा कुछ नहीं जग में <br />सब भ्रम की है छाया ।<br />सच में…बहुत खूब👌Usha Kirannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-1564934414283418642022-12-23T10:51:52.389+05:302022-12-23T10:51:52.389+05:30बहुत सुंदर ...जीवन दर्शन सी पंक्तियाँ
बहुत सुंदर ...जीवन दर्शन सी पंक्तियाँ <br /> डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-55985483469167716062022-12-22T21:39:53.217+05:302022-12-22T21:39:53.217+05:30अब तलक तुझे
समझ न आया ?
मोह की गठरी तूने
क्यों ...अब तलक तुझे <br />समझ न आया ? <br />मोह की गठरी तूने <br />क्यों काँधे पर उठा ली ? <br />रे मन ! तू है क्यों एकाकी ? <br /><br />ये समझना ही तो बहुत मुश्किल है,समझ आ जाए तो सारा निदान मिल जाए<br />काफी दिनों बाद आपकी लेखनी बोली है मगर जब बोली तो अन्तःकरण को छू गई,वैराग भाव जागृत करता हृदय स्पर्शी सृजन,सादर नमन दी 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-91248829450731152542022-12-22T19:16:31.783+05:302022-12-22T19:16:31.783+05:30कौन यहाँ किसका साथी है
जान न पाया कोई
कर्म बंधन ...कौन यहाँ किसका साथी है <br />जान न पाया कोई <br />कर्म बंधन से बंधे हुए सब <br />कैसे पाएँ आज़ादी ? <br />नित बंधन ही काट- काट <br />मन होगा आह्लादी।<br />रे मन ! चल तू एकाकी ! <br /> .. इतनी सुंदर पंक्तियां.. प्रश्न का उत्तर भी समाहित है जिनमें। आज के इस दिखावे के दौर में आह्लादित होना भी कठिन हो गया है, तृष्णा में भटका मन सच्ची खुशी ही भूल गया है । बहुत ही सुंदर, प्रेरक रचना । बधाई और शुभकामनाएं दीदी । जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-8453238669501941402022-12-22T18:18:18.837+05:302022-12-22T18:18:18.837+05:30जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ दिसंबर २०२२ ...<br />जी नमस्ते,<br />आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ दिसंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-73997564060248226012022-12-22T17:50:21.117+05:302022-12-22T17:50:21.117+05:30ये रिश्ते - नाते सब
बंधन हैं सामाजिक
मन के बन्ध ...ये रिश्ते - नाते सब <br />बंधन हैं सामाजिक<br /> मन के बन्ध नहीं दीखते <br />क्यों भटके मन बैरागी <br />सांसारिक मोह-माया से दूर निस्पृह भाव से ओतप्रोत गहन सृजन । मन पर गहराई से असर करते भाव ।अत्यंत सुन्दर और हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।सादर सस्नेह वन्दे आ. दीदी!<br />Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-57341321921012974282022-12-22T11:27:35.714+05:302022-12-22T11:27:35.714+05:30सादर नमन
कभी मैं इस समय पढ़ने नहीं निकलती
आज पता न...सादर नमन<br />कभी मैं इस समय पढ़ने नहीं निकलती<br />आज पता नहीं कैसे भटक गई<br />क्यों बाँधा मन को तूने है <br />और पीड़ा को पाया <br />मेरा - तेरा कुछ नहीं जग में <br />सब भ्रम की है छाया ।<br />सादर<br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com