स्वयं का आकलन
>> Monday, May 9, 2022
7 मई 2022, अपने जन्मदिन पर स्वयं का आकलन
मैं समन्दर
सब कुछ मेरे अंदर ।
मन की लहरें
आती हैं और
जग के साहिल से
टकराती हैं
भिगो कर साहिल को
थोड़ा नम कर जाती हैं ।
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
कोई लहर
उदासी की तो,
कोई प्रफुल्लता लिए
आती है
किनारे से टकरा कर
उच्छवास लिए
मुझमें ही
मिल जाती है
मैं समन्दर
सब कुछ मेरे अंदर ।
मन मेरा
एक कुशल
गोताखोर की तरह
लगाता रहता है
मुझमें ही गोता
ढूँढने को
कुछ सीपियाँ
कि मिल जाएँ
कुछ नायब मोती
हाथ आती भी हैं
कुछ सीपियाँ
लेकिन फिसल जाती हैं
और फिर मन
लगा लेता है गोता ।
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
मेरी लहरों में
सब कुछ समाता है ,
जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
37 comments:
बहुत सुंदर ..... सब कुछ मेरे अंदर, वाह
क्या बात है, सही आकलन।
बहुत खूब। काश हर कोई कर पाता ऐसा आकलन स्वयं का। बेशक जन्मदिन के3 जन्मदिन :)
वाकई समुन्दर में कितना कुछ समाया है !! प्रभावशाली रचना दी !!
बहुत सुंदर! हाँ सागर ही तो है हर जीवन अथाह रहस्य समेटे ,कभी विचलित कभी शांत कभी साधु कभी ईष्या भाव ।
बहुत सुंदर आंकलन निज का।
साधुवाद सह पुनः शुभकामनाएं।
जन्मदिन पर स्वयं को दिया एक खूबसूरत तोहफा ! सुंदर आकलन और बेहतरीन चित्रण ! बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें प्रिय संगीता जी !
मेरी लहरों में
सब कुछ समाता है ,
जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
वाह…बहुत खूब👏👏👏
मेरी लहरों में
सब कुछ समाता है ,
जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर ।
..बहुत सही
वाह बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया।
सुंदर और समग्र आकलन
बहुत खूब
जन्मदिन की विलम्बित शुभकामनाएं स्वीकार करें संगीता जी। जो जैसा देता है
वैसा ही वापस पाता है। जीवन को ठीक तरह से जीने के लिए मनुष्य को ऐसा ही होना चाहिए।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १० मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
अति पवित्र भावनाएँ। जन्म दिन की बधाई।
बहुत सुंदर रचना। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, संगीता दी।
बहुत बहुत सुन्दर
समुंदर से भी विशाल और गहरा विचारों का समंदर🙏🙏
बहुत सुंदर मोहक आकलन
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-05-2022) को चर्चा मंच "जिंदगी कुछ सिखाती रही उम्र भर" (चर्चा अंक 4427) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बेहतरीन रचना आदरणीया।
बहुत सुंदर
सभी सुधि पाठकों का हार्दिक आभार ।
विलम्बित शुभकामनाएं
मैं समन्दर
सब कुछ मेरे अंदर ।
सादर नमन
वाह!!!!
जीवन का सटीक आँकलन...
सचमुच समन्दर सा ही तो है जीवन ।भाव तरंगों से तरंगित ।मन लहर सा...जीवन की आपाधापियाँ और सुख दुख समन्दर में समाहित नदियों से....
समन्दर से इस जीवन में कहा सुना अच्छा बुरा सबकुछ अन्दर ही समाहित है...बहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित आँकलन
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं आपको।
सभी कुछ मन के अन्दर ही तो है ... यहीं से पाना और फिर यहीं दफ़न भी करना होता है ...
गहरी भावपूर्ण रचना है ...
जी हार्दिक प्रणाम, बिलंब से ही सही आपके दिव्य जन्मदिन के लिए प्रेमोपहार हमारे ब्लॉग पर है। कृपया स्वीकार करें।
आपके समंदर में हम भी हैं ... नमक की पोटली की भांति।
बहुत सुंदर 🌹जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ
जन्मदिन की विलम्बित शुभकामनाएं स्वीकार करें । बहुत सुन्दर सृजन ।
ढूँढने को
कुछ सीपियाँ
कि मिल जाएँ
कुछ नायब मोती
हाथ आती भी हैं
कुछ सीपियाँ
लेकिन फिसल जाती हैं
और फिर मन
लगा लेता है गोता ।
मैं समंदर
सब कुछ मेरे अंदर । ..वाह दीदी..मन को छूता नायाब सृजन ।आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। देरी से बधाई के लिए क्षमा प्रार्थी हूं,सादर अभिवादन स्वीकार करें।
बहुत सुंदर और कमाल की रचना
वाह
बहुत सुंदर रचना,सच है सब कुछ मन के अंदर के समंदर में ही होता है ।
वाह क्या बात है प्रिय दीदी ! सच में स्वयं का कोई ओर -छोर नज़र नहीं आता ये तो मेधा के दोहन से स्वयं की प्रतिभा को खूब विस्तार मिलता है।जन्म दिन पर स्वयं का इससे अच्छा विश्लेषण और क्या होगा।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको ।🌺🌺♥️♥️🌷🌷🎀🎀🎉🎊🎁🎍🌹🌹🎈🎈🙏
ji man to hai hi agaadh samundar, bahut sundar rachna. badhai
Very Nice
कभी भ्रम की भाटा
कभी उम्मीदों का ज्वार।
कभी पूनम की चांदनी
कभी अमा का अंधकार।
कभी लाघव का लघुचाप
कभी गरिमा का बवंडर।
भाव सलिलाओ का समागम
में हूं जिजीविषा का समंदर।
जन्मदिन की शुभकामनाएं🌹🌹🌹🌹🌹🌹
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
greetings from malaysia
let's be friend
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