धार दिए बैठे हैं .....
>> Friday, March 26, 2021
सूरज से अपनी चमक उधार लिए बैठे हैं
ज़िन्दगी को वो अपनी ख़्वार किये बैठे हैं ।
हर बात पे सियासत होती है इस कदर
फैसला हर गुनाह का ,सब खुद ही किये बैठे हैं ।
बरगला रहे एक दूजे को ,खुद ही के झूठ से
सब अपना अपना एक मंच लिए बैठे हैं ।
फितरत है बोलना ,तोले बिना कुछ भी
बिन पलड़े की अपनी तराज़ू लिए बैठे हैं
हिमायत में किसी एक की इतना भी ना बोलो
अपनी ज़ुबाँ को बाकी भी ,धार दिए बैठे हैं ।
सिक्के के हमेशा ही होते हैं दो पहलू
हर सिक्का अब हम तो हवा में लिए बैठे हैं ।