copyright. Powered by Blogger.

स्वयं का आकलन

>> Monday, May 9, 2022



 7 मई  2022, अपने जन्मदिन पर स्वयं का आकलन 




मैं समन्दर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
मन की लहरें 
आती हैं और 
जग के साहिल से 
टकराती हैं 
भिगो कर साहिल को 
थोड़ा नम कर जाती हैं । 
मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
कोई लहर 
उदासी की तो,
कोई  प्रफुल्लता  लिए 
आती है 
किनारे से टकरा कर 
उच्छवास लिए 
मुझमें ही 
मिल जाती है 
मैं समन्दर 
सब कुछ मेरे अंदर ।
मन मेरा 
एक कुशल 
गोताखोर की तरह 
लगाता रहता है 
मुझमें ही गोता 
ढूँढने को 
कुछ सीपियाँ 
कि मिल जाएँ 
कुछ नायब मोती 
हाथ आती भी हैं 
कुछ सीपियाँ 
लेकिन फिसल जाती हैं 
और फिर मन 
लगा लेता है गोता ।
मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 
मेरी लहरों में 
सब कुछ समाता है , 
जो जैसा देता है 
वैसा ही वापस पाता है 
 मैं समंदर 
सब कुछ मेरे अंदर । 



37 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा 5/09/2022 2:07 PM  

बहुत सुंदर ..... सब कुछ मेरे अंदर, वाह

रेखा श्रीवास्तव 5/09/2022 2:17 PM  

क्या बात है, सही आकलन।

Anonymous,  5/09/2022 2:22 PM  

बहुत खूब। काश हर कोई कर पाता ऐसा आकलन स्वयं का। बेशक जन्मदिन के3 जन्मदिन :)

Anupama Tripathi 5/09/2022 2:26 PM  

वाकई समुन्दर में कितना कुछ समाया है !! प्रभावशाली रचना दी !!

मन की वीणा 5/09/2022 2:59 PM  

बहुत सुंदर! हाँ सागर ही तो है हर जीवन अथाह रहस्य समेटे ,कभी विचलित कभी शांत कभी साधु कभी ईष्या भाव ।
बहुत सुंदर आंकलन निज का।
साधुवाद सह पुनः शुभकामनाएं।

Anita 5/09/2022 3:29 PM  

जन्मदिन पर स्वयं को दिया एक खूबसूरत तोहफा ! सुंदर आकलन और बेहतरीन चित्रण ! बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें प्रिय संगीता जी !

Usha Kiran,  5/09/2022 3:45 PM  

मेरी लहरों में
सब कुछ समाता है ,
जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
वाह…बहुत खूब👏👏👏

कविता रावत 5/09/2022 4:34 PM  

मेरी लहरों में
सब कुछ समाता है ,
जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
..बहुत सही

Anonymous,  5/09/2022 4:54 PM  

वाह बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया।

M VERMA 5/09/2022 5:32 PM  

सुंदर और समग्र आकलन

जितेन्द्र माथुर 5/09/2022 6:02 PM  

जन्मदिन की विलम्बित शुभकामनाएं स्वीकार करें संगीता जी। जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है। जीवन को ठीक तरह से जीने के लिए मनुष्य को ऐसा ही होना चाहिए।

Sweta sinha 5/09/2022 6:12 PM  

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १० मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

girish pankaj 5/09/2022 6:37 PM  

अति पवित्र भावनाएँ। जन्म दिन की बधाई।

Jyoti Dehliwal 5/09/2022 8:29 PM  

बहुत सुंदर रचना। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, संगीता दी।

आलोक सिन्हा 5/09/2022 11:16 PM  

बहुत बहुत सुन्दर

रचना दीक्षित 5/10/2022 8:23 AM  

समुंदर से भी विशाल और गहरा विचारों का समंदर🙏🙏

Bharti Das 5/10/2022 10:44 AM  

बहुत सुंदर मोहक आकलन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 5/10/2022 11:13 AM  

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-05-2022) को चर्चा मंच     "जिंदगी कुछ सिखाती रही उम्र भर"  (चर्चा अंक 4427)     पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
-- 
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
--

