कमी रही ......
>> Saturday, November 22, 2014
हुनर के पंख लिए हम तकते रहे आसमाँ
पंखों में परवाज़ के लिए हौसले की कमी रही ।
मन के समंदर में ख्वाहिशों का सैलाब था
सपनों के लिए आँखों में नमी की कमी रही|
चाहा था कि इश्क़ करूँ मैं तुझसे बेइंतिहां
पर मेरी इस चाहत में कुछ जुनूँ की कमी रही|
चाहत थी कि बयां कर दूँ मैं दिल की हर बात
पर तेरे पास हमेशा ही वक़्त की कमी रही ।
पर तेरे पास हमेशा ही वक़्त की कमी रही ।
गर अब तू चाहे कि बैठ गुफ़्तगू हो घड़ी दो घड़ी
पर अब हमारे दरमियाँ मजमून की कमी रही ।
अब रुखसती के वक़्त क्या करें शिकवा गिला
आपस में जानने को कुछ समझ की कमी रही ।