tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post548390691511479954..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: सच बताना गांधारी !संगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger80125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-50009832160982777002022-04-24T15:13:53.715+05:302022-04-24T15:13:53.715+05:30प्रिय रेणु , प्रिय सुधाजी
आपकी प्रतिक्रिया ने बहु...प्रिय रेणु , प्रिय सुधाजी <br />आपकी प्रतिक्रिया ने बहुत संबल दिया है । आप दोनों की ही भावनाएं और विचार इस रचना में आपको मिले यह जान कर लग रहा कि लेखन सफल हुआ ।<br />आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-77926350358658425252022-04-20T22:42:18.865+05:302022-04-20T22:42:18.865+05:30पतिव्रता या प्रतिकारा ...सच गाँधारी के क।त्य को पत...पतिव्रता या प्रतिकारा ...सच गाँधारी के क।त्य को पतिव्रता और चुप्पी को देवी स्वरुपा मैं भी नहीं मान पायी आज तक ....मेरे मन के अनकहे भाव ऋचे हैं आपने.. ...आक्रोश और क्रोध की पराकाष्ठा जब व्यक्त न कर पाना भी मजबूरी हो....करे भी क्या ऐसे में नारी ? हाँ प्रेम तो ये बिल्कुल भी नहीं क्योंकि प्रेम में सहारा बनती जिम्मेदारियां उठाती...<br />सराहना से परे निशब्द करती लाजवाब कृति।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-12958750736980143172022-04-19T22:56:53.869+05:302022-04-19T22:56:53.869+05:30बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय दीदी! गांध...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय दीदी! गांधारी इतिहास का वो चर्चित पात्र है।जितना महत्वपूर्ण है उतना ही विवादास्पद भी।आज के संदर्भ में गांधारी का चरित्र बिल्कुल भी प्रासंगिक नहीं।अपने मातृत्व के प्रमुख कर्तव्यों से विमुख होकर खुद नेत्रहीन पति सरीखा ही बन जाना मन की कुंठा ही तो है।एक अविस्मरनीय रचना जिसमें मेरी भावनाएँ भी समाहित हैं।जो मैं लिख पाने में सक्षम नहीं वो लिख दिया आपने।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🙏🌺🌺🌷🌷रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-17344164173542674402022-04-19T22:50:43.951+05:302022-04-19T22:50:43.951+05:30बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय दीदी! गांध...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय दीदी! गांधारी इतिहास का वो चर्चित पात्र है।जितना महत्वपूर्ण है उतना रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-22849529344580077542022-04-18T21:26:49.952+05:302022-04-18T21:26:49.952+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्...सादर नमस्कार , <br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-4-22) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">क्यों लिखती हूँ ?' (चर्चा अंक 4405)</a> पर भी होगी।<br /> आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। <br />------------<br />कामिनी सिन्हा <br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-46439588320288915342019-05-27T20:40:24.195+05:302019-05-27T20:40:24.195+05:30ये तो मेरे ही मन का प्रश्न है 😊🙏बहुत खूब लिखी है...ये तो मेरे ही मन का प्रश्न है 😊🙏बहुत खूब लिखी है आपने👌👌उषा किरणhttps://www.blogger.com/profile/14723538513393658010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-7141797498853991642010-12-19T09:23:34.671+05:302010-12-19T09:23:34.671+05:30लगता है महारानी गांधारी आपको कहीं एकांत मे मिल गई ...लगता है महारानी गांधारी आपको कहीं एकांत मे मिल गई जो आपने ये सवाल उनसे पूछ लिये. अगर महाराज धृतराष्ट्र वहां होते तो क्या आप ये सवाल उनसे पूछ पाती?<br /><br />आपका ये सवाल मुझे भी बहुत व्यथित करता रहा है और सवाल का जवाब भी आपकी रचना में ही छिपा है कि लोक लाज के मारे महारानी कुछ बोल नही पाई और जैसे जबरन जय जय कार लगवा कर सती बनाने का जुनून पैदा किया जाता रहा था उसी तरह महारानी को भी कई पदवियों से नवाज कर आंखो पर पट्टी बंधवा दी गई होगी. <br /><br />वो तो द्वापर था जबकि आज के युग मे भी कुछ समय पहले तक सती प्रथा और पति अनुसरण पूरे शबाब पर था और कुछ नालायक किस्म के प्राणी आज भी उसी मनोदशा के पाये जाते हैं.<br /><br />आपकी रचना को आज ही देख पाया हुं. इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ रचनाएं जो मैने पढी हैं उनमे इसे शीर्ष स्थान देता हुं. बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-74697540935141112712010-07-20T04:09:15.344+05:302010-07-20T04:09:15.344+05:30मुझे भी यही लगता है कि यह गांधारी का विद्रोह था उस...मुझे भी यही लगता है कि यह गांधारी का विद्रोह था उसका विवश आक्रोश, कि -नहीं देखूँगी किसी का मुख,न पति का न संतानों का. और कुछ देखने को बचा ही क्या है मेरे लिए !यंत्र-मात्र हूँ अब मैं -सबसे विरक्त ,उदासीन !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-68199120039802575202010-07-15T00:16:52.682+05:302010-07-15T00:16:52.682+05:30Gandhari par apki kavita vakai lajavab hai.Gandhari par apki kavita vakai lajavab hai.कबीरा खड़ा बाजार में...https://www.blogger.com/profile/05098938420848411974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-3997628432710575172010-07-08T17:23:40.083+05:302010-07-08T17:23:40.083+05:30Aapki rachna padhne se pehle kuch dino purv hi isi...Aapki rachna padhne se pehle kuch dino purv hi isi vishay mai papa se kuch charcha hui,apko padhkar kuch yu laga jaisi mere mann ki baato aur parashnoo ko aapne apne shabdon mai dhalkar mere prashnon ko pooch lia hai, per abhi ye adhure hai, kuch aur bhi prashn hai mere mann mai,<br /><br />Apki jaisi prabal abhivyakti to nahi de paungi per koshish rahegi ki prashno ko sahi roop aur swaroop de pau...<br /><br />AApke aashish ki aakanshi!!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17394828484173036644noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-33799979639780254712010-07-04T13:34:04.432+05:302010-07-04T13:34:04.432+05:30नारी मन कौन समझ पाया है ?