Anuradha chauhan 5/10/2022 12:58 PM  

बेहतरीन रचना आदरणीया।

Anonymous,  5/10/2022 8:21 PM  

बहुत सुंदर

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/10/2022 11:23 PM  

सभी सुधि पाठकों का हार्दिक आभार ।

yashoda Agrawal 5/11/2022 7:46 AM  

विलम्बित शुभकामनाएं
मैं समन्दर
सब कुछ मेरे अंदर ।
सादर नमन

Sudha Devrani 5/14/2022 5:49 PM  

वाह!!!!
जीवन का सटीक आँकलन...
सचमुच समन्दर सा ही तो है जीवन ।भाव तरंगों से तरंगित ।मन लहर सा...जीवन की आपाधापियाँ और सुख दुख समन्दर में समाहित नदियों से....
समन्दर से इस जीवन में कहा सुना अच्छा बुरा सबकुछ अन्दर ही समाहित है...बहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित आँकलन
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं आपको।

दिगम्बर नासवा 5/14/2022 8:15 PM  

सभी कुछ मन के अन्दर ही तो है ... यहीं से पाना और फिर यहीं दफ़न भी करना होता है ...
गहरी भावपूर्ण रचना है ...

Amrita Tanmay 5/15/2022 2:07 PM  

जी हार्दिक प्रणाम, बिलंब से ही सही आपके दिव्य जन्मदिन के लिए प्रेमोपहार हमारे ब्लॉग पर है। कृपया स्वीकार करें।

Amrita Tanmay 5/15/2022 2:11 PM  

आपके समंदर में हम भी हैं ... नमक की पोटली की भांति।

डॉ विभा नायक,  5/17/2022 8:43 PM  

बहुत सुंदर 🌹जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

Meena Bhardwaj 5/17/2022 10:34 PM  

जन्मदिन की विलम्बित शुभकामनाएं स्वीकार करें । बहुत सुन्दर सृजन ।

जिज्ञासा सिंह 5/23/2022 6:57 PM  

ढूँढने को
कुछ सीपियाँ
कि मिल जाएँ
कुछ नायब मोती
हाथ आती भी हैं
कुछ सीपियाँ
लेकिन फिसल जाती हैं
और फिर मन
लगा लेता है गोता ।
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर । ..वाह दीदी..मन को छूता नायाब सृजन ।आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। देरी से बधाई के लिए क्षमा प्रार्थी हूं,सादर अभिवादन स्वीकार करें।

Jyoti khare 5/26/2022 2:12 PM  

बहुत सुंदर और कमाल की रचना
वाह

Madhulika Patel 5/26/2022 4:44 PM  

बहुत सुंदर रचना,सच है सब कुछ मन के अंदर के समंदर में ही होता है ।

रेणु 5/27/2022 11:06 PM  

वाह क्या बात है प्रिय दीदी ! सच में स्वयं का कोई ओर -छोर नज़र नहीं आता ये तो मेधा के दोहन से स्वयं की प्रतिभा को खूब विस्तार मिलता है।जन्म दिन पर स्वयं का इससे अच्छा विश्लेषण और क्या होगा।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको ।🌺🌺♥️♥️🌷🌷🎀🎀🎉🎊🎁🎍🌹🌹🎈🎈🙏

डॉ 0 विभा नायक 5/29/2022 3:34 PM  

ji man to hai hi agaadh samundar, bahut sundar rachna. badhai

विश्वमोहन 8/24/2022 7:00 PM  

कभी भ्रम की भाटा
कभी उम्मीदों का ज्वार।
कभी पूनम की चांदनी
कभी अमा का अंधकार।

कभी लाघव का लघुचाप
कभी गरिमा का बवंडर।
भाव सलिलाओ का समागम
में हूं जिजीविषा का समंदर।

जन्मदिन की शुभकामनाएं🌹🌹🌹🌹🌹🌹

muhammad solehuddin 12/20/2022 10:37 AM  

अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
greetings from malaysia
let's be friend

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है...

आपकी टिप्पणियां नयी उर्जा प्रदान करती हैं...

आभार ...

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

About This Blog

आगंतुक


ip address

  © Blogger template Snowy Winter by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP