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बहना चाहती हूँ .....

>> Friday, May 7, 2021

 


छठे दशक का


अंतिम  पायदान
जीवन में अक्सर
आते  रहे
नित नए व्यवधान,
खोजती रही
उनके स्वयं ही
समाधान,
कभी मिले
कभी नहीं भी मिले
बस
खुद से जूझ कर
खुद से टकरा कर
टूटती रही
जुड़ती रही ,
आज उम्र के
इस पड़ाव पर
सोचती हूँ
क्या मिल गया
मुझे अपना
मक़ाम ?
नहीं !
क्यों कि
जिस दिन
मिल जाएगा
मक़ाम तो ,
नही बचेगी
जिजीविषा
और  मैं
अपने हौसले
खोना नहीं चाहती
मौत से पहले
मरना नहीं चाहती ।
चाहा था कभी
कि -
ज़िन्दगी में
ठहराव आये
लेकिन मन कब
ठहर पाया है ?
 खुद की ही
चाहतों को
हमने स्वयं ही
ठुकराया है ,
न अब ज़िन्दगी से
कोई शिकवा है
न ही किसी से
शिकायत
अब सौंप दिया है
मैंने खुद को
वक़्त के हाथ,
बस चाहिए मुझे
थोड़ा उसका साथ ।
मंथर गति से 
नदी की तरह 
बहना  चाहती हूँ 
उच्छवास रहित ज़िन्दगी 
बसर करना चाहती हूँ । 

42 comments:

yashoda Agrawal 5/07/2021 10:19 AM  

नही बचेगी
जिजीविषा
और मैं
अपने हौसले
खोना नहीं चाहती
मौत से पहले
मरना नहीं चाहती ।
चाहा था कभी
कि -
ज़िन्दगी में
ठहराव आये
लेकिन मन कब
ठहर पाया है ?
सादर नमन

मुदिता 5/07/2021 10:51 AM  

मंथर गति से बहना चाहती हूँ ....आमीन!!💐💐💐💐 जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएं दी

girish pankaj 5/07/2021 11:01 AM  

बहुत सुंदर। बधाई।

रश्मि प्रभा... 5/07/2021 11:03 AM  

नदी बन जाने की ख्वाहिश ही जीवन का खूबसूरत मोड़ है ... बहना है निरन्तर गन्तव्य की ओर

Anupama Tripathi 5/07/2021 11:06 AM  

बहुत सुंदरता से स्वयं को अभिव्यक्त किया!! जन्मदिन की बधाई एवं अनेक अनेक शुभकामनाएं दी💐😊❤!!!

Anupama Tripathi 5/07/2021 11:07 AM  

बहुत सुंदरता से स्वयं को अभिव्यक्त किया!! जन्मदिन की बधाई एवं अनेक अनेक शुभकामनाएं दी💐😊❤!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/07/2021 11:21 AM  

@@ यशोदा ,
बहुत बहुत शुक्रिया

@@ मुदिता
खूब सा स्नेह

@@ गिरीश जी ,
आभारी हूँ ।

@@ रश्मि जी ,
बहुत बहुत शुक्रिया

@@ अनुपमा
प्यारी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद

Sweta sinha 5/07/2021 12:48 PM  

प्रिय दी,
कुछ पंक्तियाँ...

ज़िंदगी के रहस्यों से
जूझते हुए
चक्खकर खट्टे मीठे पल
स्वाद की कहानियां
गढ़ते हुए
आपने खीचीं थी जो
स्वप्न और यथार्थ की
कुछ आड़ी-तिरछी लकीरें
इंद्रधनुषी कलाकृति बनकर
आपके जीवन के
कैनवास को
सुशोभित करती
रहेगी आजीवन
नये रंगों की
उत्सुक
भारहीन यात्राओं
के साथ।

------
सभी मनोकामनाएं पूरी हों।
जन्मदिन की हार्दिक बधाई दी।
सदा स्वस्थ रहे,खुश रहे धन-धान्य सौभाग्य से परिपूर्ण रहें और मनमुताबिक हर पल जी लें यही कामना करती हूँ।

