कविताई
>> Wednesday, April 4, 2012
अमावस सी
स्याह रातों में भी
मेरा चाँद मुस्कुराता है
ठुमक ठुमक कर
जब वो मेरी
बाहों में चला आता है ,
स्मित सी रेखा जो
उसके ओठों पर आती है
घने अंधेरे में भी
चाँदनी सी
बिखरा जाती है ,
बोल नहीं फूटे हैं
अब तक
फिर भी
करता है वो
ढेरों बात
हाथ बढ़ा बढ़ा कर वो
अपनी मनवाता है
सारी बात
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
93 comments:
आपने ढूँढ लिया प्यारी सी कविता
बहुत प्यारा बेबी है...
ढेरों शुभकामनाएँ!
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
यही तो है सच्चाई :)
बेटू जी बहुत प्यारे लग रहे हैं !
सादर
मुझे तो फोटो देखकर तुलसी बाबा की पंक्तियाँ याद आई .
वरदंत की पंगत कुंद कली अधराधर पल्लव खोलन की
चपला चमके घन बीच जगे , छवि मोतिन मॉल अमोलन की
घुघरारी लटे लटके मुख ऊपर कुंडल लाल कपोलन की
न्योछावर प्राण करे तुलसी बलि जाऊ लला इन बोलन की
संगीता जी
नमस्कार !!
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
.बहुत सुन्दर भाव सजाये हैं ....ढेरों शुभकामनाएँ !
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर फोटो और उतनी ही प्यारी रचना!...बेटू को ढेर सारा प्यार!
संगीता जी आपको इस कविता के लिए और तुतलाते हुए महाकाव्य के लिए बहुत बधाई । भगवान तो आज जहां -तहां नज़र आने लगे । पर कोई बच्चों सी निर्मल मुस्कान बिखेरे तो जानें !!
आपके ह्रदय से निकले इतने सुंदर शब्द कि हमें ये याद आ गया ...
''कब से नयन इंतज़ार करें ...
आओ लालन तुम्हें प्यार करें ...
दादी की गोदी में खेलें प्यारे ललना
बाबा का आँगन गुलज़ार करे ...''
इसे गाये बिना मन ही नहीं माना ....
बेटू को बहुत प्यार ....!
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया ... अनुपम भाव :)
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई । ......बहुत सुन्दर भाव से
ओत-प्रोत ममत्वपूर्ण सुन्दर रचना
किलकारी में हैं छुपे, जीवन के सब रंग ।
सबसे अच्छा समय वो, जो बच्चों के संग ।
जो बच्चों के संग, खिलाएं पोता पोती ।
दीपक प्रति अनुराग, प्यार से ताकें ज्योती ।
दीदी दादी होय, दीखती दमकी दृष्टी ।
ईश्वर का आभार, गोद में खेले सृष्टी ।
माशा अल्लाह..आपका चाँद यूँ ही कविताई करवाता रहे..
बड़ी प्यारी पोस्ट है संगीताजी ,आपकी यह खुशियाँ सदा यु ही मुस्कुराती रहें, बहुत-बहुत बधाई।
संगीता जी आज लगता है मेरे कमेन्ट नहीं जा रहे है ...!!आपकी कविताई पर भी कुछ लिखा था ...यहाँ नहीं दिख रहा है |स्पैम में देख लीजियेगा |
ह्रदय से निकले शब्द हर्षित कर रहे हैं ...!
बेटू को प्यार ...!!
आसान शब्दों में प्यार झलकाती बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना....
वाकई असली कविता तो इन्हीं मासूम हरकतों में बहती है ...
हो गई लो कविताई :) कितनी सुन्दर कविता हमे भी पढ़वाई
एक दादी का पोते को दिया गया यह तोहफ़ा दिल को अच्छा लगा।
कहीं यह जन्म दिन का उपहार तो नहीं है!
ढ़ेरों बधाइयां, अशेष शुभकामनाएं और आशीष!
बस ये है तो क्या गम है ..
प्यारे प्यारे बिट्टू जी के साथ दादी की प्यारी सी कविताई.
इस चाँद के आगे तो चाँद भी शर्माता है
चाँदी के कटोरे में चाँदनी भरकर देता है .... बहुत अच्छी लग रही हैं आप इस तोत्लू के साथ
एक बात पक्की है................
छोटू सेठ बड़े हो जायेंगे तो अपनी दादी माँ पर कविता ज़रूर लिखेंगे.......
और नहीं लिखेंगे तो अपन लिखवायेंगे.....
:-)
हमारा ढेर सारा प्यार दादी और पोते दोनों को.
अनु
एक बात पक्की है................
छोटू सेठ बड़े हो जायेंगे तो अपनी दादी माँ पर कविता ज़रूर लिखेंगे.......
