2021 की सीख ......
>> Friday, December 31, 2021
मैं बीस इक्कीस -
देखता हूँ आज जब
क्या वक़्त था
एक वर्ष पूर्व
मेरे आगमन से पहले
उम्मीद बाँधे दुनिया
कर रही थी मेरा इंतज़ार
बहुत बेसब्री से ,
बदलेगा साल तो
कुछ उम्मीदें जवाँ होंगी
कोरोना के कहर से
कुछ तो राहत होगी ।
मैं भी था खुश कि
कितनी हसरत से
देख रहे सब मुझको
एक दूसरे को कह रहे कि
आने वाला वर्ष
मुबारक सबको ।
आज जब
दिन है अंतिम मेरा
तो फिर सबको इंतज़ार हैं
आगत के स्वागत को
सबका दिल बेकरार है ।
कोस रहे हैं अब मुझको
कि , ये साल -
लाया था अपने साथ
भयानक त्रासदी
कोरोना की दूसरी लहर ने
न जाने कितनों की
बगिया उजाड़ दी
खैर -
अब तो जा ही रहा हूँ
लेकिन ,एक बात कहता हूँ
नए साल में
कैलेंडर बदलता है
साल बदलता है
बाकी सब ऐसे ही चलता है
कोई आता है , कोई जाता है
कहीं शोर तो कहीं सन्नाटा है ।
एक गुज़ारिश है सबसे
भुला दीजियेगा विगत
बीस बाईस का करिए
खुशियों से स्वागत ।
उम्मीद की डोरी को
हमेशा थामे रखना
और मुझे दोस्तों
अब अलविदा कहना ।