tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post6942021702848397742..comments2024-03-09T10:40:20.915+05:30Comments on गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: गुमनाम .........संगीता स्वरुप ( गीत )http://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comBlogger102125tag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-78179247472291140532022-01-25T21:20:42.059+05:302022-01-25T21:20:42.059+05:30मुक़द्दर अपना अपना ।
सुंदफ़ सृजन !! संगीता जी ।मुक़द्दर अपना अपना ।<br />सुंदफ़ सृजन !! संगीता जी ।Harash Mahajanhttps://www.blogger.com/profile/17431155483774376440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-27028389736948757972022-01-25T18:37:57.060+05:302022-01-25T18:37:57.060+05:30भावपूर्ण पंक्तियाँ, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति भावपूर्ण पंक्तियाँ, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हरीश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/04868366103134574911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-66879856091110859452022-01-25T15:53:33.604+05:302022-01-25T15:53:33.604+05:30भावपूर्ण अभिव्यक्ति।भावपूर्ण अभिव्यक्ति।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-46628527332871087262022-01-25T09:52:08.222+05:302022-01-25T09:52:08.222+05:30सीता को वनवास में भी
पति संग सुख मिला था
मुझे तो...सीता को वनवास में भी <br />पति संग सुख मिला था <br />मुझे तो राजमहल में रह <br />वनवास मिला था ..<br />जो अन्याय हुआ मेरे साथ <br />क्या वो <br />जग जाहिर भी हुआ है?<br />विचारणीय व मार्मिकManisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-64866465300309558522022-01-25T08:48:30.760+05:302022-01-25T08:48:30.760+05:30सच जब बड़े-बड़े घंटे बज उठते हैं छोटी-छोटी घंटियों क...सच जब बड़े-बड़े घंटे बज उठते हैं छोटी-छोटी घंटियों की आवाज उनमें दब कर रह जाती है, लेकिन घर के मंदिरों में उनके बिना पूजा अधूरी है, यह हमें नहीं भूलना चाहिए <br />बहुत अच्छी विचारणीय प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-56781558617405871342022-01-25T08:10:46.820+05:302022-01-25T08:10:46.820+05:30हृदयस्पर्श करती संवेदनशील कविता । हृदयस्पर्श करती संवेदनशील कविता । Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-84467468928977292142022-01-24T15:00:06.369+05:302022-01-24T15:00:06.369+05:30प्रिय यशोदा आभार ।प्रिय यशोदा आभार ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-17487514503942189822022-01-24T14:59:10.537+05:302022-01-24T14:59:10.537+05:30कुसुम जी
प्रिय जिज्ञासा
प्रिय रेणु ,
भारती जी ,...कुसुम जी <br />प्रिय जिज्ञासा <br />प्रिय रेणु , <br />भारती जी , <br />शकुंतला जी ,<br />सुधा जी , <br />आप सब यहां आए और मेरे छोटे से प्रयास को सराहा इसके लिए मैं हृदय से आभारी हूँ । <br />बहुत से ऐसे विषय चुने थे मैंने जो मैं चाहती हूँ कि आप तक पहुंचें । आप सब ही उच्च कोटि का लेखन करते हैं । छंदात्मक रचनाएँ लिखते हैं । मैं केवल भावों का सम्प्रेषण ही कर पाती हूँ । फिर भी आप लोग पढ़ कर जो प्रतिक्रिया देते हैं उससे मैं स्वयं को विशेष महसूस करने लगती हूँ । इस एहसास को देने के लिए बहुत शुक्रिया ।।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-12822097591420396002022-01-24T10:48:49.380+05:302022-01-24T10:48:49.380+05:30आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द&q...<i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 25 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....<a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow"> <br />पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-34282499507144219332022-01-23T16:50:14.239+05:302022-01-23T16:50:14.239+05:30सीता को वनवास में भी
पति संग सुख मिला था
मुझे तो...सीता को वनवास में भी <br />पति संग सुख मिला था <br />मुझे तो राजमहल में रह <br />वनवास मिला था ..<br />जो अन्याय हुआ मेरे साथ <br />क्या वो <br />जग जाहिर भी हुआ है?<br />मुझे तो लगता है कि<br />हमारा नाम <br />अपनी पहचान भी <br />खो गया है..<br />सचमुच माण्डवी और श्रुतिकीर्ति का नाम साहित्य और इतिहास में ना के बराबर ही है..ऐसा लगता है इनके भाव और विचारों का तो जैसे कोई मोल ही नहीं था ना इनके पतियों के लिए और ना ही इनके परिवार वालों के लिए।<br />दोनों बहनों की छायाओं का आपसी वार्तालाप एवं उसमें अपने विचार !!!<br />बहुत ही लाजवाब एवं अविस्मरणीय सृजन किया है आपने और साथ ही इन दोनों पात्रों के साथ अकाट्य न्याय...<br />बहुत ही लाजवाब उत्कृष्ट एवं अद्भुत सृजन हेतु बधाई एवं कोटिश नमन🙏🙏🙏🙏<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-21455721231284294912022-01-22T18:22:59.806+05:302022-01-22T18:22:59.806+05:30सुंदर अभिव्यक्तिसुंदर अभिव्यक्तिShakuntlahttps://www.blogger.com/profile/03789132133483681585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-12119364635169954552022-01-22T16:15:16.621+05:302022-01-22T16:15:16.621+05:30बहुत सुंदर शब्द चित्र भावविभोर करने वालीबहुत सुंदर शब्द चित्र भावविभोर करने वालीBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-76139724949836571512022-01-22T16:07:05.641+05:302022-01-22T16:07:05.641+05:30जी दीदी, बहुत मार्मिक वार्तालाप है मांडवी और श्रुत...जी दीदी, बहुत मार्मिक वार्तालाप है मांडवी और श्रुतिकीर्ति का। सच है मर्यादाओं के सघन बरगद तले सपनों के नन्हें पौधें जन्मते जरूर हैं पर पनपते नहीं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बनवास को सदियों से जनमानस में बड़ी श्रद्धा और विश्वास से देखा जाता है पर यदि सूक्ष्मता से देखा जाए तो श्री राम जी के लिए सपत्नीक ये बनवास आनन्द और उल्लास से भरा वनगमन था। उस पर अनेक ऋषिमेधाओं के संसर्ग ने उनके जीवन के इस अध्याय को गौरवाविंत किया। यदि सीताहरण को छोड़ दिया जाए तो ये गमन उनके लिए बहुत रोमांचकारी रहा। पर जिन लोगों, विशेषकर सीता की तीनों बहनों, ने वनवास ना होते हुऐ भी घर में रहकर बनवास बीकी पीड़ा भोगी उसे इतिहास ने पूर्णतया विस्मृत कर दिया। बनवास उन महलों में रहने वाले दोनो भाइयों का भी था जिन्होंने बनवासी भाई के विरह और सम्मान में चौदह वर्ष तापस जीवन व्यतीत किया । इतिहास की दो ऊपर अपेक्षित नारी पात्रों की वेदना को शब्दों में खूब लिखा आपने। ढेरो शुभकामनाए और बधाई प्रिय दीदी 🙏🙏❤️🌷🌷रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-82774672286394797512022-01-22T16:04:13.272+05:302022-01-22T16:04:13.272+05:30*अन्य/अन्याय*अन्य/अन्यायजिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-30240305765720159182022-01-22T16:03:17.341+05:302022-01-22T16:03:17.341+05:30प्रश्नचिंह छोड़ गयीं ..
क्या सच ही
इनका त्याग
क...प्रश्नचिंह छोड़ गयीं ..<br />क्या सच ही <br />इनका त्याग <br />कोई त्याग नहीं था <br />या फिर रामायण में <br />इनका कोई महत्त्व नहीं था ??? <br />..वाकई, जो दर्द इनका रहा होगा उस तक आपकी संवेदना जब आज तक पहुंच रही है, हम भी उस दर्द से अछूते नहीं है,तो फिर उस दर्द की छाया उस समय भी जरूर रही होगी, वाल्मीकि जी या तुलसीदास जी को भी उस दर्द की तपन जरूर चुभी होगी परंतु वो तो किसी और चरित्र का वर्णन करने में इतने रम गए कि मांडवी और श्रुतिकीर्ति जैसे चरित्रों की घोर अनदेखी की । यही तो पीड़ा है,। आपकी रचना ने आज की स्त्रियों के जाने अंजाने मर्म को भी छू लिया । आज भी स्त्रियों के साथ ऐसे अन्य होते हैं।<br />एक उत्कृष्ट रचना को साझा करने के लिए आपका आभार आदरणीय दीदी 👏💐जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-65609481487074244272022-01-22T12:36:59.600+05:302022-01-22T12:36:59.600+05:30दो उपेक्षिता बहनों का वार्तालाप के माध्यम से जो का...दो उपेक्षिता बहनों का वार्तालाप के माध्यम से जो काव्य सृजन किया है आपने संगीता जी वो प्रशंसा से परे है।<br />अछूता विषय और सारगर्भित उद्गार हृदय तक उतर गए।<br />सचमुच वार्तालाप संकेतिक रूप से वाल्मिकी,तुलसी और आने वाले सभी काव्यकारों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं ।<br />अप्रतिम रचना।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-73109471353863458212020-02-06T17:09:22.858+05:302020-02-06T17:09:22.858+05:30We provide answers to your questions
Global Employ...We provide answers to your questions<br /><a href="https://www.metal-archives.com/users/globalemployees116" rel="nofollow">Global Employees</a><br /><a href="https://git.laquadrature.net/globalemployees116" rel="nofollow">Global Employees</a><br /><a href="http://se7team.esportsify.com/profile/globalemployees" rel="nofollow">Global Employees</a>GlobalEmployeeshttps://www.blogger.com/profile/12232780408093164901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-41900423484633548882011-12-23T23:02:58.139+05:302011-12-23T23:02:58.139+05:30दु:ख ही दु:ख है इस जहाँ में,
