दरकार रोशनी की
>> Monday, June 17, 2013
मैंने खींच रखा है
अपने चारों ओर एक वृत
और सजा रखा है
चाँद सूरज को
सितारे भी
टिमटिमा रहे हैं
अपनी मध्यम रोशनी में
फिर भी
सारे ग्रह ग्रसित हैं
अंधेरी सी स्याही से
इन ग्रहों की दशा और
ब्रह्मांड का चक्कर
कब मनोकूल होगा
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...
77 comments:
अद्भुत भाव!!
इन्तजार और आशा से भरपूर!!
जिस दिन मिली यह रौशनी - जो मेरे भीतर ही घुट गई है ........... उस दिन मैं सूर्य का पर्याय बन जाउँगी
आप की आशा की किरण फूटेगी ...और आपके खींचे वृत में खुशियों की रौशनी भर देगी ....
शुभकामनायें!
आशा बनी रहे तो सवेरा जरूर होता है ..
मंगलकामनाएं आपको !
बस इसका इंतज़ार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...
आशा ही जीवन है .....प्राण है ....प्राणवायु है ...!!आशा बनाये रहें ..
सुन्दर अभिव्यक्ति दी ...
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...
यह रौशनी मिले तो आनंद मिल जाए
सादर आभार !
आशा की किरण से ही जीवन में खुशियाँ मिलती है जिन्दगी में रौशनी से भर देती है,
लाजबाब प्रस्तुति,,,
RECENT POST: जिन्दगी, ....
आकर हि रहेगी वो झीनी सी रौशनी..बस आशा का द्वार खुला होना चाहिए.
अद्भुत भाव हैं.
शब्दों के भाव मन को छूते हैं।
सब के सब एक दिन सिमट आयेंगे।
रोशनी के कण मौजूद हैं आपके वृत्त में भी -बस जगाने की देर है !
बस ये आख़री चक्कर था....
अब सब मनोकूल होगा....रोशनी ही रोशनी.....
:-)
सादर
अनु
bahut sundar ..........roshani ka intjaar hai to jarur aayegi ..........
यही कामना है कि यह झीनी सी रोशनी जल्दी से मिल जाये और आपके मनाकाश को एक दिव्य आलोक से जगमगा दे ! बहुत सुंदर रचना !
वाह ...
di-------
ytharth yahi haiki ek adad roshni ki talaash ham sabhi ko hai;aur vo milegi jald se jald------
poonam
बस एक लकीर ही काफी है रौशनी की ...
उम्मीद और आशा को बेहतर तरीके से जाहिर किया पंक्तियों ने !
उम्मीद का दीपक जलते रहना ही सब कुछ है. सुन्दर अभिव्यक्ति.
बहुत अच्छी रचना
बहुत सुंदर
कब मनोकूल होगा
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार ..aamin ....sundar avm sakaratmak ...
हर हाल में उम्मीद ही जीवन की हर किरण है
रौशनी कब रोके रुकी है सवेरा तो होकर ही रहता है चाहे कितना अंधेरा हो उम्मीद की किरण नहीं छोडनी चाहिये …………सकारात्मक सोच ही जीने को प्रेरित करती है।
उम्मीद बनी रहे तो प्रतीक्षा फल अच्छा ही होता है ... रात के बाद सवेरा तो आता ही है ... प्रतीक के माध्यम से बात रखने का प्रभावी प्रयास ... लाजवाब ...
इन ग्रहों की दशा और
ब्रह्मांड का चक्कर
कब मनोकूल होगा
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार
मन की गुत्थियां हैं जो शायद ताउम्र नही सुलझ पाती, एक को सुलझावो तो दूसरी उलझ जाती है, बहुत सुंदर रचना.
रामराम.
बहुत सुन्दर सार्थक रचना !
घुलने दीजिए उस वृत्त को ... फिर केंद्र के एक बिंदु पर जो रोशनी सिमटी पड़ी है... छिटक पड़ेगी चारों ओर...
हम सभी को है इस झीनी सी रौशनी का इंतज़ार...
उम्मीद है ये झीनी सी रौशनी एक दिन हमें जरुर तृप्त करेगी...
बहुत ही सुंदर .....
आपके जीवन में सुनहरी रोशनी हो
सुन्दर भाव लिए रचना,...
:-)
इन ग्रहों की दशा और
ब्रह्मांड का चक्कर
कब मनोकूल होगा ----------मनोनुकूल होगा कर्मों से .........दशा कर्म फल है ....ग्रह क्या कर लेंगे मेरा ,जो करेगा कर्म करेगा चाहे इस जन्म का या उस जन्म का .बढ़िया प्रस्तुति .
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार
हम सब ऐसे ही वृत्त के भीतर इंतजार करते हैं स्व का?
