नहीं आता ( ग़ज़ल )
>> Thursday, September 9, 2021
गुनगुनाती हूँ दिल में ,लेकिन गाना नहीं आता
तभी तो सुर में तेरे सुर मिलाना नहीं आता ।
अफ़सुर्दा होती हूँ यूँ ही बेबात मैं जब भी
किसी को भी मेरा मन बहलाना नहीं आता ।
बेचैनियाँ इतनी घेरे हैं हर इक लम्हा
दिल को मेरे क्यूँ करार पाना नहीं आता ।
बेरौनक सी अपनी ज़िन्दगी पर मुझे
अब जैसे कभी प्यार लुटाना नहीं आता ।
डूबी रहती हूँ बेतरतीब ख़यालों में रात भर
आँखों में कोई ख़्वाब सुहाना नहीं आता ।
बदनीयत हो गयी सारी दुनिया ही जैसे
किसी को भी एहसास निभाना नहीं आता ।
डूब जाते है लोग साहिर के कलामों में
इमरोज़ सा अमृता को चाहना नहीं आता ।
अंधेरों में ज़िन्दगी के भटकते हैं दरबदर
क्यूँ आस का दिया " गीत " जलाना नहीं आता ।
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( सर्वाधिकार सुरक्षित )/ ग़ज़ल
50 comments:
उफ्फ उफ्फ उफ्फ! क्या कमाल की ग़ज़ल हुई है। एक एक शेर बब्बर शेर है। साहिर, अमृता, इमरोज वाला बिम्ब तो कमाल।
उफ् उफ्…गजब की ग़ज़ल, गजब की ….क्या कहूँ शब्द ही नहीं…बस लाजवाब 👏👏👏👏👏
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१०-०९-२०२१) को
'हे गजानन हे विघ्नहरण '(चर्चा अंक-४१८३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बढिया कहा।
अनिता जी ,
आभार
व्वाहहहह
बदनीयत हो गयी सारी दुनिया ही जैसे
किसी को भी एहसास निभाना नहीं आता ।
डूब जाते है लोग साहिर के कलामों में
इमरोज़ सा अमृता को चाहना नहीं आता ।
बेहतरीन..
सादर नमन..
वाह...क्या गज़ल कही!
अगरचे हुआ ये इरादा कि बेशुमार तारीफ करूं
मगर उठा न सकी दीद-ए-जल्वों के नज़ाकत
वाह! वल्लाह ! सुभान अल्लाह !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बढियां गज़ल, बेहतरीन शब्द विन्यास
डूब जाते है लोग साहिर के कलामों में
इमरोज़ सा अमृता को चाहना नहीं आता
वाह!!!
कमाल की गजल।
बहुत ही लाजवाब.... एक से बढ़कर एक।
लिखने को लिखते हैं बहुत मन भावों पर
हर इक को यूँ गजल बनाना नहीं आता
लाजवाब गजल।
बदनीयत हो गयी सारी दुनिया ही जैसे
किसी को भी एहसास निभाना नहीं आता ।
–दिल को सुकून देती रचना
-उम्दा ग़ज़ल
अंधेरों में ज़िन्दगी के भटकते हैं दरबदर
क्यूँ आस का दिया " गीत " जलाना नहीं आता ।
बहुत खूब
बहुत सुन्दर !
इमरोज़ का एकाकी और बिना शर्त वाला प्यार कर पाना बहुत मुश्किल काम है.
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय गजल
वाह ... बहुत कमाल के शेर हैं सभी ...
अमृता इमरोज़ के खया ले कर बुना शेर बेमिसाल है ... हर शेर ताजगी का एहसास लिए है ...
एक सुझाव ... (क्षमा के साथ) ... गज़ल के पहले शेर में दोनों लाइनों में एक सा अंत रखें ... जैसे "...ना नहीं आता" .... शब्दों के चितेरों के लिए बहुत आसान है ये करना ...
सभी पाठकों का हार्दिक आभार ।
** नासवा जी ,
आपके सुझाव का आगे से ध्यान रखूँगी , वैसे भी मुझे ग़ज़ल लिखना आता नहीं है , बस सीख रही हूँ अपनी ही कोशिशों से ।पुनः शुक्रिया ।
वाह बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीया दी।
बहुत ही सुंदर गजल
नासवा जी के सुझाव के अनुसार सुधार का प्रयास किया है ।
आभार 🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर बेहतरीन गजल, हर शेर मन को छूने में कामयाब रहा । सुंदर गजल तथा सुन्दर शब्द विन्यास के लिए बधाई आपको ।
इतनी बढ़िया ग़ज़ल पढ़कर कौन कहेगा आप सीख रही है। आप बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखती हैं। आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें। सादर।
वाह ! जिंदगी के विभिन्न अहसासों को बयान करती बेहतरीन गजल,दिल को बहलाना तो खुद ही सीखना पड़ता है, खूबसूरत अंदाज !