M VERMA 5/07/2021 1:32 PM  

बहुत सुंदर

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/07/2021 1:38 PM  

@@ प्रिय श्वेता
तुम्हारी शुभकामनाएँ मेरे जीवन में प्रेरणा बने यही इच्छा है । सुंदर और सारगर्भित पंक्तियों के लिए दिल से शुक्रिया ।
स्नेह सहित
दीदी

Anita 5/07/2021 2:54 PM  

जीवन इसी यात्रा का ही तो नाम है, वक्त निरन्तर गतिमान है और मन समय का ही दूसरा नाम है, मन ही गढ़ लेता है अतीत और भविष्य, तभी बंट जाता है समय, वरना वर्तमान के सिवा कब किसी के हाथ वक्त आता है

Onkar 5/07/2021 4:28 PM  

बहुत सुंदर

सदा 5/07/2021 5:44 PM  

जिजीविषा
और मैं
अपने हौसले
खोना नहीं चाहती
... हौसलों के साथ जीवन के हर पल को
अपने मन-मुताबिक आप जियें ...यही दुआएं
🙏🏼🙏🏼 सादर वंदन-अभिनन्दन 💐💐

shikha varshney 5/07/2021 6:21 PM  

एक झील थी जो
अब नदी बनने को मचलती थी 
छोड़ अपना प्रवाह 
सागर से मिलने को तरसती थी .
नदी को मुबारक.  

Sudha Devrani 5/07/2021 6:46 PM  

छठे दशक का
अंतिम पायदान
जीवन में अक्सर
आते रहे
नित नए व्यवधान,
खोजती रही
उनके स्वयं ही
समाधान,
न अब ज़िन्दगी से
कोई शिकवा है
न ही किसी से
शिकायत
यही तो अपनेआप में सबसे बड़ी उपलब्धि है।शिकवे नहीं रहे जान लिया है जीवन को.....बस फिर उच्छ्वास रहित हो चुकी है जिन्दगी...समानांतर विचरण का आनंद उठाया जा सकता है इस मुकाम पर इसी तसल्ली के साथ...।
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं आपको...।

प्रतिभा सक्सेना 5/07/2021 7:49 PM  

योंं ही कलकल करती सरिता-सी,जीवन की कविता-सी,दोनों कूल सरसाती अविरल बहती रहें!
- जन्म-दिन की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 5/07/2021 8:00 PM  

उम्र की गिनतियों को भूलकर अनवरत चलते रहना ही ज़िंदगी है... मुकाम का हासिल होना तो ठहराव है, आनंद तो यात्रा में ही है... आपकी यह यात्रा यूँ ही चलती रहे, पड़ाव दर पड़ाव, दशक दर दशक... बहती रहे इसी तरह निर्बाध!!

रेणु 5/07/2021 10:41 PM  

वाह दीदी, जन्म दिन के बहाने जीवन की उपलब्धियों का लेखाजोखा! सब मनचाहा मकाम नहीं पा सकते। समय के प्रवाह के साथ बहते जाना ही जीवन की नियति है। और एक नारी सदैव ही नदिया सी होती है। उसके प्रवाह का अनुसरण करने में ही नारी जीवन की सार्थकता है। आपकी जीवटता अवरुद्ध ना हो, ये प्रांजलता निर्बाध रहे इसी कामना के साथ जन्म दिन मुबारक हो। आपके

रेणु 5/07/2021 10:43 PM  

आपके उत्तम स्वास्थ्य और यश की कामना करती हूं। सलामत रहिए। हार्दिक शुभकामनाएं और। ढेरों स्नेह आपके लिए,,,🙏🙏❤️❤️❤️❤️,,

Prashant Swarup,  5/08/2021 12:05 AM  

Brilliant Crafting!