सभी के मनोभावों को अभिव्यक्ति देती रचना .... आभार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार .
Kitna sundar! Iseekee darkaar to ham sabhee ko rahtee hai!
वाह सुंदर कोमल मनोभाव
सुंदर प्रस्तुति।।। सुंदर मनोभाव!!!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति , सार्थक रचना
asha par ye sara vishva tika hai aur asha insaan ko aage badhane aur pratikool halaton men ladane kee kshamata bhi deti hai .
asha purn jaroor hogi.
एक छोटी-सी रोशनी का इंतज़ार... बहुत गहन भाव, बधाई.
बहुत खूबसूरत रचना , लाजवाब भावों का सुंदर तालमेल
यही रोशनी तो हमारी उम्मीद है..सुन्दर रचना..
aisee roshni ki darkaar kahin na kahin hum sabhi ko hai...umeed karti hoon ki hum sabhi ko is aasha ke ujaale mein nahane ka saubhagya prapt ho...
इंतज़ार के बाद ही आशा की कोपलें फूटती है. सुंदर भाव मन को छू जाते है. बधाई दीदी.
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
lajbab prastuti ke liye sadar aabhar .
bahut achchhi prastuti...
बहुत सुन्दर वाह आप की रचनाएँ गागर में सागर की तरह होती हैं संगीता जी कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कह जाती हैं आप बधाई इस प्रस्तुति पर
बस इसका इंतज़ार
अपने खींचे वृत में
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...
बस कुछ बादल हैं ...उनके छंटते ही ...रौशनी ही रौशनी बिखर जाएगी
अगली पोस्ट प्रतीक्षित रहती है आपकी .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .ॐ शान्ति .
आशा बनी रहे तो रोशनी दूर नहीं...
नि:संदेह, रोशनी जरूर आयेगी.....
adbhut anubhooti
बड़े सशक्त बिम्ब संजोये हैं भाव और अर्थ की शानदार लयकारी समस्वरता .क्या कहने हैं इस भाव अभिव्यक्ति के . .ॐ शान्ति .
आपकी टिप्पणियाँ हमारी शान हैं शुक्रिया .बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए मुबारक बाद और बधाई क्या बढाया .ॐ शान्ति .
achcha laga padh kar
हम जिस वृत्त से आवृत्त हैं उसमें अंधेरे-उजाले का पुनः-पुनः आवर्तन होता ही रहता है।
आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक 30 जून 2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...
bhavpurn-***
sundar bhavmayi aasha nirasha ke jhoole pe jhoolti aapki rachna achhi lagi..kabhi mere blog par aakar mujhe kritarth karein ..dhanyavaad
मेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
सब अंधियारा मिट गया दीपक देख्या माहीं..जैसा भाव है।..आनंदम।
bahut sundar!
hum bhi to isi ummed mein hain :)
शायद हम सभी इसी तरह कभी रौशनी तो कभी अंधेरे के सफ़र में अपना रास्ता ढूँढते रहते हैं...
सुंदर अभिव्यक्ति दीदी!
~सादर!!!
शायद हम सभी इसी तरह कभी रौशनी तो कभी अंधेरे के सफ़र में अपना रास्ता ढूँढते रहते हैं...
सुंदर अभिव्यक्ति दीदी!
~सादर!!!
बस है झीनी सी
रोशनी की दरकार ...
यही रोशनी तो हमारी उम्मीद है..
.....
सुंदर भाव,बहुत बहुत बधाई
बेहतरीन .....!!
शुक्रिया संगीता जी जी उत्साह बढाने का .ॐ शान्ति .चार दिनी सेमीनार में ४ -७ जुलाई ,२ ० १ ३ ,अल्बानी (न्युयोर्क )में हूँ .ॐ शान्ति .
सुंदर रचना।।।
भाव प्रवण प्रेरक पंक्तियाँ !
सुन्दर, गहन अभिव्यक्ति। वृत्त खींच कर अपने मनोभावों का सीमा-निर्धारण बड़ा कठिन होता है। बड़ी बात तो ये ही है कि आपने वृत्त खींच रखा है। और फिर रौशनी तो अथक प्रयास है - जब आएगी, तब तब कुछ उज्जवल होगा, संतृप्त होगा।
'कब मनोकूल होगा
कर रही हूँ
बस इसका इंतज़ार'
यही करते रहते हैं हम... और यही इंतज़ार एक रोज़ रौशनी में पल्लवित होता है!
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया ||
मन को छूते भाव लिए कविता है.
very impressive !
बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!शुभकामनायें.
सुन्दर रचना
बेहतरीन भाव……
सीमायें/बाधाएँ जीवन को बाँधे
हर पल - प्रति पल
रोशनी की एक किरण काफी है अंधेरा मिटाने के लिये।
उम्मीद जगाती प्रस्तुति।
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