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...नारी मन कौन समझ पाया है ?<br /><br />...................<br /><br />shayad koi nahi .निर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-11427369888711841852010-07-02T14:35:40.649+05:302010-07-02T14:35:40.649+05:30'सच बताना गांधारी...' आपने इस कविता द्वारा...'सच बताना गांधारी...' आपने इस कविता द्वारा गांधारी के मन की थाह लेने की कोशिश की है!... क्या यह नारी ता उम्र अंधत्व ओढने के लिए विवश या मजबूर थी... या फिर अंधे पति के दुःख में सहभागी बनी हुई निष्ठावान पतिव्रता थी?...इस प्रश्न का उत्तर एक सा मिलना मुश्किल है!...एक भाव पूर्ण रचना से साक्षात्कार हुआ है, धन्यवाद!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-29743587035925124542010-06-27T09:38:10.292+05:302010-06-27T09:38:10.292+05:30नेट मैं तभी देख पाता हूँ जब घर आता हूँ, जहाँ रहता...नेट मैं तभी देख पाता हूँ जब घर आता हूँ, जहाँ रहता हूँ मात्र २-३ साइबर कैफे है और वहाँ छात्रो की भीड़ लगी रहती है. आपकी रचना आज पढ़ा एक बार नहीं कई बार पढ़ा...... गांधारी एक हमारे समाज की ऐसी नारी पात्र है जो सियासत में दखल देकर राजकीय निर्णय को बदल सकती थी. पर उबने ऐसा किया नहीं. यह उसकी विवशता थी या बदला लेने की कोई भावना? इसे कोई नहीं जनता. परन्तु आपने उन प्रत्येक प्रश्नों को ऐसे पूछा है और ऐसे जवाब प्रस्तुत किया है जो केवल कोई बहुत बड़ा चिन्तक ही कर सकता है. प्रश्न सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्व के है. आपने अपने श्रम और समय का जो सदुपयोग किया है वह साहित्य और समाज दोनों के लिए धरोहर की वस्तु है. .... मेरी ढेर सारी बधाइयाँ स्वीकार करें. आपके अगले पोस्ट की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-4715154256288458872010-06-23T15:31:12.810+05:302010-06-23T15:31:12.810+05:30क्या बात है! वाह!!क्या बात है! वाह!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-73742935919463733072010-06-22T15:40:49.770+05:302010-06-22T15:40:49.770+05:30wah wah! kya baat hai!
log on http://doctornaresh...wah wah! kya baat hai!<br /><br />log on http://doctornaresh.blogspot.com/<br /><br />i just hope u will like it!Dr. Tripat Mehtahttps://www.blogger.com/profile/06972787985997523606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-80173955991564236342010-06-22T00:30:03.333+05:302010-06-22T00:30:03.333+05:30मैं गीत पढ़ने और सुनने का बहुत ही शौक़ीन हूँ..
आप ...मैं गीत पढ़ने और सुनने का बहुत ही शौक़ीन हूँ..<br />आप का यह गीत बहुत ही पसंद आया..<br />मैंने बहुत कोशिश की पर कभी इतना अच्छा गीत नहीं लिख पाया..<br />आप को बहुत-बहुत शुभकामनाएं...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-43579793550032525512010-06-21T17:44:20.106+05:302010-06-21T17:44:20.106+05:30गांधारी को प्रतीक मानकर रची गई एक अपूर्व रचना!