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 11:48 AM  

@@ अनिता जी
सच तो वर्तमान ही है , बहुत सही कहा , आभार

@@ ओंकार जी
आभार

@@ सदा
दुआओं के लिए शुक्रिया ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 11:51 AM  

@@ प्रिय शिखा
नदी की
एक सह धारा है
जो साथ साथ
चलती है
बिना रुके
बहने को
प्रेरित करती है ।
शुक्रिया प्यार के साथ

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 11:53 AM  

@@ सुधा जी

पूरी रचना का निचोड़ कह दिया । आभार ।
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 11:54 AM  

आदरणीय प्रतिभा जी ,
आपका आशीर्वाद मिला ,बस और क्या चाहिए । प्रणाम

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 11:57 AM  

@@ सलिल जी
भूल जाती हूँ
उम्र की गिनती
जब एहसास
दिला देता है भाई
कि बस
चलना ही तो
ज़िन्दगी है ।
शुक्रिया

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 12:06 PM  

प्रिय रेणु ,

जन्मदिन के बहाने ही सही लेकिन लेखा जोखा तो रखना अच्छी बात है न ।
तुम्हारी दुआएँ ज़िन्दगी की प्रेरणा बने
सस्नेह

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/08/2021 12:08 PM  

@@ Prashant Swarup, 5/08/2021 12:05 AM

Brilliant Crafting!

Thanks for appreciation .

मन की वीणा 5/08/2021 9:35 PM  

जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं संगीता जी सदा खुश रहिए महफूज रहिए।

सरिता की मद्धम लहरों सी रचना जैसे कोई कथा सुना रहा हो धैर्य के साथ।
सादर।

जिज्ञासा सिंह 5/08/2021 9:55 PM  

आदरणीय दीदी, मधुर स्मृतियों से सिंचित, आपके सुंदर जीवन की एक सुंदर काल्पनिक छवि जो हम सबके मन में बसी हुई है,ईश्वर उसको आपके अगले दशक में और खूबसूरत बनाए।आप स्वस्थ और उल्लासमय बनी रहें।
..आपकी जीवन से ओतप्रोत जीवंत कविता मन को मोह गयी,आपको सादर शुभकामनाएँ एवं नमन।

जयकृष्ण राय तुषार 5/09/2021 8:46 AM  

बहुत ही अच्छी कविता |हार्दिक बधाई और शुभकामनायें \सादर अभिवादन

MANOJ KAYAL 5/09/2021 6:36 PM  

मंथर गति से
नदी की तरह
बहना चाहती हूँ


अति सुंदर

Amrita Tanmay 5/10/2021 6:04 PM  

निश्छल, निष्कपट आर्त्त हृदय की अभिलाषा । अति सुन्दर ।

दिगम्बर नासवा 5/11/2021 6:49 PM  

अंतिम पड़ाव क्यों हो जीवन में ... निरंतर सफ़र है तो जैसा हो, जितना हो चलते रहना ही जीवन है ... उम्र के साथ उठते भावों को शब्द दिए हैं आपने ... सुन्दर रचना है ...

Meena Bhardwaj 5/11/2021 8:08 PM  

मंथर गति से
नदी की तरह
बहना चाहती हूँ
उच्छवास रहित ज़िन्दगी
बसर करना चाहती हूँ ।
वाह!! बेहद खूबसूरत सृजन ।

जितेन्द्र माथुर 5/13/2021 7:57 AM  

जन्मदिवस की शुभकामनाएं विलम्ब से दे रहा हूँ आपको। क्षमाप्रार्थी हूँ इसके लिए। जीवन के इस पड़ाव पर सारे शिकवे-शिकायतों से ऊपर उठकर ख़ुद को वक़्त के हाथों सौंप देना बेहद समझदारी का काम है जो आपने किया है। अब मैं यही कामना करता हूँ कि आपके जीवन का शेष भाग आपकी मनोवांछाओं के अनुरूप ही व्यतीत हो, वैसे ही चले जैसा आप चाहती हैं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/14/2021 3:59 PM  

@@ आलोक जी
आभार

@@ कुसुम जी
शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ ।।

@@ प्रिय जिज्ञासा
कविता पसंद करने के लिए और शुभकामनाओं के लिए बहुत से शुक्रिया ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/14/2021 4:04 PM  

@@ जय कृष्ण राय जी
आभार

@@ मनोज जी
शुक्रिया

@@ अमृता तन्मय
बहुत बहुत शुक्रिया

@@ नासवा जी ,
प्रेरणा के लिए आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/14/2021 4:06 PM  

@@ मीना जी
बहुत बहुत शुक्रिया

@@ जितेंद्र जी
शुभकामनाओं के हमेशा ही स्वागत है । देर भले ही हो बस मन में स्नेह हो । आभार ।

Simran Sharma 5/16/2021 10:26 PM  

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