तेरी मुंडेर का बादल ... तेरी ही मुडैर पर बरसेगा..!! कैसे सोच लिया तुने.. की छोटे से हवा के झोंके से.. वो दूर कही उड़ जायेगा..!! ऐसे कमज़ोर वो बादल.. तेरे नहीं हो सकते.. जो बच्चो की किल्कारिया सुन.. किसी और आँगन की बरखा बन बरस गए..!! तेरे बादल तो.. इंदर-धनुषी होंगे.. तेरे बादल तो.. तुझ संग आँख-मिचोली खेलेंगे.. मगर तेरी झोली में तेरा बचपन ले कर लौटेंगे..!! तेरे बादल तो प्यारे प्यारे होंगे.. तेरे बादल तो सब से न्यारे होंगे.. मन को ठंडक देती बरखा करेंगे.. तेरे बादल तो तेरी झोलिया खुशियों से भरेंगे...!!
Sangeeta ji bas u hi kuch vichar uthe aapki ye rachna padh kar...
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
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तेरी मुंडेर का बादल ...
तेरी ही मुडैर पर बरसेगा..!!
कैसे सोच लिया तुने..
की छोटे से हवा के झोंके से..
वो दूर कही उड़ जायेगा..!!
ऐसे कमज़ोर वो बादल..
तेरे नहीं हो सकते..
जो बच्चो की किल्कारिया सुन..
किसी और आँगन की
बरखा बन बरस गए..!!
तेरे बादल तो..
इंदर-धनुषी होंगे..
तेरे बादल तो..
तुझ संग आँख-मिचोली खेलेंगे..
मगर तेरी झोली में तेरा
बचपन ले कर लौटेंगे..!!
तेरे बादल तो प्यारे प्यारे होंगे..
तेरे बादल तो सब से न्यारे होंगे..
मन को ठंडक देती बरखा करेंगे..
तेरे बादल तो तेरी झोलिया
खुशियों से भरेंगे...!!
Sangeeta ji bas u hi kuch vichar uthe aapki ye rachna padh kar...
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