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कुछ बात तो है .....

>> Tuesday, February 5, 2013



दो कच्चे  धागों  को 
जोड़ कर आपस में 
दिया जाता है जब  वट
तो हो जाते हैं मजबूत , 
हल्के से तनाव से 
नहीं जाते वे टूट ,

वैसे ही तुम और मैं 
साल दर साल 
वक़्त के साथ वट 
लगाते लगाते 
जुड़ चुके हैं इस कदर 
कि आसान नहीं है 
कोई भी  परिस्थिति 
तोड़ सके हमें  ।

कुछ बात तो है --
कि एक दूसरे से 
हैं शायद 
ढेरों शिकवे - शिकायतें 
फिर भी 
एक - दूजे के बिना 
लगता है अधूरापन । 
और इसी खयाल से 
आज के दिन 
तोहफे के रूप में 
मैं तुम्हें देती हूँ 
अपनी सारी  संवेदनाएं , 
ख्वाहिशें और  खुशियाँ ।


69 comments:

shikha varshney 2/05/2013 12:35 AM  

बहुत बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं दी. ये साथ, ये बंधन और ये जीवन यूँ ही अनवरत चलता रहे.
बहुत ही सुन्दर भाव हैं कविता के डायरेक्ट दिल से :).

डॉ. मोनिका शर्मा 2/05/2013 2:24 AM  

कुछ सिखाती समझाती कविता...... बहुत सुंदर भाव

Sadhana Vaid 2/05/2013 2:27 AM  

बहुत बढ़िया संगीता जी ! वैसे अभी वेलेंटाइन डे में कुछ दिन बाकी हैं ! बहुत खूबसूरत अहसास और उतनी ही सुन्दर रचना से नवाज़ रही हैं आप अपने 'उनको' ! कहीं आज आपकी मैरिज एनिवर्सरी तो नहीं ? हार्दिक शुभकामनाएं !

yashoda Agrawal 2/05/2013 6:47 AM  

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

प्रतिभा सक्सेना 2/05/2013 7:32 AM  

वाह संगीता जी, यह सम्मिलित बटाव ऐसा ही दृढ़ और अभिन्न रहे !

Anupama Tripathi 2/05/2013 8:07 AM  

अडिग ...अटल और विराट ... सुंदर प्रस्तुति ....!!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 2/05/2013 8:39 AM  

वट वृक्ष हँसा
कुछ बात तो है
करवट करवट
कुछ बात तो है
सलवट सलवट
कुछ बात तो है
धागों में वट
कुछ बात तो है
रहना जी वट
कुछ बात तो है

वाणी गीत 2/05/2013 8:56 AM  

साथ चलते रिश्ते इतने मजबूत हो ही जाते हैं की एक दुसरे के बना अधूरे होते हैं ....

रश्मि प्रभा... 2/05/2013 8:57 AM  

थोड़ी शिकायत भी जुड़ाव की मजबूती है ...बिना मिलावट के सोना सुन्दर रूप नहीं लेता

Amrita Tanmay 2/05/2013 9:59 AM  

तब तो ये तोहफा कई गुना वापस भी तो मिलता है.

Suman 2/05/2013 10:09 AM  

थोड़े फूल भी है थोड़े कांटे भी
थोड़े शिकवे भी है थोड़ी शिकायते
थोड़ी मिठास भी है थोड़ी खटास भी
इन दोनों के बीच में,
प्रेम एक अदृश्य महीन धागा है
जो रिश्तों को मजबुतिसे बांधता है
यूँ कि, हवा के एक झोंके से भी
टूट जाए लेकिन नहीं टूटता तलवारों से,
प्रेम पाने की चिंता नहीं करता
सिर्फ देकर ही तृप्त होता है ....


सुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !

Satish Saxena 2/05/2013 10:15 AM  

वाह ...
इससे बड़ी सौगात और क्या होगी ...??
शुभकामनायें आपको !

सदा 2/05/2013 10:16 AM  

साल दर साल
वक़्त के साथ वट
लगाते लगाते
जुड़ चुके हैं इस कदर
कि आसान नहीं है
कोई भी परिस्थिति
तोड़ सके हमें ।
विश्‍वास का यह बँधन यूँ ही कायम रहे

अनंत शुभकामनाओं के सहित बधाई

सादर

Anita Lalit (अनिता ललित ) 2/05/2013 10:28 AM  

ये बंधन तो...प्यार का बंधन है... :-)
~बहुत-बहुत सुंदर दीदी!
आपके इस प्यारे-प्यारे बंधन को दिल से ढेरों बधाइयाँ व शुभकामनाएँ! ये जीवन इस खूबसूरत बंधन में खिलता रहे, महकता रहे... यही ईश्वर से दुआ है!:)
~सादर!!!

