उतरा चाँद मेरे आँगन
>> Wednesday, February 16, 2011
कुछ दिनों से अपने इस प्यारे ब्लॉग जगत से अनुपस्थित रही हूँ ..कुछ लोग इसका कारण जानते हैं शायद और बहुत से लोग नहीं ..जो नहीं जानते वे सोच रहे होंगे की शायद मैं ब्लॉग जगत छोड़ कर चली गयी ..या फिर सोच रहे होंगे कि अब कुछ बचा नहीं होगा लिखने को ... कब तक कवितायेँ ठेलेंगी.परन्तु ऐसा कुछ नहीं है आपलोगों को झेलना तो पड़ेगा ही ..हम यहीं हैं और फिलहाल कहीं जाने वाले नहीं ..हाँ कविताओं के लिए अब तो एक बहुत ही प्यारी और नन्ही सी प्रेरणा भी मिल गई है ..मैं एक नन्हें मुन्ने की दादी बन गई हूँ और उसी की सेवा टहल में व्यस्त हूँ .अब फिर से लौटने की कोशिश कर रही हूँ.. आशा है आप मेरे " बेटू " को अपने आशीर्वचन से जरुर नवाजेंगे .और मेरी अनुपस्थिति के लिए मुझे क्षमा कर देंगे.
Read more...
फ़लक के तारों को देख
जागती थी तमन्ना
कोई एक सितारा
मेरे आँगन में भी उतरे
उतर आया है पूरा चाँद
मेरी बगिया में
और रोशन हो गयी है
मेरी बाड़ी उसकी चांदनी से
चमक गया है हर पल जैसे
मेरे धूमिल पड़े जीवन का
मिल गया है मकसद जैसे
मुझे अपनी ज़िंदगी का .
मेरी ज़िंदगी की धुरी का वो
केन्द्र बन गया है
मेरे घर एक नन्हा सा
फरिश्ता आ गया है ....