चेहरे बदल के मिलता है
13 years ago
रेतीली आंखों में
जज़्ब हो जाती है
सारी नमी , जो
अश्कों के धारे से
बनती है ।
धुंधलाती हैं आँखे
और लगता है यूँ कि
हवा ने ओढ़ी है
शायद कोहरे की चादर ,
ऐसे में मुझे
न जाने क्यों
बेसबब याद आती है बारिश ,
जिसमें घुल जाती हैं
अश्क की बूंदे
जिन्हें लोग अक्सर
बारिश में भीगी
खुशी समझते हैं।
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8 comments:
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
भ्रम ही तो है जीवन भी। इसी में सुख दुख इसी में बारिश। बस ऐसे ही कट जाएगी जिंदगी।
दाग अच्छे है ad की तर्ज पर के आँसू भी चंगे है जी, और एक लघु अंतराल के बाद वापसी भी ! अपने दौर की ब्लॉग क्रांति की revival की planning चल रही है और उस दौर के धुरंदारों का साहियोग अपेक्षित है ! लिखते रहिए !
वाह
बहुत सुंदर
अश्क़ दिल की ज़ुबाँ को कहते हैं, बहने दो उन्हें, शायद कुछ कहते हैं
बहुत खूब … मन के भाव की अभिव्यक्ति लाजवाब तरीके से हुई है
Very Nice Post.....
Welcome to my blog!
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