चले गये तुम क्यों बापू
>> Sunday, September 28, 2008
चले गये तुम क्यों बापू
ऐसे उँचे आदर्श छोड़ कर
इन आदर्शों की चिता जली है
आदर्शवाद का खोल ओढ़ कर ।
तुमने सपने में भारत की
करी कल्पना कैसी थे
ये जो भारत की हालत है
क्या कुछ - कुछ ऐसी ही थी ?
तुमने आंदोलन - हड़तालों से
विश्व में क्रांति मचा दी थी
इस क्रांति के द्वारा ही
भारत को आज़ादी दिला दी थी।
जब स्वतंत्र हुआ था भारत
जनता कितनी उत्साहित थी
घर - घर दीप जले खुशी के
तेरी जय- जयकार हुई थी ।
अब सुन लो बापू तुम
तेरे भारत की कैसी हालत है
तेरे उन आदर्शों की
कैसे चिता जल रही है ?
हड़ताल शब्द को ही ले लो
कितना अर्थ बदल गया है?
पग -पग पर हड़तालों से
तेरा आस्तित्व मिट चला है ।
अब आओ तुमको मैं
कोई दफ़्तर दिखला दूँ
तेरा कितना आस्तित्व है
इसका तुझको अहसास करा दूँ।
इस दफ़्तर में देखो
तेरी तस्वीर लगी हुई है
बड़ी श्रद्धा से शायद
फूलों की माला चढ़ी हुई है।
उसके नीचे भी देखो
तेरे उपदेशों को लिखा है
रिश्वत लेना महापाप है
यह स्वर्णिम अक्षर में लिखा है ।
तेरे इस उपदेश को
कितनों ने अपनाया है ?
मैने तो हर शख्स को यहाँ
रिश्वत लेते पाया है।
कुछ और दिखाऊँ भारत की झाँकी ?
या बस आत्मा तेरी काँप रही है ?
भारत माँ तेरे जैसे बापू को
आद्र स्वर में पुकार रही है ।
अब प्रश्न किया मैने जनता से
क्या अहसास हुआ तुमको कुछ
ढोल पीटते हैं बढ़ - चढ़ सब
पर हम स्वयं में हैं कितने तुच्छ ।
ओ ! जनता के नेताओं
तुम क्यों नही कुछ बोलते हो ?
क्या गाँधी टोपी से ही केवल
ऊँचे आदर्शों को तोलते हो ।
मत धोखे में रखो खुद को
ये झूठा आवरण हटा दो
गाँधी के आदर्शों को फिर
भारत की धरती पर ला दो .
1 comments:
मत धोखे में रखो खुद को
ये झूठा आवरण हटा दो
गाँधी के आदर्शों को फिर
भारत की धरती पर ला दो .
ye panktiya dil ko chhu le rahi hai....
Bahut sarthak or sachhe bharat ke
darshan karwaye hai aapne sangeeta ji,
yahi aaj ke bharat ka satya hai.......
ye BAAPU ka bharat nahi hai,
ye to rishwatkhori ki nagri ban chuka hai aaj
badle desh ki tasveer hai ye.......
ek kadwa sach jise hame accept karna hai.......
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