दरकार रोशनी की
>> Monday, June 17, 2013
मैंने खींच रखा है
अपने चारों ओर एक वृत
और सजा रखा है
चाँद सूरज को
सितारे भी
टिमटिमा रहे हैं
अपनी मध्यम रोशनी में
फिर भी
सारे ग्रह ग्रसित हैं
अंधेरी सी स्याही से
इन ग्रहों की दशा और
ब्रह्मांड का चक्कर
कब मनोकूल होगा
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...