महेन्द्र श्रीवास्तव 2/05/2013 11:14 AM  

अच्छी रचना
बहुत सुंदर

vandana gupta 2/05/2013 11:20 AM  

लगता है आज आपकी मैरिज एनीवर्सरी है ।
ये बंधन तो प्यार का बंधन है :)
जीवन की खट्टी मीठी यादों , चुहलों और शरारतों से ही तो एक जीवन मुकम्मल होता है और वो ही रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है । आप दोनो की जोडी यूँ ही सलामत रहे और ये प्यार दिनों दिन बढता रहे । ईश्वर आपकी हर इच्छा को पूर्ण करे।
मुझे तो यही लग रहा है इसलिये
वैवाहिक वर्षगांठ की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनायें ।

Suman 2/05/2013 11:36 AM  

check my comment in your spam folder...

रविकर 2/05/2013 11:46 AM  

बहुत बढ़िया है दीदी-
शुभकामनाये-
३३
६६
६३
३६
तैतिस वर्षों से करे, तन-मन-जीवन तीन |
ख्वाहिश-खुशियाँ-वेदना, दोनों तीन प्रवीन |
दोनों तीन प्रवीन, चलो छाछठ तक दीदी |
पुत्र-पुत्रियाँ-पौत्र, सूत्र से नव-उम्मीदी |
रहो स्वस्थ चैतन्य, सदा तिरसठ सम हर्षो |
दे जाता छत्तीस, विविधता तैंतिस वर्षों ||

संगीता स्वरुप ( गीत ) 2/05/2013 11:55 AM  

सभी पाठकों का आभार

रविकर जी ,

३६ के बाद ६३ की ओर अग्रसर हैं .... :):)

रविकर 2/05/2013 12:26 PM  

AABHAAR-DIDI

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

अशोक सलूजा 2/05/2013 12:37 PM  

तभी तो मन कहता है ...."कुछ बात तो है"
शुभकामनायें !

ओंकारनाथ मिश्र 2/05/2013 12:44 PM  

कामना यही करता हूँ की यूँ ही साल दर साल वट लगता रहे और मजबूती और बढती रहे. सुन्दर अभिव्यक्ति.
सादर,
निहार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 2/05/2013 1:05 PM  

आपका प्यार सदा यूँ ही सलामत रहे,,,
अनंत शुभकामनाओं के साथ बहुत२ बधाई,,,,

RECENT POST बदनसीबी,

Dr. sandhya tiwari 2/05/2013 1:45 PM  

बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना.......... शुभकामनायें ।

Anita 2/05/2013 2:06 PM  

बहुत बहुत बधाई आपको इस विशेष दिन पर..एक दूसरे के साथ इस तरह घुल-मिल जाना कि शिकवे शिकायतें भी उस गहराई में खो जाएँ..यही तो प्रेम है..

रेखा श्रीवास्तव 2/05/2013 2:32 PM  

हाँ सच कहा आपने जीवन के इस साथ को यूँ ही नहीं निभाया जाता है , ये बंधन और ये साथ जिस भाव से जुड़ता है वह अटूट होता है।

प्रवीण पाण्डेय 2/05/2013 2:50 PM  

साथ रहे तो शक्ति रहेगी,
नहीं सशंकित भक्ति रहेगी।

Aruna Kapoor 2/05/2013 3:19 PM  

..किंता सुन्दर उपहार आपने उनको दिया!...बहुत बहुत बधाई संगीता जी!

Anju (Anu) Chaudhary 2/05/2013 3:58 PM  

खूबसूरत भाव

लोकेश सिंह 2/05/2013 4:04 PM  

बहुत ही सुंदर भावभरी रचना सार्थक बिम्बों का प्रयोग

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 2/05/2013 5:30 PM  

बहुत सुंदर,और इसी का नाम शायद परस्पर त्याग भी है !

ANULATA RAJ NAIR 2/05/2013 7:38 PM  

बहुत सुन्दर दी.....
जब धागे उलझते नहीं तभी तो उनमें वट पड़ते हैं..और मजबूती आती है...
शायद ये कविता से कुछ ज्यादा है ???
अगर हाँ तो आप दोनों को बधाईयाँ !!!
वट पड़ें तो बंटते नहीं हैं :-)
सादर
अनु

ashish 2/05/2013 9:47 PM  

सच्चाई को शब्दों में बांध दिया है आपने . ये प्रेम विश्वास का बंधन ऐसे ही अटूट और दीर्घजीवी बना रहे इश्वर से प्रार्थना है

mridula pradhan 2/05/2013 11:23 PM  

badi pyari sougaat hai......panewala kitna bhagyshali hai.....

Vandana Ramasingh 2/06/2013 6:53 AM  

बहुत सुन्दर सन्देश

रश्मि शर्मा 2/06/2013 10:07 AM  

बहुत खूबसूरत अहसास....बंधन और मजबूत हो, यही कामना है

Yashwant R. B. Mathur 2/06/2013 1:32 PM  

वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएँ आंटी!

सादर

मेरा मन पंछी सा 2/06/2013 2:48 PM  

बहुत सुन्दर रचना...
बहुत-बहुत बधाई....
:-)

Harihar (विकेश कुमार बडोला) 2/06/2013 3:10 PM  

प्रेममय साथ, सबसे बढ़िया बात

Unknown 2/06/2013 3:45 PM  

ये बंधन तो दिन प्रतिदिन मजबूत ही होगा , गिले शिकवे अलग बात , गहरे अंतर में
जमी एक दुसरे के लिए कसक के मायने होते है . खूबसूरत अहसास .

