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भ्रम ....

>> Saturday, March 1, 2025

 



रेतीली आंखों में 


जज़्ब हो जाती है 


सारी नमी , जो 


अश्कों के धारे से 


बनती  है  ।


धुंधलाती हैं आँखे 


और लगता है यूँ कि 


हवा ने ओढ़ी है 


शायद कोहरे की चादर ,


ऐसे में मुझे 


न जाने क्यों 


बेसबब याद आती है बारिश , 


जिसमें घुल जाती हैं 


अश्क की बूंदे 


जिन्हें लोग अक्सर 


बारिश में भीगी 


खुशी समझते हैं। 






8 comments:

Usha kiran,  3/02/2025 10:29 PM  

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

Anonymous,  3/03/2025 4:49 PM  

भ्रम ही तो है जीवन भी। इसी में सुख दुख इसी में बारिश। बस ऐसे ही कट जाएगी जिंदगी।

Manish aka Manu Majaal 3/03/2025 4:50 PM  

दाग अच्छे है ad की तर्ज पर के आँसू भी चंगे है जी, और एक लघु अंतराल के बाद वापसी भी ! अपने दौर की ब्लॉग क्रांति की revival की planning चल रही है और उस दौर के धुरंदारों का साहियोग अपेक्षित है ! लिखते रहिए !

Onkar 3/04/2025 7:51 AM  

बहुत सुंदर

Anita 3/05/2025 10:18 AM  

अश्क़ दिल की ज़ुबाँ को कहते हैं, बहने दो उन्हें, शायद कुछ कहते हैं

Digamber Naswa,  3/19/2025 7:30 AM  

बहुत खूब … मन के भाव की अभिव्यक्ति लाजवाब तरीके से हुई है

MY GOOD NIVESH 4/07/2025 3:27 PM  

Very Nice Post.....
Welcome to my blog!

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