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पीड़ा गत वर्ष की

>> Thursday, December 30, 2010


गत वर्ष जाते -जाते 
नव वर्ष के कान में
अपनी पीड़ा यूँ कह गया 
कि आज तुम्हारा 
स्वागत हो रहा है 
तो इतराओ मत 
मैं भी पिछले साल 
यूँ ही इतराया था 
और खुद को यूँ 
भरमाया था. 
पर भूल गया था
कि बीता वक़्त 
कभी लौट कर नही आता 
तुम भी आज खूब
जश्न मना लो
क्यों कि जो 
आज तुम्हारा है 
वो कल तुम्हारा नही होगा 
आज जहाँ मैं खड़ा हूँ 
कल तुम वहाँ होंगे 
और जहाँ आज तुम हो 
वहाँ कल कोई और होगा . 





92 comments:

परमजीत सिहँ बाली 12/30/2010 1:56 PM  

बहुत बढ़िया रचना है।गहरे भाव!

Anonymous,  12/30/2010 1:58 PM  
This comment has been removed by the author.
Anonymous,  12/30/2010 1:58 PM  

कविता के माध्यम से सुन्दर सीख दी है आपने!
वनवर्ष आपको मंगलमय हो!

Anonymous,  12/30/2010 1:59 PM  

कविता के माध्यम से सुन्दर सीख दी है आपने!
नववर्ष आपको मंगलमय हो!

Anita 12/30/2010 2:22 PM  

सच कहा है आपने, हर आने वाला जाने के लिये ही आता है, यह याद रखें तो कितना सरल हो जाये जीवन!

shikha varshney 12/30/2010 2:34 PM  

कुछ पंक्तियाँ याद आ गईं
कल और आयेंगे नगमों की,खिलती कलियाँ चुनने वाले.
मुझसे बेहतर कहने वाले तुमसे बेहतर सुनने वाले.
एकदन सही बात कही आपने.

Aruna Kapoor 12/30/2010 2:46 PM  

सही कहा आपने संगीताजी!..समय का चक्र तो अविरत चल ही रहा है! कितने ही... युग आए और युग चले गए!

नववर्ष आपको मंगलमय हो!

Sushil Bakliwal 12/30/2010 2:46 PM  

आने वाला कल भी जाने वाला है...
नूतन वर्ष आपके लिये शुभ और मंगलमय हो...

मुकेश कुमार सिन्हा 12/30/2010 3:14 PM  

itrane do di....sayad iss naye varsh ke itrane se hamara aane wala samay khushnuma ho jaye...:)

hai na...........

nav varsh ki bahut bahut subhkamnayen..

Kunwar Kusumesh 12/30/2010 3:15 PM  

सच्चाई से लबरेज़.
समझने योग्य गहरी बात.
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

DR.ASHOK KUMAR 12/30/2010 3:16 PM  

बहुत गहरा भाव एवँ सार है आपकी पँक्तियोँ मेँ ।

नववर्ष की शुभकामनायेँ।

आपका मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।

" नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओँ.........गजल "

सदा 12/30/2010 3:28 PM  

बहुत ही खूबसूरत शब्‍दो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ....नववर्ष की शुभकामनायें ...।

Kailash Sharma 12/30/2010 3:32 PM  

बहुत सार्थक कटु सत्य.बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति. नववर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनाएं !

प्रवीण पाण्डेय 12/30/2010 3:35 PM  

विगत की पीड़ा, आगत का सुख, जीवन का यही स्वरूप।

vandana gupta 12/30/2010 3:47 PM  

और यही हर इंसान की ज़िन्दगी का सच है……………सुन्दर प्रस्तुति।

Sadhana Vaid 12/30/2010 4:10 PM  

भविष्य का वर्तमान बनना और वर्तमान का अतीत बनना ही समय चक्र का नियम है ! इस नियम के माध्यम से आपने बहुत सुन्दर सीख दी है संगीता जी ! आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ! नवीन वर्ष आपके लिये हर प्रकार से मंगलमय एवं कल्याणकारी हो यही कामना है ! सुंदर रचना के लिये आभार एवं धन्यवाद !

VARUN GAGNEJA 12/30/2010 4:43 PM  

गीतासार याद दिला गयी..............आपकी यह रचना
अक्षरशः सही अनुभूति वक़्त को ले कर

राज भाटिय़ा 12/30/2010 4:54 PM  

वाह जी बहुत सुंदर जी, धन्यवाद

Dr. Zakir Ali Rajnish 12/30/2010 5:06 PM  

जायज है आपकी पीडा। आने वाले वर्ष आपके जीवन में नई नई उपलब्धियां लाए, यही कामना है।

---------
साइंस फिक्‍शन और परीकथा का समुच्‍चय।
क्‍या फलों में भी औषधीय गुण होता है?