और नहीं लिखेंगे तो अपन लिखवायेंगे.....
:-)
हमारा ढेर सारा प्यार दादी और पोते दोनों को.
अनु
अरे दी ये स्पाम बड़ा जलता है हमसे.............
जब प्यार दिखाते हैं तब टांग अडाता है.....कुछ कीजिये हमारी टिप्पणियां खा गया है.
:-(
ढेर सा प्यार आप दोनों को.
बच्चों में बड़ों का एक पूरा संसार बसता है।
Didi namaste
badi hi pyaari kavita hain.
aur usse bhi pyaare hain nanhe se
bittu ji.
hum apni saari tanhai in nanhe se
farishto ke aage bhul jaate hain.
जैसा कि हमारे बुजुर्ग कहते आयें हैं कि - " मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है " आपकी बच्चे संग तस्वीर देख कर कुछ ऐसा ही लग रहा है.
सच है कि माँ अपने बेटे को ..कलेजे के टुकड़े को... जान से ज्यादा प्यार करती है ..धीरे-धीरे बड़ा वो तो बड़ा हो जाता है ; परन्तु जब वह अपने माता-पिता को उनका प्रपौत्र
देता है ; तो फिर वे उसी में अपने बच्चे को निहारतें हैं और कहीं उससे भी अधिक..?..क्यों..? क्योंकि हो सकता है पहले अपने बेटे को तो उन्होंने डांटा - मारा भी होगा परन्तु अब वो अपने प्रपौत्र को न कभी डांट पातें है ; न मारना... अरे.. मारना तो दूर की बात दूसरा कोई भले बच्चे की माँ किसी बात पर " उस " पर नाराज हो ..ये तक बर्दाश्त नहीं कर पाते . इतना अधिक उसको प्यार करते हैं .
संगीता जी , आपने उन..सभी स्नेह्हिल. भावों ...एवं..वात्सल्यता को कविताई में सुन्दरता से दिखाया है ; पढ़कर अच्छा लगा .
मीनाक्षी श्रीवास्तव
meenugj81@gmail.com
जैसा कि हमारे बुजुर्ग कहते आयें हैं कि - " मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है " आपकी बच्चे संग तस्वीर देख कर कुछ ऐसा ही लग रहा है.
सच है कि माँ अपने बेटे को ..कलेजे के टुकड़े को... जान से ज्यादा प्यार करती है ..धीरे-धीरे बड़ा वो तो बड़ा हो जाता है ; परन्तु जब वह अपने माता-पिता को उनका प्रपौत्र
देता है ; तो फिर वे उसी में अपने बच्चे को निहारतें हैं और कहीं उससे भी अधिक..?..क्यों..? क्योंकि हो सकता है पहले अपने बेटे को तो उन्होंने डांटा - मारा भी होगा परन्तु अब वो अपने प्रपौत्र को न कभी डांट पातें है ; न मारना... अरे.. मारना तो दूर की बात दूसरा कोई भले बच्चे की माँ किसी बात पर " उस " पर नाराज हो ..ये तक बर्दाश्त नहीं कर पाते . इतना अधिक उसको प्यार करते हैं .
संगीता जी , आपने उन..सभी स्नेह्हिल. भावों ...एवं..वात्सल्यता को कविताई में सुन्दरता से दिखाया है ; पढ़कर अच्छा लगा .
मीनाक्षी श्रीवास्तव
meenugj81@gmail.com
इस दिल के बेहद खूबसूरत एहसास
bacche bhagwan ka hi ek nirmal roop hote hain ....bhagwan ye sukh bhi unhi ko dete hain jo bhagwan ko priye hote hain...shayed aapki syah raato par taras aa gaya bhagwan ko isiliye to khud chale aaye aapko hasane :-)
aur jb vo apka man behlayega to keemat bhi vasool karega na...apni manva kar..!
tanhayi shabd abhi bhi yaad hai aapko ? Ab tak to ye shabd apki dictionary me se mit jana chaahiye tha.(KYA HAI....???)
ab baki kya bacha hai dhoondhne ko ?
sab to paa liya TOTUUU (TOTA) KI TUTLAAHAT ME.
U HI SADA MUSKURATI RAHO. !
बहुत ही बढ़िया मनमोहक रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट में बेबी को कवि-ताई मिल गई ,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बहुत खूबसूरत और प्यार-दुलार से भरपूर..
एक जीवंत,नवनवोन्मेषमयी कविता आपकी बाहों में ,
हम देख कर ही मगन हो गये !
सुंदर अभिव्यक्ति के साथ बेहतरीन रचना
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई । bahut piyari kavita aur piyara chand hai aapka sangeeta jee.....
