इम्तहान
>> Wednesday, October 1, 2008
ज़िंदगी में इम्तहान तो
हर घड़ी चला करते हैं
कुछ स्वयं आ जाते हैं सामने
तो कुछ हम खुद चुन लिया करते हैं
और जो बचते हैं वो
हम पर थोप दिए जाते हैं ।
और मान लिया जाता है कि
ज़िंदगी के इम्तिहान में
हमें सफल होना है ।
यूँ ज़िंदगी से
जद्द-ओ -जहद करते हुए
हर इंसान
कदम दर कदम
आगे बढ़ता है
हर लम्हा कुछ
नया खोजते हुए
कुछ नया चाहते हुए
अपनी ख्वाहिशों को
अपनों पर लुटाते हुए ।
क्या पता ऐसा करना
उसकी मजबूरी होती है या ज़रूरत ?
या फिर अपनों के प्रति
श्रद्धा या क़ुर्बानी
पर प्यार भरी डगर पर
चलते - चलते वो इंसान
अचानक ख़त्म कर देता है
अपनी कहानी॥
और फिर -
एक नाकाम सी कोशिश में
सब कुछ भूलने का प्रयास करते हुए
स्वयं उलझ कर रह जाता है ।
14 comments:
कुछ स्वयं आ जाते हैं सामने
तो कुछ हम खुद चुन लिया करते हैं
sach to hai na dear
ज़िंदगी के इम्तिहान में
हमें सफल होना है ।
be stron in life to face all sort of struggles
क्या पता ऐसा करना
उसकी मजबूरी होती है या ज़रूरत
do no hi hote hai kabhi majboori ya or kabhi jarurate
एक नाकाम सी कोशिश में
सब कुछ भूलने का प्रयास करते हुए
स्वयं उलझ कर रह जाता है ।
uljan ka hal nikal na hota hai lekin nahi nikal ta kyu ke zindagi hai esi imtihaan leti hai
god bless you dear hamesha khush raho
jeevan ke safar me insan mi uljhano par achha prakash dala hai ..
kavita nissandeh aek utkrisht rachna hai, jismen hamari jindagi ke kayee aek moukon par hone wali chahi anchahi jaddojahad ki baat bakhoobi ki gayi hai. achhi rachna share karne ke liye shukriya.
aab aek sawal aata hai kyon samajhen hum kuchh stithiyon ko imtihan....kyonki jahan imtihan wahan kamyabi aaur na-kamyabi ke bhav, fir usike anuroop chesta. jindagi ka saar yah mehsoos hota hai ki 'jeene' aaur 'imtihan' dene men bahot fark hota hai......hamare 'essence' ke saath kiska taulluk kya ho usse hum khud hi mehsoos kar sakten hai, keha nahin ja sakta. imtihan ho sakta hai aek stage tak 'charming' 'exciting' 'soothing' etc lage fir......
regards.
nayeda ji,
bahut bahut shukriya.aapki tippni har pahalu ko chhuti hai.chaliye maan lete hain ki imtihaan dete hue hi nahi jiya ja sakta ..ek stage tak hi sambhav hai par jeete hue to bahut se imtihaan diye jaate hain...
aapne itna waqt diya .bahut bahut shukriya
sangeeta ji
sach kaha hai hum puri zindgi imtihaan hi toh dete hain
kabhi paas ho jate hain aor kabhi fail
salaw karne wale jo bahut hote hain
kabhi school toh kabhi ghar.
kabhi dost aor kabhi dushman.
isika naam shayad hai zindgi.
badhai ek sundar rachna ke liye.
nira
और मान लिया जाता है कि
ज़िंदगी के इम्तिहान में
हमें सफल होना है ।.........
bahut hi gahri baat hai,tah tak jo jaayega,samajh paayega
bahut hi achhi
क्या पता ऐसा करना
उसकी मजबूरी होती है या ज़रूरत ?
या फिर अपनों के प्रति
श्रद्धा या क़ुर्बानी
पर प्यार भरी डगर पर
चलते - चलते वो इंसान
अचानक ख़त्म कर देता है
अपनी कहानी॥
और फिर -
एक नाकाम सी कोशिश में
सब कुछ भूलने का प्रयास करते हुए
स्वयं उलझ कर रह जाता है ।
bahut behtareen baat kahee hai padh ke bahut achha laga aap ke har kalam men jadoo hota hai
Anil
अपनी ख्वाहिशों को
अपनों पर लुटाते हुए ।
क्या पता ऐसा करना
उसकी मजबूरी होती है या ज़रूरत ?
या फिर अपनों के प्रति
श्रद्धा या क़ुर्बानी
पर प्यार भरी डगर पर
चलते - चलते वो इंसान
अचानक ख़त्म कर देता है
अपनी कहानी॥
और फिर -
एक नाकाम सी कोशिश में
सब कुछ भूलने का प्रयास करते हुए
स्वयं उलझ कर रह जाता है ।
apne aapko lafzo mai dhalkar bayaN karna bahot muskil hai jo aap karti hai..
na jaane zindgi kabhi kabhi itna mazboor kyu kar deti hai...kyu u do-raahe per laa kar khada kar diya jata hai...aaaaaah ye haalaaaat....
Bahut acha likha hai aapne.....
Badhai....
http://dev-poetry.blogspot.com/
bahut sahi...true
जीवन कां अनकहा फल्सफ़ा प्रिय दीदी!चलती का नाम जिन्दगी है!
अपनी ख्वाहिशों को
अपनों पर लुटाते हुए ।
क्या पता ऐसा करना
उसकी मजबूरी होती है या ज़रूरत ?
या फिर अपनों के प्रति
श्रद्धा या क़ुर्बानी
पर प्यार भरी डगर पर
चलते - चलते वो इंसान
अचानक ख़त्म कर देता है
अपनी कहानी॥
सही कहा प्यार भरी डगर पर अपनी कहानी सपना ख्वाहिश सब भूल जाता है इंसान...
बहुत ही लाजवाब चिंतनपरक सृजन ।
प्रिय रेणु और प्रिय सुधा जी
चलती का नाम ज़िन्दगी तो चल रहे हैं हम और चल रही ज़िन्दगी । 😆
शुक्रिया
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