भ्रम ....
>> Saturday, March 1, 2025
रेतीली आंखों में
जज़्ब हो जाती है
सारी नमी , जो
अश्कों के धारे से
बनती है ।
धुंधलाती हैं आँखे
और लगता है यूँ कि
हवा ने ओढ़ी है
शायद कोहरे की चादर ,
ऐसे में मुझे
न जाने क्यों
बेसबब याद आती है बारिश ,
जिसमें घुल जाती हैं
अश्क की बूंदे
जिन्हें लोग अक्सर
बारिश में भीगी
खुशी समझते हैं।