न्याय ....???
>> Monday, June 9, 2014
आज भी किसी पेड़ पर
टंगा है एक शव
भीड़ भी जुटी है भव्य
हो रही है आपस में बत कुचनी
किसकी होगी भला ये करनी
दांत के बीच उंगली दबाये
दृश्य देख रहे थे लोग चकराए
किसका होगा ये दुस्साहस
किसने ये जघन्य कर्म किया
टांगना ही था पेड़ पर तो
अंग भंग क्यों किया
मिडिया ने भी बात को
कुछ इस कदर उछाला
शर्मसार हो नेताओं को
जवाबदार बना डाला ।
कहा नेता ने इसकी
सी बी आई जांच करायेंगे
दोषी को इस अपराध की
ज़रूर सजा दिलाएंगे ।
न जाने कितनी टंगी देह का
इंतज़ार इंतज़ार ही रह गया
अभी तक तो किसी भी देह को
न्याय नहीं मिला
उठ गया है विश्वास अब
कानून और न्याय से
इसी लिए आज न्याय कर दिया
अपने हाथ से ।
भीड़ ये विभत्स दृश्य देख रही थी
पेड़ पर आज मादा की नहीं ,
नर की देह थी ।
है ये मेरी कल्पना
पर सच भी हो सकती है
कोई ज़ख़्मी औरत
रण चंडी भी बन सकती है ।