tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post4677359269563099217..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: स्याह चादरसंगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger71125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-18548665928977421762012-04-08T23:04:20.927+05:302012-04-08T23:04:20.927+05:30यह मानव का सहज स्वभाव है जो रह रह कर पीछे ही भागना...यह मानव का सहज स्वभाव है जो रह रह कर पीछे ही भागना चाहता है, अतीत से बाहर निकल पाना असम्भव तो नहीं किंतु कठिन बहुत है.सुंदर रचना.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-42506605701458442762012-04-04T22:41:31.549+05:302012-04-04T22:41:31.549+05:30खुदा तेरी दुनियाँ में आया हूँ जब से ,
दिखाऊं तुझे ...खुदा तेरी दुनियाँ में आया हूँ जब से ,<br />दिखाऊं तुझे क्या मैं ,क्या देखता हूँ ,<br />वक्त के हाथो मजबूर हूँ आज भी ,<br />नहीं तो कभी नहीं छोड़ता आज भी <br />दामन अपनी खुशियों का ||......अनुAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-6181284595203027752012-04-04T07:17:50.373+05:302012-04-04T07:17:50.373+05:30संगीता जी अब तो दुसरे संकलन की भी सामग्री तैयार ...संगीता जी अब तो दुसरे संकलन की भी सामग्री तैयार हो चुकी है ....<br /><br />कब तक ....?हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-53098539191421643682012-04-03T17:26:38.416+05:302012-04-03T17:26:38.416+05:30सार्थक अभिव्यक्तिसार्थक अभिव्यक्तिReena Panthttps://www.blogger.com/profile/00567958984543097787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-62870745773362008022012-04-03T11:18:13.726+05:302012-04-03T11:18:13.726+05:30एकदम सही बात लिखी आपने, ऐसा ही कुछ चल रहा है आजकल ...एकदम सही बात लिखी आपने, ऐसा ही कुछ चल रहा है आजकल आसपास...<br />मगर कभी-कभी ये वक़्त ही <br />वो स्याह चादर दाल देता है <br />हमारे ऊपर <br />और हम उसे पानी किस्मत मान <br />बैठ जाते हैं उदास...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-76123577401186713462012-04-02T23:57:34.570+05:302012-04-02T23:57:34.570+05:30हम सबकी जिंदगी का सच, बहुत अच्छी रचना, बधाई.हम सबकी जिंदगी का सच, बहुत अच्छी रचना, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-66158299398831450612012-04-02T23:21:56.612+05:302012-04-02T23:21:56.612+05:30bahut hi sundar rachana bilku sach ....abhar ke sa...bahut hi sundar rachana bilku sach ....abhar ke saath hi badhaiNaveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-82005432143726942642012-04-01T22:51:06.807+05:302012-04-01T22:51:06.807+05:30पर न जाने क्यों
कभी - कभी
ठिठक के
खड़ी हो जाती ...पर न जाने क्यों <br />कभी - कभी <br />ठिठक के <br />खड़ी हो जाती है <br />ज़िंदगी ,<br />और हम <br />अटक जाते हैं <br />touching lines.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-41733162503477438932012-04-01T21:41:17.717+05:302012-04-01T21:41:17.717+05:30बीतते वक़्त के साथ
बीत जाते हैं
हम भी ,
न न न .....बीतते वक़्त के साथ <br />बीत जाते हैं <br />हम भी ,<br />न न न ...<br />कालो न यातो वयमेव यातो ..<br />यह हम हैं जो व्यतीत होते हैं काल नहीं ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-21791596761874286612012-04-01T13:35:27.277+05:302012-04-01T13:35:27.277+05:30ये सच है की अतीत की काली छाया कभी कभी आने वाली खुश...ये सच है की अतीत की काली छाया कभी कभी आने वाली खुशी को देखने नहीं देती और पूर्ण जीवन को काला कर देती है ... पर इंसान के बस में शायद नहीं होता भुला पाना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-70396356912322411602012-04-01T12:53:55.426+05:302012-04-01T12:53:55.426+05:30आने वाली खुशियों को
अनदेखा कर
ओढ़ लेते हैं
उदास...आने वाली खुशियों को <br />अनदेखा कर <br />ओढ़ लेते हैं <br />उदासी और <br />डाल देते हैं <br />एक स्याह चादर <br />अपनी ज़िंदगी पर।<br /><br />सच कहा संगीता दी. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-82607962487804749462012-04-01T10:12:36.509+05:302012-04-01T10:12:36.509+05:30सही कहा !