संगीता दी कहूँ या सुभद्रा दी कहूँ.. सुभद्रा कुमारी चौहान!! मेरा नया बचपन!!
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
बहुत भावपूर्ण लिखा है संगीताजी...... अति सुंदर
इस नन्हे मुन्ने ने कविताई करवा ही ली ...
इन तोतले अनबोलों के साथ स्नेहमय दिन रात की ढेरों शुभकामनायें !
कल 06/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
और देखिये मिल गयी ना कविता ………बस रोज एक नयी कविता चाहिये अब हमे उसके शब्दो के साथ आपके भाव रूप मे ।
बच्चे के प्रेम में बहुत सुन्दर कविता लिख दी है आपने.
इस रचना में बच्चे के प्रति आपका असीम प्रेम और गहरा मातृत्व झलकता है..बहुत ही प्यारी,सुन्दर कविता...
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
....यही एक जीवन का सच है....बहुत प्यारी रचना..आभार
अमावस सी
स्याह रातों में भी
मेरा चाँद मुस्कुराता है
आपका यह चाँद सदा मुस्कुराता रहे .....
शीतल चांदनी घर आंगन में बिखेरता रहे
यही शुभकामनायें !
प्यारी रचना ........
बहुत सुन्दर संगीताजी .....यह कविता क्या ग्रन्थ है .....हर नई जुम्बिश ...हर नयी हरकत ..वह चलना गिरना उसका .....नए भावों का उद्गम स्थल....हर नई कविता का एक पन्ना....
बच्चे तो अपने आप में प्रकृति की लिखी हुयी कविता हैं ... जिसमें सब्द शब्द, भाव और भंगिमाएं स्वत ही उतर आती हैं ... बहुत बहुत शुभकामनायें ...
"अमावस सी
स्याह रातों में भी "
yah pankti kuchh aprtyashit si lagi. kyonki kavita ka sandarbh apka chand sa pota hai.
बौत अच्छी अले वाह !!
हाथ बढ़ा बढ़ा कर वो
अपनी मनवाता है
सारी बात
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
bachchon ki baton me kavita hi kavita hoti hai.
bahut sundar kavita.
आप सभी का प्यार और शुभकामनाएं मिलीं ....आभार
गिरधारी जी ,
यह अमावस की स्याह रात मेरी ज़िंदगी की है जिसमें मेरा चाँद मुस्कान भर कर चाँदनी फैलाता है ...
मुबारक हो...खुद को व्यस्त करने के मकसद...एक के बाद एक निकलते रहने चाहिए...
masum bebi ke saath aap hamesha urjavan rhaen yahi hamari kamna hai
बेबी और कविता ... दोनों ही बहुत प्यारे है ... ढेरों शुभकामनयें ... :)
Waah ! aapko to kavita ka saar mil gaya di....bahut khub ..dadi -pote !
हाथ बढ़ा बढ़ा कर वो
अपनी मनवाता है
सारी बात
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
thhumak chalat raamchndr baajat paijaniyaan .......
ठुमक चलत रामचंद्र ,बाजत पैंजनियां ...
बढ़िया प्रस्तुति -यशोदा का नन्द ला ला जग का दुला रा रे रातों का उजियारा रे
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई । ...
बेहद ही कोमल भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ....बेटू जी
को ढेर सारा प्यार एवं हार्दिक शुभ कामनाएं !!!
पिछले कुछ दिनों से अति व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर आना न हो सका क्षमा सहित.....
इनके साथ बोरियत कहाँ ....
शुभकामनायें आपको !
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई । kya bhaw hain.....ekdam vatsaly se bharpoor......
क्या बात है ,मुखर अनुभूतियाँ , सुन्दर भाव की उपस्थिति बधाईयाँ जी /
उसके तुतलाते शब्दों में कविता के दर्शन स्वयं ही हो जाते हैं । बधाई इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये ।
कविता है ही वहीं। निदा फ़ाज़ली का वह मशहूर शेर ध्यान हो आया।
स्नेह आपके चाँद को..बेहद खूबसूरत :)
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
bahut sunder betu bhi bahut pyara hai bhagvan isko sada hi khush rakhe
rachana
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ...
कितने सुन्दर भाव! मुझे वो तुलसीदास जी की पंक्तियाँ याद आती रहीं... 'ठुमक चलत.. ' :)
कल ही उज्जैन के प्रवास से लौट कर आगरा वापिस आई हूँ ! आज बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आ पाने का सुखद संयोग बन सका है ! इतनी वात्सल्यपूर्ण रचना पढ़ कर मन आल्हादित हो उठा है ! आपको व नन्हे बिट्टू जी को ढेर सारी शुभकामनायें ! बिट्टू जी तो स्वयं एक कविता हैं उनमें आप कविता के अलावा और क्या पाएंगी ! बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ! अति सुन्दर !
saral shabdon mein sundar kavita
मधुर रचना!