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " 12/30/2010 5:15 PM  

jane wale varsh ki sahi naseehat nav varsh ko...
waqt ka har shay gulam...
bhavpoorn rachna.

Mithilesh dubey 12/30/2010 5:53 PM  

बहुत ही खूबसूरत शब्‍दो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ....नववर्ष की शुभकामनायें ...

उपेन्द्र नाथ 12/30/2010 6:27 PM  

संगीता जी , बहुत ही अछि कविता. सुंदर भावों के साथ .....नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .

रंजना 12/30/2010 6:43 PM  

सही कहा..बिलकुल सही...यही भाव मेरे मन में भी आ रहे थे...

सारगर्भित बहुत ही सुन्दर रचना...

Anupama Tripathi 12/30/2010 6:44 PM  

बिलकुल ठीक-सटीक बात -
नववर्ष की शुभकामनाएं

गौरव शर्मा "भारतीय" 12/30/2010 7:40 PM  

बेहतरीन अभिव्यक्ति.......
इश्वर से प्रार्थना है की आपका नववर्ष मंगलमय हो और आप इसी प्रकार हमें अपनी बेहतरीन कविताओं के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान करते रहें !!

फ़िरदौस ख़ान 12/30/2010 8:07 PM  

पर भूल गया था
कि बीता वक़्त
कभी लौट कर नही आता
तुम भी आज खूब
जश्न मना लो
क्यों कि जो
आज तुम्हारा है
वो कल तुम्हारा नही होगा
आज जहाँ मैं खड़ा हूँ
कल तुम वहाँ होंगे
और जहाँ आज तुम हो
वहाँ कल कोई और होगा

बेहतरीन अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

girish pankaj 12/30/2010 8:28 PM  

vaah, idhar to ekdampyari-dulari kavitaa dikh rahi hai. shubhkamanaye.

मनोज कुमार 12/30/2010 8:54 PM  

``वनवर्ष ''
ऊपर शास्त्री जी को वनवर्ष शब्द प्रयोग करते देख पहले तो चौंका, फिर उसके नीचे एक और संदेश देखा, पर पहला संदेश यथावत,जबकि एक और मिटा दिया जा चुका था, तो लगा कि एक कवि की लेखनी से निकला यह शब्द ग़लत हो नहीं सकता फिर इसका अर्थ होगा क्या? सोचने लगा तो उत्तर स्पष्ट हुआ ... अब देखिए ना जो वर्ष “1-1-11'' से शुरु हो वउसे कवि हृदय “वन” वर्ष कह बैठा ,...! तो संगीता जी “वन” वर्ष आपको भी मंगलमय और ख़ुशियों से भरा हो!w

monali 12/30/2010 8:58 PM  

Satya h k jo aaj hai wo kal nahi hoga.. magar behtari isi me hai k bhavishya ki chinta bhul k aaj ka jashn mana lia jae... naye varsh pe to aaj kal sabhi likh rahe hain.. jaate huye varsh ko samarpit ye kavita aapke bhavuk hone ka suboot deti hai :)

अनामिका की सदायें ...... 12/30/2010 9:23 PM  

गीत की अनुभूतियाँ पर गीता का सा उपदेश देती वन-वर्ष (१.१.१.११ ) की ये रचना बहुत अच्छी लगी.

बधाई.

नव वर्ष आप सब के लिए मंगलमय हो.

kshama 12/30/2010 9:39 PM  

Yahi hai,yahi hai,yahi hai samay kee reet!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 12/30/2010 9:59 PM  

संगीता दी!
सिर्फ दो वर्षों की संधि पर यहआलाप नहीं है.. अपितु मनुष्य मनुष्य पर भी लागू होता है.. आज जहाँ तुम हो, कल कोई और था और कल कोई और होगा...
बुलंदी कब तलक इक श्ख्स के हिस्से में होती है,
बड़ी ऊँची इमारत हर समय ख़तरे में होती है!

anshumala 12/30/2010 10:13 PM  

हर आने वाले को एक दिन जाना ही पड़ता है | सही कहा मनोज जी ने ये तो वन वर्ष ही है तो वन और नव वर्ष की शुभकामनाये |

mridula pradhan 12/30/2010 10:32 PM  

jeevan ki asli sachchyee to yahi hai.ek seedhi aur saral baat yad dila di.

