रिश्तों का गणित
>> Tuesday, January 15, 2013
मैंने
मैंने
रख दिया था
हर रिश्ता
अलग अलग
कोष्ठ में
और सोचा था
कि
हल कर लूँगी
रिश्तों के सवाल
गणित की तरह
पर रिश्ते कोई
गणित तो नहीं
निश्चित नहीं होता
कि कौन सा कोष्ठ
कब खोलना है
किसे गुणा करना है
और
किसे जोड़ना है
बस
करती रहती हूँ कोशिश
कि
रिश्तों के कोष्ठकों के
मिल जाएँ सही हल
और रिश्तों का गणित
हो जाए सफल ..
77 comments:
hul ho jaye to zaroor bata dijiyega.....
बहुत सुन्दर ....बधाई ...
रिश्तों का गणित
हो जाए सफल ..
... वाह अनुपम भाव संयोजन
आभार सहित
सादर
मैंने एक पोस्ट में स्पष्ट किया था मुझे गणित बिलकुल समझ में नहीं आता था, बाप रे.....रिश्तों का गणित तो उस गणित से भी ज्यादा उलझा हुआ है हल ही नहीं होता :)
वैसे रिश्तों को गणित की पहेली की तरह देखने की जरुरत है क्या ? विज्ञानं की तरह देखिये प्रयोग कीजिये :)
रिश्तों का गणित तो आपस में उलझा देगा - अलग-अलग खांचों में रखिये ,कोई ललित-लेख, कोई इतिहास ,कोई गृह-विज्ञान की पहेली भी ..!
यूँ भी हिसाब में व्यावहारिकता में कमजोर , मोह में वशीभूत इसे कहाँ समझ पाता है - बस समझौता कर लेता है
बहुत सुंदर रचना
बहुत सुंदर
रिश्तों के समीकरण बराबर बेलेंस करने पड़ते हैं गुना भाग करके ,जमा घटा ,जोड़ तोड़ सब कुछ करना पड़ता है .सुन्दर रूपकात्मक अभिव्यक्ति .
रिश्तों का गणित समझना इतना आसान कहाँ …………उम्दा प्रस्तुति।
अगर आपको रिश्तों को गणित के माध्यम से हल करने में सफलता मिल जाती है तो...यहाँ जरुर सूचित करिएगा संगीता जी!...मेरे जैसे जरुर लाभ उठाएंगे!
रिश्तों का गणित बहुत उलझा हुआ है..
कोशिश यही है की सवाल का हल मिले..
बहुत ही बढ़ियाँ रचना....
:-)
गणित मेरा पसंदीदा विषय है ...वैसी ही यह कविता लग रही है , हालाँकि रिश्तों का गणित किसी तयशुदा फ़ॉर्मूले पर नहीं चलता !
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत सुन्दर.बधाई .
सार्थक रचना!
बधाई हो!
वाह ... बेहद लाजवाब रचना ... रिश्तों के सवालों को सुलझाना आसान नहीं होता .. बस कोशिश ही करनी होती है लगातार अंतहीन ...
रिश्तों का गणित , बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत सुन्दर.बधाई
गजब अभिव्यक्ति-
प्रेरित करती हुई ||
सादर नमन दीदी ||
ठक ठक करके कोष्ठक, मँझला सँझला छोट |
रहे खोलते रात-दिन, पहले बड़का पोट |
पहले बड़का पोट, अंश हर वर्ग मूल थे |
पड़े दशमलव विन्दु, वह पर कुछ फिजूल थे |
जोड़-गाँठ में दक्ष, किन्तु रिश्तों का अहमक |
चक्रव्यूह के द्वार, भीम सा करता ठक ठक ||
रिश्तों का गणित समझना उतना आसान भी तो नही ...बहुत सुन्दर ,अनुपम भाव संजोए है इस गणित में..आभार
एक भूलभुलैये की तरह घूमते रहते हैं।
दीदी आपके अनुभव मेरे काम आयेंगे ... क्योंकि कुछ रिश्ते तो हर कोई कोष्ठकों में बंद करके रखता ही है|
प्रणाम दी !
गणित कभी पसंदीदा विषय होता था, पर रिश्तों का यह गणित नहीं हल होता. क्या क्या उपमाएं लाती हो आप भी :).
