एक सिहरन उम्मीद की
>> Tuesday, June 14, 2011
ज़िंदगी की राहें
और उम्मीद का दामन
चलते रहते हैं
साथ - साथ,
तार - तार
होने लगती हैं
जब उम्मीदें
तब भी
नहीं छोडते
उनका साथ ,
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं ,
घिसटते हुए ही सही
पर चलते रहते हैं
अनवरत अपनी
मंजिल की ओर .
ज़िंदगी के
न जाने कितने
ताल- तलैया
खेत - खलिहान
नदी - झील
पार करते हुए
कदम आज
पहुँच गए हैं
तपते रेगिस्तान में ,
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
89 comments:
शब्दों का बहतरीन चयन, कविता उस यात्रा में ले जाती है जो हम सबकी है , हमारे परिवेश की है, संगीता जी फिर एक संवेदनशील काव्य के लिए बधाई
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो है
पर रुकते नहीं,
जीवन के इस सत्य को बहुत ही सहजता से कह दिया|बहुत सुन्दर|बधाई|
उम्मीद का दामन थामे रहना ही जीवन है . बाधाएं आएँगी और दृढ इच्छाशक्ति से टकराएगी . उम्मीदों के साथ रेगिस्तान में नदिया भी बहाई जा सकती है .
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
bahut hai ye ummeed
एक आस बंधाती हुई बेहतरीन रचना के लिए आभार संगीता दी ।
उम्मीदी से करीब होना ही सार्थकता है जीवन की ,जीवन के फलसफे को
बल अवं आश्रय देती रचना प्रभावशाली है / शुक्रिया जी /
प्रेरणादायी कविता
प्यारे और मस्ती भरे हिन्दी एसएमएस
बहुत सुंदर भाव।
तार - तार
होने लगती हैं
जब उम्मीदें
तब भी
नहीं छोडते
उनका साथ ,
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं ,
वाह !!!!!
बहुत ख़ूब !!!
इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
आशा का संचार करती संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता....हार्दिक बधाई.
बिलकुल ठीक कहा .
'आसा तिसना ना मरी कह गए दास कबीर!
पूरी दुनिया ही आशा के ऊपर टिकी हुयी है। जब दिलों में उम्मीद होती है तो तपता हुआ रेगिस्तान भी नखलिस्तान लगता है।
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो है
पर रुकते नहीं,
बिलकुल सही कहा है !
सुंदर रचना .........
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
बहुत सुन्दर शब्दों में आपने अपने मन के भाव को ंबा्घा है.....सुन्दर|बधाई|
आशा निराशा की पेंगों के साथ झूला झुलाती ज़िंदगी की रुकती चलती ठिठकती दौडती जीवन यात्रा का बहुत सुन्दर शब्द चित्र उकेरा है आपने रचना में ! बहुत ही आत्मीय सी रचना सबकी अपनी सी ! ऐसी जिससे सब खुद को जोड़ सकें ! आभार !
उम्मीद का दामन हर हाल में हर प्रयत्नशील के साथ चलता ही रहता है । इसके विभिन्न चरणों को इस कविता में इतनी खुबसूरती से पिरोने के लिये आभार सहित...
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
वाह ... बहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम है इस रचना में ।
उम्मीद पर ही टिकी है दुनिया
ज़िंदगी की राहें
और उम्मीद का दामन
चलते रहते हैं
साथ - साथ,
तार - तार
होने लगती हैं
जब उम्मीदें
तब भी
नहीं छोडते
उनका साथ ,
जीवन के सत्य को प्रतिबिम्बित करती आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
सुंदर रचना !
जिन्दगी का सफ़र...उम्मीदों पर ही काटा जा सकता है ...
उम्मीद की एक किरण ही जीने का सामान बन जाती है और इसी पर ज़िन्दगी गुज़र जाती है……………बेहद उम्दा भावों को संजोया है।
ज़िंदगी की राहें
और उम्मीद का दामन
चलते रहते हैं
साथ - साथ..
जीवन की सच्चाई को खूबसूरती से बयान करती है आपकी रचना ...
यही उम्मीदें तो इंसान को विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने की ताकत देती हैं. ये ख़त्म हो जाएं तो फिर सबकुछ ख़त्म. निराशाओं से संघर्ष करते इंसान की मनोदशा को बहुत प्रभावी ढंग से रक्खा है आपने...बधाई!
----देवेंद्र गौतम
उम्मीद पर दुनिया कायम है और इस उम्मीद को आपने बहुत ही खूबसूरत शब्दों का जामा पहनाया है.
बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए बधाई दी !
'निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं '
...............प्रारंभ से अंत तक.... जीवन के यथार्थ का दर्शन.....बड़ी सहजता से प्रस्तुत करती रचना
'आशा ही जीवन है '....का सन्देश देती सुन्दर कृति
बहुत अच्छा लिखा है जी ऐसे ही लिखते रहे
हमारे कुटिया पर भी दर्शन दे श्री मान
आस है तो विश्वास है और तभी जीवन है
बहुत ही सुंदर रचना....
आभार...
ज़िंदगी की राहें
और उम्मीद का दामन .
आपकी कविता पढ़ कर मुझे किसी का एक शेर याद आ गया .आप भी देखिये:-
जब कभी हाथ से उम्मीद का दामन छूटा,
ले लिया आप के दामन का सहारा हमने..
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो है
पर रुकते नहीं,
बहुत सुंदर रचना संगीताजी ......
निराशा में भी चलते रहना
आसा का दीप जलाती है
उम्मीदों को मत होने देना तार-तार
उसीपर तो कायम है जीवन
क्यों नहीं मिलेगी मंजिल
उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।
किशोर कुमार जैन गुवाहाटी असम
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
उम्मीद छूटी तो समझो ज़िंदगी रूठी :)
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
उम्मीद है तो संघर्ष है.संघर्ष है तो विश्वास है.विश्वास है तो सब कुछ है.जीवन के यथार्थ से परिचय कराती सुन्दर प्रवाहमयी रचना.
बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना....
सिहरन उम्मीद की काफी है ...
आशा और उम्मीद हर हाल में जरुरी है ...
खूबसूरत रचना !
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं ,
घिसटते हुए ही सही
पर चलते रहते हैं
अनवरत अपनी
मंजिल की ओर...
ज़िन्दगी की सच्चाई को बहुत ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! बेहतरीन प्रस्तुती!
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
एक उम्मीद ही पार करा सकती है बड़े से बड़ा मरुथल..बहुत ही संवेदनशील और सार्थक प्रस्तुति..आभार
bilkul sahi kaha....ummeed par hi duniya kayam hai....
nar ho na niraash karo mann ko...
bahut saarthak rachna....
उम्मीद की सिहरन, अद्भुत भाव।
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
उम्मीद की यह सिहरन ही तो जीजिविषा है
उहापोह में उम्मीद ..
घिसटते हुए ही सही
पर चलते रहते हैं
अनवरत अपनी
मंजिल की ओर .
बस यही असली बात है संगीता जी - कदम चलते रहें.
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
जब तक जिंदगी की राहें हैं ... चलना तो पढ़ता ही है ... चाहे दामन तार तार ही क्यों न हो ...
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ...
isi par tiki hai zindagi ...
bahut sunder rachna ..
शनिवार (१८-०६-११)आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...नयी -पुरानी हलचल पर ..कृपया आईये और हमारी इस हलचल में शामिल हो जाइए ...
रेगिस्तान में भी फूल खिलाने वाले लोग ही दुनिया में जगह पाते हैं।
अद्भुत है रचना
बहुत सुन्दर.
उम्मीद हो क्या नहीं हो सकता?
घुघूती बासूती
बहुत सुन्दर प्रेरण देती रचना के लिये बधाई। संगीता जी पोस्ट लिखने पर मुझे ई मेल भेज दिया करें रो एग्रिगेटर पर नही जा पाती। शुभकामनायें।
bahut khoobsoorat likha hai sangeeta ji.. Badhai...
संगीता जी! इस उम्मीद भरी कृति के लिए बहुत-बहुत बधाई।
'एक बस उम्मीद पर ग़ाफ़िल ये दुनियाँ चल रही, वर्ना मंज़िल का पता किसको भला मालूम है'
कभी कभी सिहरन शब्द ही कैसी सिरहन दे देता है न -बढियां कविता !
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो है
पर रुकते नहीं,
बिल्कुल सच कहा है इन पंक्तियों में आपने ।
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता....हार्दिक बधाई.......
Ek behareen bhavpoorn aur samvedansheel rachna ke liye badhayee Sangeeta ji.
सुंदर भाव
जिन्दगी की सबसे अच्छी बात ये है की वो चलती जाती है और शायद सबसे बुरी बात भी...
बेहद सुन्दर प्रस्तुति...वधाई..
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बहुत सुन्दर|बधाई|
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
उम्मीद पे दुनिया कायम है, सुंदर प्रस्तुति|
उम्मीद की सिहरन...