जी दी,
आपकी मन छूती बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ते हुए जो भाव
उत्पन्न हुए उसे लिख रहे हैं-
---/----
गाना आये न आये सुर में सुर मिलाती रही
सरगम की धुन पर ग़म अपना सजाती रही
किसी का मन बहले मेरे अंगारों पे चलने से
जलाकर जिगर ख़ुद को राख़ बताती रही
अपनी बेचैनियों का पैरहन लपेटे रातदिन
उनकी सुकून के लिए हर रस्म निभाती रही
रौनके हयात न मिला ताउम्र ख़्वाहिश रही
टूटी किर्चियों से उनका आशियां सजाती रही
ख़्वाबों की गलियों में भटकी तन्हा देर तक
नींद के भरम में पलकों का बोझ उठाती रही
प्रेम में डूबी हुई किस्सों की छेड़खानी पर
दिल के दरवाज़े पर दिया रोज़ जलाती रही।
----
सप्रेम
सादर।
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सभी सुधीजनों का हृदय से आभार ।
* अमृता तन्मय जी ,
तारीफ का अंदाज़ बहुत भाया , शुक्रिया ।
** सुधा जी ,
चलते चलते आपने भी एक शेर लिख ही दिया । शुक्रिया ।
*** प्रिय श्वेता
अब तुमको क्या कहूँ ?
ग़ज़ल के जवाब में पूरी ग़ज़ल ही इनायत कर दी । हर शेर गज़ब का । इस ग़ज़ल को अलग से अपने ब्लॉग पर पोस्ट करो ।
रौनके हयात न मिला ताउम्र ख़्वाहिश रही
टूटी किर्चियों से उनका आशियां सजाती रही
क्या लिखा है 👌👌👌👌👌👌 बहुत खूब ।
कितना शुक्रिया करूँ ?
सस्नेह
बहुत ही सुंदर सृजन
बेहतरीन रचना.....
हृदयस्पर्शी अशआरों से सजी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ।
वाह!! गहन एहसास समेटे, बेहतरीन ग़ज़ल।
वाह ! बड़ी ही सुन्दर गजल लिखी है आपने। इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। Zee Talwara
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल
वाह
वाह! शानदार ग़ज़ल हर शेर लाजवाब हर शेर मुकम्मल।
अर्थ से परिपूर्ण सृजन।
सुंदर, सार्थक रचना !........
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
अरे वाह 👌👌
बहुत ही शानदार गज़ल
बहुत ही सुंदर सृजन
सार्थक गज़ल _/\_
शानदार रचना...
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल,
badi hi shandar rachna hai, thanks,
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
बहुत बढ़िया, बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images
कुछ आए न आए लेकिन मन को हारना नहीं आना चाहिए
बहुत ही खूबसूरत रचना
बहुत सुंदर ग़ज़ल 🙏
वाह बहुत खूब संगीता जी । बहुत ही उम्दा ।
पावन होली कीशुभकामनाएं......
आप की लिखी.....
इस खूबसूरत पोस्ट को......
दिनांक 20/03/2022 को
पांच लिंको का आनंद पर लिंक किया गया है। आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद।
डूब जाते है लोग साहिर के कलामों में
इमरोज़ सा अमृता को चाहना नहीं आता
पुनः पढ़ने आयी... अच्छा लगा
डूब जाते है लोग साहिर के कलामों में
इमरोज़ सा अमृता को चाहना नहीं आता ।
अंधेरों में ज़िन्दगी के भटकते हैं दरबदर
क्यूँ आस का दिया " गीत " जलाना नहीं आता ।
पाँच लिंकों की सीढ़ी चढ़कर आज आपकी इस सुन्दर और भावपूर्ण गजल तक पहुँची।आनन्द आ गया पढकर।यूँ गजल के कायदों से अनभिज्ञ हूँ पर पढ़ने में खूब अच्छा लगता है।और आपकी पोस्ट पर गुणीजनों की प्रतिक्रियाएँ ही मन मोह लेती हैं।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए 🙏🙏श्वेता की गजल नहले पे दहला 👌👌😄🙏
विभा जी
पुनः आभार ।
@ प्रिय रेणु ,
सच तो ये है कि ग़ज़ल के कायदे से मैं भी अनभिज्ञ हूँ । लेकिन सुधार के लिए मुझे गुणी जन मिल जाते हैं । तुमको ग़ज़ल पसंद आई ,इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया ।
श्वेता तो श्वेता हैं , गज़ब लिखती है । दहले से ज्यादा ग्यारह मारा है ।।😄😄
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