दिगम्बर नासवा 2/06/2013 3:57 PM  

धीरे धीरे पकता है ये शहद ... आसान नहीं इस रस्सी को तोडना ... ये डोर यूं ही बंधी रहे ... प्रेम यूं ही महकता रहे ...
बहुत बहुरत बधाई ...

विभूति" 2/06/2013 7:14 PM  

bhaut hi khubsurat aur bhaauk abhivaykti.....

हरकीरत ' हीर' 2/06/2013 8:58 PM  

कुछ तो बात है ....:))

आज कोई ख़ास दिन था क्या ...?


बधाई ...!!

Unknown 2/07/2013 4:46 AM  

SUNDAR BHAV ,SUNDAR PRASTUTI,SUNDAR SANDES

सविता मिश्रा 'अक्षजा' 2/07/2013 8:00 PM  

बहुत सुन्दर दीदी ....भगवान् करे आप की जोड़ी मजबूती से आगे ही आगे बढे ................

आनंद 2/09/2013 5:25 PM  

कुछ बात तो है .... और यही कुछ बात जड़ है सारी सकारात्मकता की, कही कहीं यही 'कुछ बात' ही नकारत्मकता का कारण भी बनती है त्रास का हेतु !

Rahul Paliwal 2/10/2013 12:31 AM  

वाकई। बहुत खूब।

Rajesh Kumari 2/11/2013 10:59 AM  

बहुत शानदार पंक्तियाँ रिश्तों के बँट लगाते हुए देखो हम कितनी दूर् निकाल आए प्रभु किकृपा से ये रिश्ते इसी तरह मज़बूत रहें मंगल कामना

जयकृष्ण राय तुषार 2/11/2013 1:00 PM  

बहुत सुन्दर कविता |आभार

Unknown 2/11/2013 2:59 PM  

बहुत अच्छी रचना....
http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

नादिर खान 2/11/2013 3:53 PM  

सुंदर भाव, उम्दा अभिव्यक्ति

पुरुषोत्तम पाण्डेय 2/12/2013 12:57 PM  

प्यार के बंधन का प्यारा सा उपमान. अच्छा लगा.

ताऊ रामपुरिया 2/12/2013 2:34 PM  

यही भाव बंधन को और प्रगाढ बनाते हैं. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

virendra sharma 2/15/2013 4:20 PM  

सुन्दर भाव और अर्थ लिए मनभावन प्रेम दिवस गाथा पर .जतलाना बस यही होता है तुम हमारे लिए महत्वपूर्ण हो .ज़रूरी हो साँसों की धौकनी से .

मनोज कुमार 2/15/2013 4:36 PM  

बहुत बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं!

Dr.NISHA MAHARANA 2/15/2013 5:34 PM  

bahut hi paripakw soch ko kavita ka roop diya hai.......

दर्शन कौर धनोय 2/16/2013 11:37 AM  

साल दर साल
वक़्त के साथ वट
लगाते लगाते
जुड़ चुके हैं इस कदर
कि आसान नहीं है
कोई भी परिस्थिति
तोड़ सके हमें ।

प्रेम तो शास्वत है।।और हर परिस्थिति में अमर - अजर......

virendra sharma 2/16/2013 1:37 PM  

इसे ही कहते हैं संपूरक /सम्पूरण मिल दोनों बनते अर्द्ध नारीश्वर .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .

निवेदिता श्रीवास्तव 2/16/2013 1:59 PM  

शुभकामनाएं देर से मिलें तब भी उनके पीछे की शुभेक्षा कम नहीं होती ,हैं न दी :)
अंतर्मन तक को भिगो दिया आपके भावों ने ....सादर !

उड़ता पंछी 2/25/2013 5:09 PM  

सच्चा प्यार ऐसा ही होता है !! कुछ ऐसे ही है .......

मेरी नई पोस्ट

रूहानी प्यार का अटूट विश्वास

Anju 3/31/2013 3:28 PM  

कुछ बात तो है --
कि एक दूसरे से
हैं शायद
ढेरों शिकवे - शिकायतें
फिर भी
एक - दूजे के बिना
लगता है अधूरापन ।
और इसी खयाल से
आज के दिन
तोहफे के रूप में
मैं तुम्हें देती हूँ
अपनी सारी संवेदनाएं ,
ख्वाहिशें और खुशियाँ ।
वाह ...दी ! रिश्ते की आत्मीयता यहीं से तो झलकती है ....और उनकी अटूटता ...कमाल ....जो जरा सा उलझे और टूट जाये वो रिश्ते ही कब हुए ...रिश्तों को मायने देती ये रचना ...पढ़ कर बहुत सुखद अनुभूति का एहसास ....प्रगाढ़ता की और अग्रसर रिश्तों की खूबसूरती ....

Madhuresh 4/11/2013 5:02 AM  

बहुत सुन्दर !

seema 4/19/2013 1:05 PM  

bahut sunder vichar....
kavita hriday ko chu gai......

seema 4/19/2013 1:07 PM  

bahut sunder vichar....
kavita hriday ko chu gai......

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