खोज सत्य की
>> Tuesday, July 9, 2013
सत्य की खोज में
दर बदर भटकते हुये
मिली सूर्य रश्मि से
पूछा क्या तुम सत्य हो
मिला जवाब ...हाँ हूँ तो
पर सूर्य से निर्मित हूँ
यूं ही कुछ मिले जवाब
चाँद से तो कुछ तारों से
दीये की लौ से तो
जगमगाते जुगनुओं से
यानि कि
जहां भी उजेरा था
या रोशनी का बसेरा था
नहीं था खुद का वजूद
किसी और के ही द्वारा था
जब की बंद आँखें
तो घना अंधेरा था
अब सत्य को जान गयी
अंधकार को पहचान गयी
गर न हो किसी और की रोशनी
तो ---
ये तम ही तो सत्य है
जो कि सर्वत्र है ।
