नवगीत ...... उड़ जाऊँगी ....
>> Sunday, April 3, 2022
तुम गाओ प्रेम - गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी
गाते गाते ही एक दिन
चिड़िया बन उड़ जाऊँगी।
ढूँढोगे जब तुम मुझको
हाथ नहीं मैं आऊँगी
दाना भी डालोगे तो मैं
इधर उधर हो जाऊँगी ,
तुम गाओ प्रेम गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी ।
दर पर आकर तेरे मैं
सात सुरों में गाऊँगी
झांकोगे जब खिड़की से
पत्तों में छिप जाऊँगी ,
तुम गाओ प्रेम गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी ।
थक हार कर जब कभी
हताश हो कर बैठोगे
धीरे धीरे दबे कदमों से
पास तुम्हारे आऊँगी ,
तुम गाओ प्रेम गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी ।
पास देख कर शायद तुम
खुश हो जाओ क्षण भर को
पाना चाहोगे गर मुझको
दूर आकाश उड़ जाऊँगी ,
तुम गाओ प्रेम - गीत
विरह गीत मैं गाऊँगी ।।