राग - वैराग्य
>> Tuesday, April 20, 2021
नहीं जानती
पूजा के नियम
विधि - विधान ,
कब और किसकी
की जाय पूजा
इसका भी नहीं
मुझे कोई भान ।
हृदय के अंतः स्थल से
मैं बस
अनुरागी हूँ
स्वयं के ही
प्रेम में डूबी
वीतरागी हूँ ।
लोग सोचते हैं
प्रीत में वैराग्य कैसा
मुझे लगता है
वैराग्य नहीं तो
राग कैसा ?
जब भी हुआ है
आत्मा से
मिलन आत्मा का
मन्दिर के घंटों से
राग सुनाई देते हैं
ध्यान की अवस्था में तब
ब्रह्मांड दिखाई देते हैं ।
कहने को तो लोग
इसे भी कह देते हैं
पाखंड ,
लेकिन --
मेरा भी विश्वास है
अखंड
प्रेम पाने के लिए जब तुम
आत्मा की गहराई में जाओगे
नहीं रहोगे वंचित फिर
स्वयं को पूर्ण पाओगे ।।