फलसफा ज़िन्दगी का
>> Saturday, July 1, 2017
ज़िंदगी की नाव ,मैंने
छोड़ दी है इस
संसार रूपी दरिया में ,
बह रही है हौले हौले ,
वक़्त के हाथों है
उसकी पतवार ,
आगे और आगे
बढ़ते हुये यह नाव
छोड़ती जाती है
पानी पर भी निशान ,
जैसे जैसे बहती है नाव
पीछे के निशान भी
हो जाते हैं धूमिल ,
यह देखते हुये भी
हम खुद को नहीं बनाते
इस दरिया की तरह ,
लगे रहते हैं हम
पुराने निशानों की खोज में
और करते रहते हैं शिकायत कि
दर्द के सिवा हमें
कुछ नहीं मिला ,
चलो आज नाव से ही सीखें
ज़िंदगी का फलसफा
आगे बढ़ने में ही है
असल मज़ा
निशान देखने के लिए
गर नाव रुक जाएगी
अपने पीछे फिर कोई
41 comments:
निशाँ को पानी समेट लेगी, नाव जहाँ तक ले जाती है, वहाँ तक चलो
चलो आज नाव से ही सीखें
ज़िंदगी का फलसफा
आगे बढ़ने में ही है
वाह बहुत ही सुंदर और भावमय, शुभकाकामनाएं.
रामराम
007
बहुत ख़ूब ...
इंसान जिससे भी प्रेरणा ले सके ले लेनी चाहिए और सफ़र में आ जाना चाहिए ...
आपका आगमन सुखद लगा ...
बहुत सुंदर ....
बहुत सुंदर ...आगे बढने फलसफ़ा देती नज्म ....बधाई ..!!
बस चलते जाना है ...बस यूँ ही चलते जाना :) .... अब रुकना नहीं :)
बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
मेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार
हिंदी ब्लॉगिंग दिवस की शुभकामनाएँ :)
सादर
संजय भास्कर
चलने का ही तो नाम ज़िन्दगी है
इसी का नाम जिंदगी है रुकना मना है
Oh kitne dino bad aapko pdha
Bahut achcha lga
वाह दी ,जीवन जीने का अंदाज़ फिर से याद दिला दिया आपने ......
उत्कृष्ट रचना
प्रणाम आदरणीया
बहुत अच्छा लगा एक अरसे बाद ब्लॉग पढ़ना और
आज मैंने भी लगभग दो वर्ष बाद ब्लॉग पर पोस्ट किया है
#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०४२
ब्लॉग पढना व् लिखना दोनों अपने आप में सुखद अनुभव है |
खूब है जिंंदगी के फलसफे....
सुन्दर रचना
बहुत बहुत सुन्दर कविता दी....
बहुत खूब , हार्दिक मंगलकामनाएं आपको !
सार्थक लेखन.....अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
रुको मत ... चलते रहने में ही जीवन का सार है .... सकारात्मक अभिव्यक्ति ... बधाई सहित शुभकामनायें
चलने का फलसफा नोका से बेहत्तर कौन जान सकता है ,चलना ही जिंदगी है।
बढ़ते रहना ही जीवन का उद्देश्य है।
गहरी बात करती अनुभवपूर्ण रचना !!
गहरी बात करती अनुभवपूर्ण रचना !!
संगीता दी, आपको इतने दिनों बाद ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी हो रही है. और यह कविता आपके उन दिनों की रचनाओं की याद दिलाती है... हमेशा की तरह सुन्दर चित्र और प्रेरक कविता!!
अच्छी लगी कविता.
हमेशा की तरह चंद पंक्तियों में ज़िन्दगी का फलसफा समझा दिया .....बढ़िया प्रस्तुति दी
निशान को मिटाना दरिया का काम है और निशान बनाना नाव का , पर खास बात ये कि निशान खुद ब खुद मिटते चले जाते हैं आगे बढ़ते रहने पर , तो बस चलते रहो ,चलते रहो
bahut sundar ...jindgi ki kahani ---chand panktiyon me samet di....mere blog par bhi padhare ....sangeeta jee ..
सदा की तरह आप को पढ़ना और कुछ सीखना अच्छा लगा ....
स्वस्थ रहें |
सादर नमन
सुन्दर।
जिंदगी का फ़ल्सफ़ा नाव के प्रतीक से सीधा -सीधा समझ आता है। सुन्दर रचना।
बहुत सुंदर रचना संगीता जी, लाज़वाब👌
jeevan ki seekh deti hui sundar rachna ..
बहुत बढ़िया
बहुत से7नदर रचना।
बेहतरीन फलसफा ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 17 दिसम्ब 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना को मेरी धरोहर ब्लॉग पर 18 मार्च 2020 को साझा की गई है
सादर
मेरी धरोहर
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