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हु - तू - तू .......

>> Thursday, May 26, 2022

 


हु तू तू -  हु तू तू 

करते हुए

खेलते रहते हम 

ज़िन्दगी के मैदान में 

 हर वक़्त कबड्डी । 

हाँलांकि  , 

कबड्डी के खेल में 

होती हैं दो टीम 

और हर टीम में 

खिलाड़ी की संख्या 

होती है बराबर ।

लेकिन 

ज़िन्दगी के मैदान में 

होती तो हैं दो ही टीम ,

लेकिन 

तुम्हारीअपनी टीम में 

होता है एक खिलाड़ी 

और  वो 

तुम स्वयं हो । 

दूसरी टीम में 

वो सब जो 

जुड़े होते हैं 

किसी भी रूप में 

तुम्हारी  ज़िन्दगी से ,
 
खुद को 

बचाये रखने की 

ज़द्दोज़हद 

अक्सर बुलवाती रहती है 

कबड्डी , कबड्डी , कबड्डी । 

क्यों कि 

ज़िन्दगी की हु तू तू में 

तुमको जिंदा करने के लिए 

कोई साथी नहीं है । 

लड़नी है 

खुद ही खुद के लिए 

सारी लड़ाइयाँ । 

और इस खेल में 

हार की 

कोई गुंजाइश  नहीं ।





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स्वयं का आकलन

>> Monday, May 9, 2022



 7 मई  2022, अपने जन्मदिन पर स्वयं का आकलन 




मैं समन्दर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
मन की लहरें 
आती हैं और 
जग के साहिल से 
टकराती हैं 
भिगो कर साहिल को 
थोड़ा नम कर जाती हैं । 
मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
कोई लहर 
उदासी की तो,
कोई  प्रफुल्लता  लिए 
आती है 
किनारे से टकरा कर 
उच्छवास लिए 
मुझमें ही 
मिल जाती है 
मैं समन्दर 
सब कुछ मेरे अंदर ।
मन मेरा 
एक कुशल 
गोताखोर की तरह 
लगाता रहता है 
मुझमें ही गोता 
ढूँढने को 
कुछ सीपियाँ 
कि मिल जाएँ 
कुछ नायब मोती 
हाथ आती भी हैं 
कुछ सीपियाँ 
लेकिन फिसल जाती हैं 
और फिर मन 
लगा लेता है गोता ।
मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
मेरी लहरों में 
सब कुछ समाता है , 
जो जैसा देता है 
वैसा ही वापस पाता है 
 मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 



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