संगीता स्वरुप ( गीत ) 12/30/2010 10:41 PM  

सभी पाठकों का हृदय से आभार ...

सलिल जी ,

आपने सही कहा , इस रचना में एक छुपा हुआ सन्देश है ..जो आपने उजागर कर दिया है .. शुक्रिया

VenuS "ज़ोया" 12/30/2010 10:49 PM  

sangeeta di.....aapko naw warsh ki dherooo shubhkaamnaayen......:)..:)
aapke is geet se nyaa saal bhi kush ho jaayega...:)
take care

प्रतिभा सक्सेना 12/30/2010 11:16 PM  

आप की बात बिलकुल ठीक .मैंने पिछली बार और इस बार भी पहले पुराने वर्ष को सम्मान पूर्वक बिदाई दी .उसके बाद नए का स्वागत !

Dr (Miss) Sharad Singh 12/31/2010 12:10 AM  

आपको नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं ! यह नव वर्ष आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करे ।

संजय भास्‍कर 12/31/2010 7:16 AM  

बेहतरीन अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

वाणी गीत 12/31/2010 7:27 AM  

इसको पढ़ते ही कुछ पंक्तियाँ याद आयी , देखा तो सिखा पहले ही लिख चुकी थी कमेन्ट में ...
बीता हुआ समय कभी नहीं आता ...
अच्छे समय को देख ना इतराया जाने
ना बुरे वक़्त पर भी यूँ बिगड़ा जाए
क्योंकि
जो आज है , वो कल नहीं होगा ..
सार्थक सन्देश !
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

रानीविशाल 12/31/2010 7:52 AM  

बिलकुल सही कहा..सार्थक अभिव्यक्ति
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...!!

ashish 12/31/2010 8:30 AM  

सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई कविता . वक्त का पहिया नए साल की तरफ चल रहा है . आपको नए साल की हार्दिक शुभकामनाये .

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति 12/31/2010 8:32 AM  

नए साल पर हार्दिक शुभकामना .. आपकी पोस्ट बेहद पसंद आई ..आज (31-12-2010) चर्चामंच पर आपकी यह पोस्ट / रचना है .. http://charchamanch.uchacharan.blogspot.com.. पुनः नववर्ष पर मेरा हार्दिक अभिनन्दन और मंगलकामनाएं |

संजय कुमार चौरसिया 12/31/2010 8:52 AM  

sundar abhivyakti,


आप को नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं !
आने बाला बर्ष आप के जीवन में नयी उमंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये ! आप परिवार सहित स्वस्थ्य रहें एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे !

नवबर्ष की शुभ-कामनाओं सहित

संजय कुमार चौरसिया

Asha Lata Saxena 12/31/2010 10:36 AM  

बहुत अच्छा लिखा है आपने |बहुत बहुत बधाई
नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 12/31/2010 1:45 PM  

चूँकि अब धीरे-धीरे हम सब एक बिलकुल नए-नवेले साल २०११ में पदार्पण करने जा रहे है,
अत: आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की शुभकामनाये प्रेषित करता हूँ ! भगवान् करे आगामी साल सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!

नोट: धडाधड महाराज की बेरुखी की वजह से ब्लोगों पर नजर रखने हेतु आपके ब्लॉग को मै अपने अग्रीगेटर http://deshivani.feedcluster.com/ से जोड़ना चाह रहा हूँ, जिसके लिए आपकी ईमेल आई डी चाहिए ,अगर कोई ऐतराज न हो तो कृपया उपरोक्त अग्रीगेटर पर खुद login करके अथवा godiyalji@gmail.com पर बताने का कष्ट करे !

अनुपमा पाठक 12/31/2010 3:03 PM  

समय का चक्र चलता ही रहेगा!
सुन्दर रचना!

Dorothy 12/31/2010 4:51 PM  

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.

अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.

आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.

महेन्‍द्र वर्मा 12/31/2010 5:05 PM  

नव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।

निवेदिता श्रीवास्तव 12/31/2010 6:00 PM  

सच कहा आपने हर आने वाला पल को जाना ही है ...
नय वर्ष आपको सपरिवार सुख एवं सम्रिधि प्रदान करे !

Dr Varsha Singh 12/31/2010 6:12 PM  

सुंदर रचना के लिए साधुवाद ढ़ेर सारी बधाईयाँ.
नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !

समयचक्र 12/31/2010 7:08 PM  

नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई .....

वीरेंद्र सिंह 12/31/2010 7:51 PM  

आपने कविता के माध्यम से सच्चाई से परिचय करवाया। बहुत ख़ूब.......


