मधुसूदन
>> Friday, January 15, 2016
ऐ मेरे ,
क्या सम्बोधन दूँ तुमको
मैं तुमको सर्वस्व मानती हूँ
इसीलिए तुमको मधुसूदन
पुकारती हूँ , तो
ऐ मेरे मधुसूदन !
नहीं चाहती कि ,
मैं बनू कोई राधा ,
या फिर मीरा ,
न ही रुकमणि
और न ही सत्यभामा ।
मैं तो चाहती हूँ
बनू बांसुरी तेरी
जो रहती थी
तेरे अधरों पर ,
एक हल्की सी
फूँक से ही
सारी सृष्टि
खिलखिला जाती थी
मंत्रमुग्ध सी
तेरे कदमों में
झुक जाती थी ।
मेरी भी ख़्वाहिश है
कि तुम मुझे अपनी
वंशी बनाओ
और अधरों पर रख
कोई ऐसा राग सुनाओं
कि , सारी कायनात
तुझमें समा जाए
और उसमें
एक ज़र्रा मेरा भी हो ,
ऐ मेरे मधुसूदन
मैं तुम्हें
कृष्ण बनाना चाहती हूँ ।
22 comments:
आदरणीय दीदी
चरण स्पर्श
काफी दिनों के बाद
एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली
सादर
यशोदा
मैं तो चाहती हूँ
बनू बांसुरी तेरी
जो रहती थी
तेरे अधरों पर ,
एक हल्की सी
फूँक से ही
सारी सृष्टि
खिलखिला जाती थी
..
बहुत सुन्दर ...
भक्ति-भावपूर्ण सुंदर रचना..
Waaah anupam bhav.....
भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
भक्तिभाव से परिपूर्ण।
वाह...! खूबसूरत !
wahhhhhhhhh bhut hi badhiya
बहुत ही सुंदर पोस्ट। धन्यवाद आपका।
बेहतरीन अभिव्यक्ति …
सुंदर पंक्तियाँ, हृदय अभिवयक्ति
भक्ति में डूबी सुंदर पंक्तिया ।
वंशी ही कृष्ण की पहचान है ।
बहुत ही भावपूर्ण कविता ।
कान्हा के प्रेम में रच बस जाने की चाहत ... मुरली और उसकी धुन बन जाने की चाहत ....
बहुत समय बाद ब्लॉग पे आया पर अनद का सागर लिए जा रहा हूँ ... बेहतरीन रचना ...
भावपूर्ण कविता
bahut sunder post .
बहुत ही प्यारी रचना.....ऐसी ही रचनाओं का इंतज़ार रहता है......संगीता जी आपकी यह रचना बेहद दिलचस्प है.....ऐसी ही अन्य रचनाओं को आप शब्दनगरी में भी प्रकाशित कर अन्य पाठकों से भी अपनी रचनाओं को रूबरू करा सकेंगी....
ऐसी ही भक्ति ही आशा तो रही है
अति सुन्दर भाव
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ऐ मेरे मधुसूदन
मैं तुम्हें
कृष्ण बनाना चाहती हूँ ///
क्या बात है प्रिय दीदी!।कृष्ण के प्रति निष्ठा की पराकाष्ठा!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई और शुभकामनाएं!!🙏🙏🌺🌺🌷🌷
मेरी भी ख़्वाहिश है
कि तुम मुझे अपनी
वंशी बनाओ
और अधरों पर रख
कोई ऐसा राग सुनाओं
कि , सारी कायनात
तुझमें समा जाए
और उसमें
एक ज़र्रा मेरा भी हो ,
भक्ति भाव से पूर्ण सराहना से परे लाजवाब रचना
वाह!!!
प्रिय रेणु और सुधा जी
आप लोग यहाँ तक पहुँचे और भावों को आत्मसात कर सराहा ,इसके लिए आभार ।
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