--...<b>गांधारी को प्रतीक मानकर रची गई एक अपूर्व रचना! <br />-- <br />इसके लिए किया गया शोधपरक चिंतन-मनन स्तुत्य है! <br />-- <br />आज की गांधारियों को इस विशेष रचना से <br />विशेष सबक लेने की आवश्यकता है! </b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-62459430955556691372010-06-19T14:37:39.962+05:302010-06-19T14:37:39.962+05:30मैम!! बहुत ही सुन्दर कविता.. गान्धारी के रोल का बा...मैम!! बहुत ही सुन्दर कविता.. गान्धारी के रोल का बाईसेक्शन करती हुयी..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-60361582843425348432010-06-19T08:37:27.083+05:302010-06-19T08:37:27.083+05:30देर से पढ़ पाने का दुःख है
कविता बहुत अच्छी है .....देर से पढ़ पाने का दुःख है <br />कविता बहुत अच्छी है ..<br /><br />..असल क्या था मन में तुम्हारे <br />यह नहीं किसी ने पहचाना ....<br />..आपने इस विषय में एक नई दृष्टि दी है. सोचने पर विवश किया है.<br />अनूठी सोच ही इस कविता की बड़ी विशेषता है.<br />..बधाई.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-48016962044287330142010-06-18T11:16:27.621+05:302010-06-18T11:16:27.621+05:30अब तो गांधारी की भूमिका पर पुनर्विचार करना ही पड़ेग...अब तो गांधारी की भूमिका पर पुनर्विचार करना ही पड़ेगा...KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-14984261549366246092010-06-16T21:55:31.098+05:302010-06-16T21:55:31.098+05:30समझ सकी हूँ बस इतना ही
कि यह थी तेरी मजबूरी '&...समझ सकी हूँ बस इतना ही<br />कि यह थी तेरी मजबूरी ''...<br /><br />From Satyug to Kailyug ignorant women lot are following the 'patni dharam' in this moronic fashion.<br /><br />It is not any dharam. It is sheer ESCAPISM. Running away from the duties assigned to her . She could have guided her husband , that the decision of Mahabharata is wrong. She could have delivered her best to her sons by not choosing for being blind.<br /><br />Anyways , she was a queen and had the luxury to be blindfolded. Nowadays women cannot do this ADAMBAR. <br /><br />Unfortunately a bigger lot of women are still blind. Unaware of their rights and duties. They are just frog of well and following the herd mentality.<br /><br />I really feel pity for the Gandharis of modern ERA. <br />In past there were only one Gandhari and one Dhritrashtra but unfortunately the number has exceeded to million now. They are giving birth to TRillion Duryodhana and Dushasana. All ready to eat away every bit of women-flesh.<br /><br /><br />Mothers like Gandhari are responsible for Cheer-Haran of modern Draupadis.<br /><br />Sangeeta ji,....I congratulate you for this wonderful creation and deep insight.<br /><br />This poem should be included in our Hindi Syllabus.<br /><br />Regards,ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-64406130829706543712010-06-16T17:28:33.698+05:302010-06-16T17:28:33.698+05:30अपने मन का सजीव चित्रण किया है, बहुत खूब ! कुछ अलग...अपने मन का सजीव चित्रण किया है, बहुत खूब ! कुछ अलग सा ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-68267807969267314762010-06-16T08:20:46.865+05:302010-06-16T08:20:46.865+05:30आदरणीया संगीताजी
नमस्कार !
आपकी कई रचनाएं देखी - प...आदरणीया संगीताजी<br />नमस्कार !<br />आपकी कई रचनाएं देखी - पढ़ी हैं , सोचता था विस्तार से बात करूंगा … लेकिन अगली बार । संक्षेप में …<br />विचारोत्तेजक कविता है , सहज प्रश्न और जिज्ञासाएं समाहित है …<br />और प्रत्युत्तर तथा समाधान भी , जो आपके हृदय से निकला ।<br />एक छंद साधिका की आपकी छवि अधिक पैठ जमाए है मेरे मन में ।<br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-34729153218190913562010-06-16T06:29:28.192+05:302010-06-16T06:29:28.192+05:30बहुत देर बाद आना हुआ आपके ब्लाग पर, अच्छी कविता ...बहुत देर बाद आना हुआ आपके ब्लाग पर, अच्छी कविता के लिए बधाई। कहना तो बहुत कुछ चाह रही हूँ लेकिन पहले ही बहुत कुछ कह दिया गया है। पति की हीनभावना से बचने के लिए पत्नियां ऐसा ही करती हैं। कभी पढाई, कभी नौकरी और कभी अपनी आँखें भी।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-36197869039049866712010-06-16T02:37:57.421+05:302010-06-16T02:37:57.421+05:30बहुत सुन्दर --आपने मेरे मन के भाव कैसे जाने ?
कुछ ...बहुत सुन्दर --आपने मेरे मन के भाव कैसे जाने ?<br />कुछ है जो जोड़ रहा है आपसे मुझे ---<br />वाही एक मन की डोर .....!!<br />जिसका अनुभव मैं हमेशा करती हूँ <br />इतने सटीक सुंदर पोस्ट के लिए बधाई !!!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.com