स्याह चादर
>> Thursday, March 29, 2012
कहते हैं वक़्त
किसी का इंतज़ार
नहीं करता
चलता रहता है
अनवरत ,
और
हमारी ज़िंदगी भी
चलती रहती है
पल - पल ,
बीतते वक़्त के साथ
बीत जाते हैं
हम भी ,
पर न जाने क्यों
कभी - कभी
ठिठक के
खड़ी हो जाती है
ज़िंदगी ,
और हम
अटक जाते हैं
कि
ऐसा क्यों हुआ ?
ऐसा होना चाहिए था
आगे बढ्ने के बजाए
पीछे भागता है मन
और हम
आने वाली खुशियों को
अनदेखा कर
ओढ़ लेते हैं
उदासी और
डाल देते हैं
एक स्याह चादर
अपनी ज़िंदगी पर ।