रिश्तों का सुलझाव,गणित के हर सवाल से अधिक जटिल है
गणित ये है कठिन , लेकिन शायद प्रेम और श्रद्धा से ऊपर नीचे गुणा करने पर बहुत सुलझ जाती है। :)
बहुत ही सरल, सार्थक अभिव्यक्ति।
सादर
मधुरेश
वाह , रिश्तों की भूल भुलैया पर एक अलग सी रचना .....
जिसका मान निकाल रहे थे, वह अपूर्ण निकला..
कोई सूत्र काम नहीं करता। प्रेम है कि रिश्तों में नहीं बंधता।
रिश्तों का गणित ही अलग है ....
सुन्दर भाव ....आभार।
मेरे हिसाब से सटीक तुलना की है आपने ... मुझे गणित भी काफी उलझता रहा है और कुछ रिश्ते भी !
चल मरदाने,सीना ताने - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सच में रिश्तों की गणित बहुत मुश्किल है हल करना..
यूँ भी गणित पसंद नहीं थी...और ये रिश्तों की गणित भी न समझ आती है न हल होती है....नियमबद्ध कोई काम हमसे होते नहीं...
(आज तो दी आपने इम्तिहान ले डाला :)
सादर
अनु
हर किसीके मन की उलझन को आपने सुन्दर रूपक में पिरो दिया है संगीता जी ! शायद सभी इन समीकरणों का हल जानने के लिए उत्सुक हैं मेरी ही तरह ! आपको जवाब मिल जाएँ तो एक पोस्ट उस पर भी ज़रूर लिखिएगा ! सबका भला हो जाएगा !
अब सफल हो रहा है
ये गणित
अनगिनत हादसों के बाद
हर सही इन्सान
ने हल कर लिया है
और...दानव
न सुधरे हैं
न ही सुधरेंगे.....
सादर
रिश्तों का गणित वाकई बहुत उलझा होता है..सुन्दर रचना.
काश!रिश्तों का गणित भी सफ़ल हो
कटे न नम्बर एक मिले पुरे सौ ..काश! ऐसा हो !
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
रिश्तों की गणित हल करना आसान नही है,,
बहुत उम्दा भाव अभिव्यक्ति ,,,
recent post: मातृभूमि,
आपकी रचना पर कोई टिप्पणी करना सूर्य को दीपक दिखाना ही होगा , हम आपके सामने अभी बहुत छोटे है । आपसे और आपके लेखन से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा इस आशा के साथ आपको और आपके लेखन को सलाम करते है ।
बस
करती रहती हूँ कोशिश
कि
रिश्तों के कोष्ठकों के
मिल जाएँ सही हल
और रिश्तों का गणित
हो जाए सफल ..
वाह, वाकई एक जटिल सवाल है सामने हल करने के लिए !
रिश्तों में कोई जोड़ घटाव गुणा भाग नहीं होता नहीं उसका वर्गमूल निकल जाता , रिश्तों को जिया जाता है ...
साधारण गुना भाग से सधते नहीं हैं रिश्तों की समीकरण .जोड़ तोड़ बनाने में तनी हुई रस्सी पे चलना पड़ता है .नट बनना पड़ता है .सुन्दर अभिव्यक्ति .आभार आपकी सद्य टिपण्णी के लिए .
बहुत ही सुन्दर सी कविता |रिश्तों की भी गणित बहुत उलझाती है |आभार
rishton aur ganit ki gutthiyon par racha ye sameekaran sambhavtah prashansneey hai.
रिश्ते तो गुलाब के फूल की तरह हैं..या बहती हुई धारा की तरह..तरल हैं.. इन्हें कैसे कोई कसौटी पे कस सकता है या समेट सकता है ..
सुन्दर कहा है. .वैसे रिश्तों का गणित उलझा हुआ ही अच्छा लगता है ..
सुरक्षा और मोहब्बत के कोष्ठक में बंद रिश्ते सिर्फ एक गणित सूत्र से जुड़े होते हैं.. गुणा.. मल्टीप्लाई करते हैं संबंधों को..
आपकी कविता है तो इसमें अनोखापन होना ज़रूरी है दी!! :)
बहुत सुन्दर रचना
rishton ka ganit bahut pecheeda hota hai..
यह वह गणित है, जिसका समीकरण जितन सरल हो ठीक, वरना जटिलता से हल करने की कठिनाइयां बढ़ती ही जाती हैं।
सच कहा संगीताजी ...ज़िन्दगी भर हम इसी जोड़ने घटाने में लगे रह जाते हैं...पर हल हमेशा बदले हुए मिलते हैं......अप्रतिम रचना ...!
