सिमटी यादें
>> Sunday, November 29, 2015
सपने हों गर आँखों में तो आंसू भी होते हैं
अपने ही हैं जो दिल में ज़ख्मों को बोते हैं |
सूने नयनों से लेकिन बस पानी रिसता है |
नया नीड़ पा कर पंछी कब वापस आते हैं
हर आहट पर बूढ़े फिर क्यों उम्मीद लगाते हैं |
नयी नस्ल की नयी फसल ही तो लहराती है
पुरानी फसल की हर बाली तो मुरझा जाती है |
वक़्त गुज़रता है तो उम्र भी गुज़र जाती है
बची ज़िन्दगी बीती यादों में सिमट जाती है|
सिमटी यादों में ही तो बस हम जीते हैं
गर सपने हों आँखों में तो आंसू भी होते हैं |
37 comments:
सही कहा आपने वक़्त के गुजरने के साथ उम्र भी गुज़र जाती है, शेष रह जाती हैं बस यादें ....
बहुत सुन्दर
बहुत उम्दा कविता
bahut badhiya di
बहुत दिन बाद ..,.कैसी हैं आप ..???खुश रहें स्वस्थ्र रहें .शुभकामनायें .
दिल की बाते दिल से निकली ...
ये जीवन है .....
साल तीस के बाद मिलती हैं...
खुशियाँ, ग़म ,तनाव ,लड़ाई, रुसवाईयां
साल साठ के बाद मिलती हैं...
बेबसी, उदासी .अकेलापन और तनहाइयाँ ...
उम्र के साथ यह अनुभव होने लगता है...मर्मस्पर्शी कविता !!
बिलकुल सच...जीवन का अनुभव...!
सपने है आँखों में तो आँसू भी होते है। सटीक भाव अभिव्यक्ति।
स्वागत फिर से। पहले जैसी उम्दा रचनाओं का इंतज़ार रहेगा।
बहुत सुंदर गीत....
यही जीवन का क्रम है,इसी में कुछ अपनी रुचि का खोज कर अपने जैसों से बाँटते चलें - जैसे आपकी यह कविता !
यही है ज़िन्दगी ... सब चलता रहता है।
जीवन के उतर चढाव को दर्शाती बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, धन्यबाद।
शुभ प्रभात दीदी
आपकी नई रचना देखकर असीम आनन्द मिला
पर रुलाया मत किया करिए
आज की श्रेष्ठ रचना
सादर
धमाकेदार वापसी ........आपका स्वागत है ........बेहतरीन ग़ज़ल
गर सपने हों आँखों में तो आंसू भी होते हैं |
So true!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगवार (01-12-2015) को "वाणी का संधान" (चर्चा अंक-2177) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जीवन संध्या में केवल यादें ही साथ रह जाती हैं। बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत समय बाद आपको ब्लॉग जगत में वापिस देख कर बहुत अच्छा लगा...
Are waaaaah gazal ! Aap jahan b jati hain kamaaal kt deti hain......anubhavi shabd or sach b.......sadar
Jeevan ki sanjh ka katu saty jis se har kisi ko ru-bru hona hai. Behatar hai swayam ko mentally taiyar kar liya jaye aur sweekar kar liya jaye to itna santaap nahi hota..lekin is sab k baawjood bhi dil to dil hai....kabhi kabhi aise manobhaav aa hi jate hain....ant.teh to ham insaan hi hain.
Sunder abhivyakti..sparsh karti hui.
सिमटी यादों में ही तो बस हम जीते हैं
गर सपने हों आँखों में तो आंसू भी होते हैं |
\.. सच सपने और यादें न हो तो जिंदगी जीना दुश्वार हो जाय .एक बड़ा सहारा है जिंदगी में इनका ...
..मर्मस्पर्शी रचना ... बहुत दिन बाद लिखी आपने पोस्ट ..
इतने दिनों के बाद कितनी सशक्त रचना के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है संगीता जी ! हमने आपको बहुत मिस किया है ! मन को उद्वेलित करती बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति !
सिमटना ही यादों का स्वभाव है।
उदास अभिव्यक्ति , मंगलकामनाएं आपको !
सुंदर अभिव्यक्ति। जीवनदर्शन का सुंदर चित्रण।
Good job buddy
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति.....
बहुत सुंदर रचना । मेरी ब्लॉग पैर आपका स्वागत है ।
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर रचना |ब्लाग पर आने हेतु आपका हृदय से आभार
‘‘वक़्त गुज़रता है तो उम्र भी गुज़र जाती है
बची ज़िन्दगी बीती यादों में सिमट जाती है ।’’
वक़्त गुज़रता है तभी तो यादें अस्तित्व में आती हैं ।
प्रभावशाली रचना ।
आँखें तो सब कुछ संजो के रखती हैं सपने हों ता आंसू ... बहुत ही भावपूर्ण दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति है ...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 17 दिसम्ब 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!!बहुत खूब!!
"निर्गुण" की याद दिलाती हुई रचना ... जीवन-सार का विस्तार
नया नीड़ पा कर पंछी कब वापस आते हैं
हर आहट पर बूढ़े फिर क्यों उम्मीद लगाते हैं |////
👌👌👌👌🌹🌹🙏🙏
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