वाह, क्या बात है।
इस एक शब्द ने कविता को जीवंत कर दिया है।
सिहरन का बिल्कुल नया प्रयोग ।
सचमुच की कविता यही है।
मन में एक नई उम्मीद जगाती संवेदनशील पोस्ट
आभार
संगीता जी,
एक उम्मीद भरी कविता..निम्न पंक्तियों ने तो जीवन-यात्रा संदेश को सजीव कर दिया :-
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं ,
घिसटते हुए ही सही
पर चलते रहते हैं
अनवरत अपनी
मंजिल की ओर
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
उम्मीद के तारों से बंधे हम जीवन के रास्ते तय कर सकते हैं..अच्छी कविता
बहुत सुन्दर.
बधाई
ज़िंदगी की राहें
और उम्मीद का दामन
चलते रहते हैं
साथ - साथ,
BAHUT SUNDAR MA'M!!
sangeeta di
bahut hi yatharth chitran kya hai aapne jivan ka jo ekdam sateek avam sarthak hai.
kahte hain ki ummid par hi duniya kayam hai .yah sach aapne apni behtreen rachna ke madhyam se sabit kar di hai
bahut bahut badhai
naman
poonam
main hi dinesh hun par ravikar nam se follow karna chahta hun |
samajh me nahi aa raha kaise --
help. please !
कल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
jeevan ke prati aasha jagati kavita .aabhar
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान....
बहुत सुन्दर सन्देश प्रसारित करती रचना दी...
सादर....
बहुत सुंदर..
एक आशा ,एक विश्वास और सांसें - ज़िंदगी का सफर । बहुत अच्छी लगी आपकी ये कविता ।
बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना....
bahut sundar rachana aur bahut sundar bhav.
आदमी उम्मीद को नहीं छोड़ता ,बाज़ोकात उम्मीद ही आदमी को छोड़ जाती है और ये नखलिस्तान ज़िन्दगी का यही तो पल दो पल की ज़िन्दगी है ,चलते जाना है जीवन संघर्षमें कुछ मिले न मिले ।
बहुत सघन भाव लिए रचना तपिश और जीवन की सुनामी का अतिक्रमण करती है आपकी .
वाह बेहतरीन !!!!
भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...
बहुत ही सुंदर लिखती हैं आप ,बहुत ही सरल शब्दों में दिल की गहराईयों को छु लेती हैं आप की रचनाएँ ,ऐसा लगता है जैसे सभी की ज़िंदगी एक जैसे ही होती है बस व्यक्त करने का तरीका अलग-अलग है आप का तो इतना अच्छा है की लगता है जैसे आप मेरे ही जिंदगी के बारे में कह रही हैं खास कर यह पंक्तियाँ
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो है
पर रुकते नहीं,बहुत ही सुंदर मन को छु लेनने वाली रचना बहुत-बहुत धन्यवाद,एवं शुभकामनाये
perna deti rachna.. ek umeed ko bandhti ek viswas jagati rachna...
jab umeedo ka daman pakda ho to har manzil chaahe uski raah kitni bhi pathreeli kyu na ho....apni aashawadi soch se hi prapt ho jati hai.
satyam shivam sundaram ki tarah hi hai is rachna me chhupa updesh.
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं
bahut sunder!
bahut bhavpoorn rachna.....sadhuwad
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति...जीवन की यात्रा - उतार चदाव .. और अलग अलग जगह अब मरुस्थल.. और आशा ... आपकी यह कविता दिल को छु गयी... उम्दा
बहुत खूब....!!
उम्मीद पे दुनिया कायम है....!!
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
कदम आज
पहुँच गए हैं
तपते रेगिस्तान में ,
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
बस इसके लिए
एक सिहरन उम्मीद की
काफी है ....
aapki is kavita se hum jaisi nayi peedhi ko bahut himmat milegi....zindagi se na haar manne ki prerna deti kavitahumne to in panktiyon dil mein baitha liya hai jab kabhi mushkil mein padi inse manzil ki tarf badhne ki prerna milegi.bahut bahut dhanywaad aapka:)
aapki neha
निराशा भरे कदम
ठिठकते तो हैं
पर रुकते नहीं ,
- यही सोच जीवन की नैया पार लगा देती है |
नदी - झील
पार करते हुए
कदम आज
पहुँच गए हैं
तपते रेगिस्तान में ,
संघर्ष करते हुए
हो जायेंगे पार ,
या फिर
पा जायेंगे कोई
नखलिस्तान ,
zindagi ke marahlon ki bechaini aur unse nikal paane ki khwahish......
bahut khoob
सच कहा मैडम आपने... जिस वक्त उम्मीद छोड़ दी....उसी वक्त हार का सिलसिला शुरू हो जाता है....और इसे जो समझ गया उसे हार कभी छू भी नहीं पाएगी...
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