..................................ज़रूरी था ...
>> Wednesday, March 23, 2011
आज मैंने
सारी संवेदनाओं को
लपेट दिया है
कफ़न में ,
और साथ में
रख दिया है
मन के ताबूत में
अपनी सारी
ख्वाहिशों को,
ख्यालात को,
खुशी को,
जज़्बात को,
या यूँ कहूँ कि
सारे एहसासात को
और फिर तुमने
अपने शब्दों के
हथौड़े से
ठोक डालीं थी
उसमें कीलें .
ज़रूरी था इन सबको
ताबूत में रखना
क्यों कि
मरे हुए को
यूँ ही नहीं छोड़ा जाता ...