आप व आपके परिवार वालो को नववर्ष के अवसर
शुभकामनाएँ..........................

Patali-The-Village 12/31/2010 8:04 PM  

कविता के माध्यम से सुन्दर सीख दी है आपने!
नववर्ष आपको मंगलमय हो!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') 12/31/2010 11:32 PM  

सुन्दर और सत्याभिव्यक्ति...!!
आपको नव वर्ष की सादर शुभकामनाएं.

Yashwant R. B. Mathur 1/01/2011 12:27 AM  

आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .

सुज्ञ 1/01/2011 12:28 PM  

आपको तो सदैव ही हमारी शुभकामनाएं रहती है यह पाश्चात्य नव-वर्ष का प्रथम दिन है, अवसरानुकूल है आज शुभेच्छा प्रकट करूँ………

आपके हितवर्धक कार्य और शुभ संकल्प मंगलमय परिपूर्ण हो, शुभाकांक्षा!!

आपका जीवन ध्येय निरंतर वर्द्धमान होकर उत्कर्ष लक्ष्यों को प्राप्त करे।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ 1/01/2011 5:04 PM  

संगीता जी,
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

ज्ञानचंद मर्मज्ञ 1/01/2011 5:13 PM  
This comment has been removed by the author.
Dr.J.P.Tiwari 1/01/2011 10:30 PM  

नववर्ष में हमें करना है – एक ‘संकल्प’;
खेलेंगे जरूर ‘खेल जिंदगी का’ क्योकि ,
नहीं है कोई इसका – ‘विकल्प’.
कोई फर्क नहीं पड़ता यहाँ– ‘जर्सी का’
वह लाल हो या पीली, हरी हो या नीली.
वह अध्यात्म की हो, या विज्ञान की ,
किसी संतरी की हो या किसी मंत्री की.

यहाँ शर्त बस एक ही है, बस एकही
खुला रखेंगे दरवाजा - ‘बुद्धि का’,
झरोखा ‘ज्ञान का’, खिड़की ‘विवेक की ’.
नहीं होगा वहाँ कोई ‘झीना’ पर्दा भी ;
किसी ‘भ्रम का’,‘विभ्रम का’,‘लोभ का’…

Dr.J.P.Tiwari 1/01/2011 10:30 PM  

नववर्ष में हमें करना है – एक ‘संकल्प’;
खेलेंगे जरूर ‘खेल जिंदगी का’ क्योकि ,
नहीं है कोई इसका – ‘विकल्प’.
कोई फर्क नहीं पड़ता यहाँ– ‘जर्सी का’
वह लाल हो या पीली, हरी हो या नीली.
वह अध्यात्म की हो, या विज्ञान की ,
किसी संतरी की हो या किसी मंत्री की.

यहाँ शर्त बस एक ही है, बस एकही
खुला रखेंगे दरवाजा - ‘बुद्धि का’,
झरोखा ‘ज्ञान का’, खिड़की ‘विवेक की ’.
नहीं होगा वहाँ कोई ‘झीना’ पर्दा भी ;
किसी ‘भ्रम का’,‘विभ्रम का’,‘लोभ का’…

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ 1/02/2011 6:49 AM  

संगीता माँ,
नमस्ते!
आने वाला पल..... जाने वाला है!
स्वाद आया... सीख मिली!
आभार.
आशीष
---
हमहूँ छोड़के सएई दुनिया पागल!!!

udaya veer singh 1/02/2011 8:06 AM  

priya maim,

pranam

nav varsh ki dher sari shubhkamnayen , sargarbhit rachana
jivan darshan ,ko pratibimbit kar
gaya /mangal ho nav varsh .

रश्मि प्रभा... 1/02/2011 12:46 PM  

आज तुम्हारा
स्वागत हो रहा है
तो इतराओ मत
मैं भी पिछले साल
यूँ ही इतराया था
और खुद को यूँ
भरमाया था. ..
yahi silsila chalta rahta hai, hum sankalpit hote hain aur jab chaaha usse vimukh ho jate hain

kshama 1/02/2011 1:07 PM  

Naya saal bahut mubarak ho!

महेन्‍द्र वर्मा 1/02/2011 7:24 PM  

आज जहाँ मैं खड़ा हूँ
कल तुम वहाँ होंगे
और जहाँ आज तुम हो
वहाँ कल कोई और होगा।

एक शाश्वत सत्य को अभिव्यक्ति दी है आपने अपनी इस सार्थक कविता में।...बहुत सुंदर कविता।
.......
नव-वर्ष मंगलमय हो।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति 1/02/2011 11:42 PM  

sangeeta ji !! पुनः आपको नववर्ष की मंगलकामनाएं...

