चंदा मामा पास के ........
>> Thursday, August 24, 2023
भारतीय समयानुसार
छः बज कर चार मिनट का
कर रहे थे इन्तज़ार ,
दिल धड़क रहे थे ज़ार ज़ार
अभी भी नहीं गयी है
आदत बचपन की
जब भी आना होता था
किसी का भी परिणाम
फिंगर क्रॉस कर
निकालते थे समय तमाम ।
कुछ इसी तरह बिताया
उन अंतिम क्षणों को
हर पल ज़ेहन में था ईश्वर
जब चन्द्रयान 3
उतर हा था चन्द्रमा पर ।
अंतिम क्षण ----
और विक्रम जा बैठा
सीधा , तना हुआ
चाँद की धरती पर
लहरा गया तिरंगा
फरर फर फर
इतनी खुशी कि
आँखें भीग गयीं थीं
नतमस्तक हो गया था मन
तमाम उन वैज्ञानिकों के प्रति
जो दिन - रात थे प्रयास रत
समर्पित था उनका तन -मन ।
इसरो- तुम्हारे प्रति
तुम्हारे वैज्ञानिकों के प्रति
स्वीकार करो हमारा नमन ।
अभी खुशी के आँसू
पोंछे भी न थे कि
मुझे दिख गयी
चाँद की सूरत ।
कुछ अजीब सी दृष्टि से
देख रहा था चंद्र यान को
खुश तो कतई नहीं था
शायद ऊपर से देख रहा था
पूरे हिंदुस्तान को ।
दुस्साहस कर मैंने
पूछ लिया -
क्यों मामा , खुश नहीं दिख रहे हो
सारा हिंदुस्तान खुशी से नाच रहा है
और तुम मुँह बिसूर रहे हो ।
अभी तो यान ही आया है
कल भारत के बच्चे
अपने ननिहाल आएँगे
तब भी आप ऐसा ही मुँह बनाएँगे ?
अपने दुःख को छुपाते हुए
हल्का सा मुस्कुराते हुए
बोला था चाँद -
अभी तक दूर से
मैं कितना चमकता था ,
बच्चे मेरे नाम की लोरियाँ सुन
माँ के आँचल में सो जाते थे
मेरी सुंदरता के गीत गाते हुए
न जाने कितने ही कवि द्वारा
आकाश पाताल एक किये जाते थे
युवतियाँ चंद्रमा सा सुंदर दिखने के लिए
न जाने क्या क्या युक्ति किया करती थीं
स्त्रियाँ न जाने किस किस रूप में
मेरी पूजा किया करतीं थीं ।
सब कुछ आ कर इस चंद्र यान ने
कर दिया है छिन्न भिन्न
इसी लिए बस हो रहा है
मेरा मन खिन्न ।
मैंने कहा कि मामा
मत हो खिन्न
हम भारतीय हैं सबसे भिन्न
भले ही आ पहुँचे हैं तुम तक
फिर भी जो होता आया है
वही होता रहेगा
हर माँ के होठों पर
चंदा मामा दूर के ही रहेगा ।
शायर और कवि आज भी
अपनी शायरी में उपमा तुम्हारी ही देंगे
और हम भी बहुत प्यार से
करवा चौथ का अर्घ्य देंगे ।
यह सुन चाँद खिलखिला गया
और उसने चंद्र यान 3 को
अपने गले लगा लिया ।
13 comments:
कितनी सुंदर कविता है, चाँद से संवाद की। अब वह दिन भी शायद दूर नहीं जब वाकई हम चाँद पर जाकर बतिया पाएंगे।
संवेदनशील मन की सुंदर अभिव्यक्ति दी।
कल्पना और यथार्थ के बेहतरीन तारतम्य से रची गयी बेहद सुंदर रचना ।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ अगस्त २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर रचना
बहुत खूब
सुंदर रचना, वैज्ञानिकों की इस सफलता ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया
बहुत खूबसूरत
बहुत ही सुंदर रचना | सामयिक और मर्मस्पर्शी भाव :)
बहुत अच्छी रचना ..
Mridula Pradhan बहुत अच्छी रचना ..
बिलकुल सही कहा है … सबके दिल में है ये और महबूब ही रहेगा चाँद …
बहुत सुंदर सृजन
bahut achche se vyakt kiya hai aapne.
aapko amantrit karna chahungi mere blog par. dhanyawad.
बहुत सुंदर रचना, आदरणीय शुभकामनाएँ
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