अभिनय करते-करते पूरा जीवन व्यतीत हो जाता...सही कहा !<br />अभिनय करते-करते पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-50113050691692374052012-03-31T21:28:09.929+05:302012-03-31T21:28:09.929+05:30आने वाली खुशियों को
अनदेखा कर
ओढ़ लेते हैं
उदास...आने वाली खुशियों को <br />अनदेखा कर <br />ओढ़ लेते हैं <br />उदासी और <br />डाल देते हैं <br />एक स्याह चादर <br />अपनी ज़िंदगी पर ।<br />bahut theek kaha hai aapne shayad sabhi ke dil ki baat hai yahi<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-17641683356587726552012-03-31T19:22:51.965+05:302012-03-31T19:22:51.965+05:30आपने कविता में वर्तमान की खुशियों को समेटने की सुं...आपने कविता में वर्तमान की खुशियों को समेटने की सुंदर बात कही है। लेकिन जैसा कि आपने बताया है कि पीछे मुड़कर देखना मानव मन का स्वभाव होता है। आपकी कविता पढ़ते हुए मुझे सालों पहले लिखी कुछ पंक्तियां याद हो आयीं....समय तो चलता है, लेकिन किसी का इंतजार नहीं करता। हम भी चल रहे हैं। तेजी से भाग रहे हैं। दौड़ और सोच रहे हैं कि इस दौड़ से बाहर आकर जीवन के हर पल को जीने का क्या रास्ता हो सकता है..............।<br /><br />बहुत-बहुत शुक्रिया सुंदर कविता के लिए। आभारवृजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14993147600916233758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-27807648699980149132012-03-31T18:05:16.453+05:302012-03-31T18:05:16.453+05:30अतीत सुन्दर ही होता है ...जान बूझ कर उसी में भटकता...अतीत सुन्दर ही होता है ...जान बूझ कर उसी में भटकता रहता है मन ...बिलकुल सटीक लिखा आपनेTulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-90466552071311505272012-03-31T16:50:42.497+05:302012-03-31T16:50:42.497+05:30हा किलकुल सत्य ..शायद ये सभी के साथ होता है ..कि...हा किलकुल सत्य ..शायद ये सभी के साथ होता है ..कितना सटीक लिखा हैMamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-49927736606755565802012-03-31T09:55:57.713+05:302012-03-31T09:55:57.713+05:30kaash ye chaadar out of stock ho jaae..........
ma...kaash ye chaadar out of stock ho jaae..........<br />maansik shithiltaa akarmanytaa ko bhee aagosh me le letee hai.Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-9813196260829171562012-03-31T09:49:48.869+05:302012-03-31T09:49:48.869+05:30वास्तव में हम सभी या तो अतीत में जीते हैं...या फिर...वास्तव में हम सभी या तो अतीत में जीते हैं...या फिर भविष्य में .....वर्तमान की तरफ ध्यान ही नहीं जाता .....और तब जाता है जब वह भूत बन जाता है ....जीवन की इस विडम्बना को कितने सहज सरल तरीके से कह दिया ....बिना किसी आडम्बर के......बहुत सुन्दर !!!!!Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-57397398480690563092012-03-31T09:41:10.410+05:302012-03-31T09:41:10.410+05:30हम कुछ समझ कर भी समझना नहीं चाहते...जान कर भी जानन...हम कुछ समझ कर भी समझना नहीं चाहते...जान कर भी जानना नहीं चाहते....दिल को छूती पंक्तियाँ...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/15401454238866410073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-87810426474478123532012-03-31T07:01:19.178+05:302012-03-31T07:01:19.178+05:30और हम
आने वाली खुशियों को
अनदेखा कर
ओढ़ लेते है...और हम <br />आने वाली खुशियों को <br />अनदेखा कर <br />ओढ़ लेते हैं <br />उदासी और <br />डाल देते हैं <br />एक स्याह चादर <br />अपनी ज़िंदगी पर ।<br /><br />सच कहा आपनेVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-64484789125300167282012-03-30T21:24:27.024+05:302012-03-30T21:24:27.024+05:30मन और कदम कहाँ एक दूसरे का साथ दे पाते हैं... ऐसे ...मन और कदम कहाँ एक दूसरे का साथ दे पाते हैं... ऐसे क्षण जीवन में अक्सर ही आते हैं जब कदम ठिठक कर बार बार पीछे लौटने की, भूला बिसरा याद करने की ज़िद करने लगते हैं.. सुंदर रचना... आपकी रचनाएँ सदैव ही जीवन के करीब होती हैं... इसी लिए अपनी सी लगती हैं...<br /> <br />सादरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-23602072008083522482012-03-30T20:05:20.830+05:302012-03-30T20:05:20.830+05:30आगे बढ्ने के बजाए
पीछे भागता है मन
और हम
आने वा...आगे बढ्ने के बजाए <br />पीछे भागता है मन <br />और हम <br />आने वाली खुशियों को <br />अनदेखा कर <br />ओढ़ लेते हैं <br />उदासी और <br />डाल देते हैं <br />एक स्याह चादर <br />अपनी ज़िंदगी पर ।<br /><br />....जीवन का एक कटु सत्य...हम अपने भूत काल के बारे में सोचते रहते हैं और परिणामतः वर्तमान और भविष्य को भी बिगाड़ लेते हैं..बहुत सार्थक अभिव्यक्ति..आभार <br /><br />http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-10940029434877138942012-03-30T16:49:42.368+05:302012-03-30T16:49:42.368+05:30मन तो बड़ा चंचल होता है और उसकी उड़ान भी हमारी पहु...मन तो बड़ा चंचल होता है और उसकी उड़ान भी हमारी पहुँच के बाहर---------बहुत सुन्दर प्रस्तुतिDr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-52944064353405842492012-03-30T16:49:35.203+05:302012-03-30T16:49:35.203+05:30अतीत की ओर देखने से सच में जिंदगी ठिठक जाती है... ...अतीत की ओर देखने से सच में जिंदगी ठिठक जाती है... बस समय के प्रवाह के साथ बहते चलने का नाम जिंदगी है..सुंदर कविता।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-20965385934265766302012-03-30T16:10:50.913+05:302012-03-30T16:10:50.913+05:30गुजरे हुए वक्त के पीछे भागना भी एक प्रकार की इंसान...गुजरे हुए वक्त के पीछे भागना भी एक प्रकार की इंसानी फितरत ही है शायद, यथार्थ को कहती सार्थक प्रस्तुति...Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.com