दिगम्बर नासवा 1/03/2011 3:21 PM  

बहुत खूब ... ये हम सब का ही कसूर है जो समय को इतना खराब कर देते हैं अपने स्वार्थ के चलते ....
आपको और आपके पूरे परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो ...

Majaal 1/03/2011 4:57 PM  

हम तो belated बधाई देने आये थे, आपने तो फलसफाई सुना कर डरा दिया ;)
खैर .. शुभम ...

Renu goel 1/03/2011 8:09 PM  

sangeeta ji , jaane kyun jab jab aapki photo dekhti hoon mujhe apni bachpan ki friend ki yaad aa jaati hai ,, wo bhi kuch kuch aisi hi dikhti thi ... ab wo kahan hai ye tou pata nahin .. par uski yaad hamesha mere sath hai ,... maje ki baat ye hai ki uska naam bhi sangeeta hi hai ..kahn wo aap hi tou nahin ..?

M VERMA 1/04/2011 8:24 AM  

सही है
उत्थान और पतन जीवन के अभिन्न अंग हैं
नववर्ष की शुभकामनाएँ

Dr. Zakir Ali Rajnish 1/04/2011 5:02 PM  

संगीता जी, मन को छू गये आपके भाव। हार्दिक शुभकामनाएं।

---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?

SATYA 1/05/2011 5:07 PM  

बढ़िया रचना.

SATYA 1/05/2011 5:07 PM  

बढ़िया रचना.

POOJA... 1/06/2011 9:57 PM  

सही है... बीतते समय की यही भावना होती है... पर मुझे लगता है कि वो हमेश समझाता है कि हमें आनेवाले समय का स्वागत करना चाहिए...

रचना दीक्षित 1/06/2011 11:10 PM  

एकदन सही बात कही आपने. आपको नववर्ष की मंगलकामनाएं.

सुज्ञ 1/07/2011 5:22 PM  

शिक्षाप्रद है, हर जाने वाला सिखा के जाता है और हर आनेवाला उम्मीदे लेकर आता है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 1/08/2011 3:52 PM  

खूबसूरत शब्‍दो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

palash 1/09/2011 9:27 PM  

सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई कविता .आपको नव वर्ष की सादर शुभकामनाएं ||

Khare A 1/10/2011 12:42 PM  

bahut hi behetreen abhivyakti di
seekh deti hui

aapko nav varsh ki hardik shubkamnaye

Anonymous,  1/10/2011 2:15 PM  

संगीता जी यही तो सृष्टि का नियम है. सर्जन और सर्जन के बाद विसर्जन, जो आया है सो जायेगा लेकिन जो ख़त्म हुआ वो फिर यहीं उगेगा इस माटी में....ये तो नियति का चक्र है. बस अहम् को किनारे कर सब समभाव से स्वीकार कर सकें ये याद रखना आवश्यक है, और यह सीख आपकी रचना से बखूबी मिलती है

आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
सादर
मंजु

मुकेश कुमार सिन्हा 1/10/2011 4:45 PM  

sach kaha gaya hai mere upar wale post me, srijan aur fir visarjan..:)


happy new year di......

Satish Saxena 1/10/2011 5:46 PM  

अच्छी रचना , शुभकामनायें !

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" 1/19/2011 8:18 PM  

kisi k jaane ka bhi jashn manaya jaata hai.........

bachchan sahib ne sahi kaha tha....."swagat ke hi saath wida ki hoti dekhi taiyaari..."..........

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 12/23/2011 10:41 PM  

माली आवत देख के कलियन करे पुकारि
फूले-फूले चुन लिये, कल अपनी भी बारि.

वाह !!!!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 12/23/2011 10:41 PM  

माली आवत देख के कलियन करे पुकारि
फूले-फूले चुन लिये, कल अपनी भी बारि.

वाह !!!!

yashoda Agrawal 12/31/2021 9:27 AM  

शुभकामनाएं..
सादर नमन

Sudha Devrani 12/31/2021 9:41 PM  

सही कहा बीता वक्त लौटकर नहीं आता ..
जिन्दगी की कितनी ही सीख और संदेश छुपे हैं इस रचना मेंऔर कितने सालों बात 11 से 22तक पूरे समय पर खरी उतरी है आज पर भी ..
लाजवाब सृजन।
नववर्ष की कग्रिम शुभकामनाएं।

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