आज 08/04/2012 को आपका ब्लॉग नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक किया गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बहुत शुभकामनायें ...!!!!
....मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
बहुत ही सुंदर बेहतरीन पोस्ट,...सगीता जी,..
नये पोस्ट पर स्वागत है,....
सबसे प्रिय व कोमल कविता इसी ममता व स्नेह की अगाध गंगोत्री से ही तो जन्म लेती है । बहुत सुंदर पंक्तियाँ , बधाई । समय अनुमति दे तो मेरी पोस्ट सौगात लायी हूँ मैं चांदनी पर अवश्य पधारियेगा ।
इस भोलेपन से बढ़ कर कविता और क्या हो सकती है.
बहुत बढिया..
बचपन फिर से लौटता, जब पोता हो संग
जीवन के इस मोड़ में, फिर झर आते रंग
फिर झर आते रंग, बोलते तुतली बोली
लुकना छुपना और परस्पर हँसी ठिठोली
एक अनोखा अक्स, दिखाता मन का दरपन
जब पोता हो संग, लौटता फिर से बचपन.
बधाई............
गहन अनुभूतियों से परिपूर्ण इस रचना के लिए बधाई।
waah..masoom aur pawan kriti..
बहुत खूबसूरत प्यार भरी रचना । शुभकामनाएँ ।
मेरा भी प्रणाम व बहुत सारा प्यार दादी और पोते को
वाह ! दादी पोते का चित्र ही सारी कहानी कह रहा है...बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता !
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई .
सुन्दर फोटो और प्यारी रचना.
मेरा चाँद मुस्कुराता है
ठुमक ठुमक कर
बहुत सुन्दर
हमारा ढेर सारा प्यार दादी और पोते दोनों को
उमड़ता वात्सल्य -स्नेहाशीस!
प्रवाह लिए ममत्व से सराबोर बहुत ही सुंदर कविता! बधाई !
प्रवाह लिए ममत्व से सराबोर बहुत ही सुंदर कविता! बधाई !
प्रवाह लिए ममत्व से सराबोर बहुत ही सुंदर कविता! बधाई !
♥
उसको पा कर भूल गयी हूँ मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में ढूंढ रही हूँ कविताई
आहाऽऽहाऽऽ… ! शहद-सी मीठी और मां के प्यार-सी पवित्र कविता !
प्रिय दीदी आदरणीया संगीता स्वरुप जी
सादर प्रणाम !
आपके ब्लॉग पर बहुत अच्छी कविताएं पढ़ने को मिलती हैं …
मैं विस्तार और तसल्ली से कुछ कहने की इच्छा के कारण बहुत बार कमेंट किए बिना ही पढ़ कर लौट जाता हूं … और वापस आते आते काम बढ़ जाता है :(
इसके लिए क्षमा भाव बनाए रहें … :)
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
Bahut pyari rachna......
बच्चे किसी कविता से कम कहाँ होते... बहुत प्यारी रचना, बधाई.
बालमन को अभिव्यक्त करती अच्छी कविता |
बहुत यथार्थमय ममत्व को प्रदर्शित करती पंक्तियाँ!
मैं स्वयं इन पंक्तियों का सुख भोग रही हूँ! बच्चे स्वयं ईश्वर की कविता हैं जो भविष्य में इस दुनिया का सृजन करेंगे!
आपकी कविताएं सदैव अच्छी लगती हैं परंतु अक्सर प्रतिक्रिया रह जाती है; अपना स्नेह बनाए रखें!
हार्दिक धन्यवाद!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
उसको पा कर
भूल गयी हूँ
मैं अपनी सारी तनहाई
उसके तुतलाते शब्दों में
ढूंढ रही हूँ कविताई ।
बहुत यथार्थमय ममत्व को प्रदर्शित करती पंक्तियाँ!
मैं स्वयं इन पंक्तियों का सुख भोग रही हूँ! बच्चे स्वयं ईश्वर की कविता हैं जो भविष्य में इस दुनिया का सृजन करेंगे!
आपकी कविताएं सदैव अच्छी लगती हैं परंतु अक्सर प्रतिक्रिया रह जाती है; अपना स्नेह बनाए रखें!
हार्दिक धन्यवाद!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
bachche to sachmuch bahut pyare hote hai bilkul aapki is pyari kavita ki tarah :)
मत भेद न बने मन भेद- A post for all bloggers
बहुत ही प्यारी रचना दी...
चाँद मुस्काता रहे... जगमगाता रहे...
सादर.
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