हु - तू - तू .......
>> Thursday, May 26, 2022
हु तू तू - हु तू तू
करते हुए
खेलते रहते हम
ज़िन्दगी के मैदान में
हर वक़्त कबड्डी ।
हाँलांकि ,
कबड्डी के खेल में
होती हैं दो टीम
और हर टीम में
खिलाड़ी की संख्या
होती है बराबर ।
लेकिन
ज़िन्दगी के मैदान में
होती तो हैं दो ही टीम ,
लेकिन
तुम्हारीअपनी टीम में
होता है एक खिलाड़ी
और वो
तुम स्वयं हो ।
दूसरी टीम में
वो सब जो
जुड़े होते हैं
किसी भी रूप में
तुम्हारी ज़िन्दगी से ,
खुद को
बचाये रखने की
ज़द्दोज़हद
अक्सर बुलवाती रहती है
कबड्डी , कबड्डी , कबड्डी ।
क्यों कि
ज़िन्दगी की हु तू तू में
तुमको जिंदा करने के लिए
कोई साथी नहीं है ।
लड़नी है
खुद ही खुद के लिए
सारी लड़ाइयाँ ।
और इस खेल में
हार की
कोई गुंजाइश नहीं ।