जय हो
>> Sunday, March 8, 2009
एक बड़ी खबर आई है कि
स्लमडॉग मिलेनियर को
ऑस्कर अवॉर्ड से नवाज़ा गया है
सारा देश इस खबर से
झूम सा गया है ।
सरकार इसका सारा श्रेय
खुद को दे रही है
कि हमारी वजह से ही
ये स्लॅम हैं
इसीलिए स्लमडॉग जैसी
पिक्चर बन रही है ।
गर स्लॅम ना होते तो
विदेशी आ कर
इसपर पिक्चर कैसे बनाते
और अल्लाह रक्खा को
इसके गाने कैसे मिल पाते ।
तो भाई -
ये हमारी सरकार की ही
सारी कारगुज़ारी है
ऐसी बस्तियाँ उनको बहुत प्यारी हैं।
यहाँ का बच्चा
अपने अनुभवों से
करोड़पति बन जाता है और
मल के तालाब में डुबकी लगा
अमिताभ बच्चन का
ओटोग्राफ भी ले आता है
ग़ज़ब की सोच है विदेशियों की
और देशवासियों की जय- जयकार है
और रहमान के जय हो के पीछे
आज की सरकार है .
4 comments:
आदरणीय संगीता जी
बहुत ही अच्छी और समसामयिक कविता लिखी आपने.महिला दिवस के साथ ही होली की बधाई स्वीकारें.
पूनम
एक सुन्दर व्यंग, ये वक्त हर्ष का नहीं बल्कि शर्म का है, ऑस्कर किसी फिल्म को नहीं बल्कि हिंदुस्तान की गरीबी को मिला है,
एक सुन्दर व्यंग आज की परिस्थिति पर, बधाई हो.
jay ho ji likhne wali ki jay o..
jo ander ki baate jaani ho..
ham to soche the
ki auro ki tareh
aasker paa ke
tum bhi khushi me..
fool ke kuppa hui jati ho..
bura na maano yaaro
ye to slums ki jay ho ka nara hai..
tumne kuchh likha is tareh
ki hamne bhi kiya kuchh
maskhari ka irada hai..
varna sharam to hame bahut aati hai
ki slum dog kehlane per bhi
her hindustani yu lagta hai..
begani shaadi me ...
abdulla diwana ho..
aur apni hi garibi
ka dhol baja ke peeta ho..
व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करती यह रचना सुंदर है।
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