आप सफल हों ...
शुभकामनायें प्रयत्नों को !
रिश्तों का गणित
आखिर इतना भी मुश्किल नहीं है
इंसानियत और अपनेपन का एक ही कोष्ठ हो तो काफी अच्छा हो ,,,
सादर आभार !
छोटा मूँह और बड़ी बात करू तो माफ़ कर दीजियेगा
बस माँ के रिश्ते को छोड़ कर हर रिश्ता शर्तों से बंधा है
अगर शर्तों का हिसाब किताब बंद हो जाये तो गणित हल हो जाये !!
अपनी इस छोटी सी पंछी को अपना आशीष दीजिये तांकि वो भी गणित हल कर सके
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Gift- Every Second of My life.
रिश्तों का गणित सामान्य गणित से भी ज्यादा दुरूह है. इसे तो सुलझने का प्रयत्न उसे और उलझा जाता है.
सच कहा, रिश्तों का गणित.. मुश्किल है हल करना
सही गणित!!
.आभार आपकी टिपण्णी का .
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
क्षमा चाहते हैं दीदी! बहुत देर से आए हम...! क्या करें... आजकल बहुत व्यस्त दिनचर्या चल रही है... :(
ह्म्म्म... रिश्ते! वो भी गणित में...??? :((
दीदी, छोटा मुँह बड़ी बात कर रही हूँ....रिश्ते निभाना कठिन तो बहुत होता है... मगर जोड़-घटाने से शायद और भी Complicated हो जाएँगे... इन्हें तो Drawing जैसे विषय से कभी स्माइली :) बनाकर , कभी गुस्सा दिखाकर, कभी मान-मुनव्वल से और कभी सीटी बजाकर यानि कि... कुछ बातों को भूल कर आगे बढ़कर...-बस! ऐसे ही निभाते चले जाना चाहिए... :))
~सादर!!!
Mere man ki vyatha, antarman ki aapadhapi...vyakt kar di aapne in shabdo main
रिश्तों का गणित हल करना हो तो पहले सद्गुरु रूपी अध्यापक से मन का गणित सीखना होगा...
बेहद खूबसूरत..!!!
रिश्तों की गणित तो सुलझाते सुलझाते एक जिन्दगी गुजर जाती है और सवाल अनसुलझे ही रह जाते हैं . वैसे लगा बहुत सुन्दर आपका गणित .
रिश्तों का गणित हल करना मुश्किल है
सार्थक रचना....
vakai bahut hi kathin kary hai rishto ki ganit ko hal karna .....apni khas visheshta se susajjit rachana ak punh padhane ko mili .....bahut bahut aabhar .
रिश्तों के गणित का हल मिल जाये तो क्या बात है । अनूठे प्रतीक लिये सुंदर कविता ।
आपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.
वाह....एकदम अलग सी लगी कविता...
वैसे मैं तो गणित के फोर्मुले वाले चित्र को देखकर घबरा गया था :)
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
सुन्दर विचार .आभार .आभार आपकी टिपण्णी का
Virendra Sharma @Veerubhai1947
ध्यान योग में छिपा है मनोरोगों का समाधानhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/01/blog-post_1333.html …
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19mVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ सोमवार, 28 जनवरी 2013 पांचहज़ार साला हमारी योग ध्यान और मननशीलता की परम्परा http://veerubhai1947.blogspot.in/
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रिश्तों का गणित किताबों की गणित से कहीं अधिक कठिन होता है।
अच्छा अंदाज।
रिश्ते और सवाल (गणित )
सुन्दर बिम्ब
बस
करती रहती हूँ कोशिश
कि
रिश्तों के कोष्ठकों के
मिल जाएँ सही हल
और रिश्तों का गणित
हो जाए सफल
बहुत खूब कहा संगीता जी ...
गणित में सूत्र और समीकरण की भूमिका है
तो रिश्तों में प्रेम और विश्वास की
और फिर कोष्ठक खुद-बखुद खुलते चले जायेंगे
सूत्र एक बस प्रेम का,सरल करे हर प्रश्न
जोड़ घटाना भाग गुण,स्वयं मनाते जश्न |
risto ka ganit behad ulajhi huyee pahei hai,ak ka hal niklte hi dusara
sawal fir......SUNDR DARSNIK CHINTAN
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत सुन्दर.बधाई
very beautiful .
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