कम कहीं ज्यादा कहीं
त...दु:ख ही दु:ख है इस जहाँ में,<br />कम कहीं ज्यादा कहीं<br />त्याग कहते हैं कहीं पर<br />और मर्यादा कहीं......<br /><br />सुख है मृगतृष्णा सरीखा<br />दु:ख दहकती रेत है<br />हम समझते हैं जिसे सुख<br />दु:ख का वह संकेत है.<br /><br />जल रही मीरा कहीं पर<br />जल रही राधा कहीं.....अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-89854579720586646992011-01-30T16:38:51.656+05:302011-01-30T16:38:51.656+05:30मांडवी और श्रुतिकीर्ति के दर्द और त्याग के किस्से ...मांडवी और श्रुतिकीर्ति के दर्द और त्याग के किस्से राजमहल की कोठरियों में ही सिसकते रहे ...वहां से बाहर ही नहीं निकले कभी .....साहित्यकारों की कोई दृष्टि उधर क्यों नहीं गयी कभी .....यह आश्चर्य का विषय है......बेशक हमारे समाज नें पक्षपात किया है .......ग़नीमत है आजकल क्वीज़ में कभी चर्चा हो जाती है इन नामों की .....वरना नयी पीढी को इनके नाम खोजने में नानी याद जाती. <br />...गीत जी ! राज-प्रासाद में घुटती पीड़ा के प्रति आपकी संवेदना के स्वर को सादर प्रणाम. मांडवी की तो फिर भी कुछ चर्चा हो गयी है ...श्रुतिकीर्ति पर आप कुछ और लिखें तो कृपा होगी .बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-5114659815158624172011-01-26T23:10:33.176+05:302011-01-26T23:10:33.176+05:30Mummmma.....
maine to pehli baar ye naam sune.......Mummmma.....<br /><br />maine to pehli baar ye naam sune......shayad kabhi विचार ही नहीं किया..इनके अस्तित्व का...........<br />:(<br /><br />दूसरी बात....बहुत रामायण नहीं पढ़ी....मगर रामानंद सागर और रामचरितमानस के कुछ अध्याय (बचपन में पढ़े थे..)....पढ़कर जो कुछ जानती हूँ......उससे ऐसा लगता है.....कि भरत और maa सीता के त्याग का ek uddeshya tha.......शायद यही वजह रही हो..<br /><br />बहरहाल.......दोनों स्त्रियों का दुःख जानकार अच्छा नहीं लगा.....<br /><br />बहुत इमानदारी से एक बात कहूँगी मम्मा.......कि आप इस कविता में और भी अच्छे तरीके से दोनों की टीस और पीड़ा चित्रित कर सकतीं थीं....<br /><br />:)<br /><br />प्रणाम !<br /><br />aur der se nahin nahin....bahut der se aane ke liye kshamprarthi hoon....:(Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-89515059437519743492011-01-04T08:23:03.951+05:302011-01-04T08:23:03.951+05:30इस दृष्टिकोण की रचनाएँ कम ही हैं. सुन्दर भाव और सम...इस दृष्टिकोण की रचनाएँ कम ही हैं. सुन्दर भाव और सम्वेदना पिरोया है आपने.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-88555825743626828162011-01-03T15:26:14.320+05:302011-01-03T15:26:14.320+05:30मुझे तो राजमहल में रह
वनवास मिला था ..
इतिहास के...मुझे तो राजमहल में रह <br />वनवास मिला था ..<br /><br />इतिहास के अन्छुवे संवेदनशील प्रसंग को उठाया है अओने ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-48569521749062749792011-01-02T07:25:05.849+05:302011-01-02T07:25:05.849+05:30Hello Mam,
Sach aap kitna khobsurat likhtin hain,...Hello Mam,<br /><br />Sach aap kitna khobsurat likhtin hain, aapki kavitayein to seedhe dil ko chooti hain.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-74065879136691473092010-12-30T19:01:12.849+05:302010-12-30T19:01:12.849+05:30Aapki gumnam padhi, mann ko chu lia, yu laga jaise...Aapki gumnam padhi, mann ko chu lia, yu laga jaise bheetar tak utar gayi ho koi baat! Mann ki udvelna ko jaise apne shabdon mai udel dia ho jyu ka tyu! Aur ye jadu to ap hi ker sakti hain!<br /><br />Aur kya kahu! <br />Apke shabd swam hi mukhar hain! Bhav abhivyakti main!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17394828484173036644noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2082842253659772842.post-44161175395168628102010-12-30T10:33:40.539+05:302010-12-30T10:33:40.539+05:30सम्वेद को स्पर्श करती हुई कविता।
बहुत ही भावुक कर ...सम्वेद को स्पर्श करती हुई कविता।<br />बहुत ही भावुक कर देने वाली रचना ...आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.com