अनोखी शब्दावली
>> Friday, September 21, 2012
शब्दों का अकूत भंडार
न जाने कहाँ तिरोहित हो गया
नन्हें से अक्षत के शब्दों पर
मेरा मन तो मोहित हो गया ।
बस को केवल " ब " बोलता
साथ बोलता कूल
कहना चाहता है जैसे
बस से जाएगा स्कूल ।
मार्केट जाने को गर कह दो
पाकेट - पाकेट कह शोर मचाता
झट दौड़ कर कमरे से फिर
अपनी सैंडिल ले आता .
घोड़ा को वो घोआ कहता
भालू को कहता है भाऊ
भिण्डी को कहता है बिन्दी
आलू को कहता वो आऊ ।
बाबा की तो माला जपता
हर पल कहता बाबा - बाबा
खिल खिल कर जब हँसता है
तो दिखता जैसे काशी - काबा ।
जूस को कहता है जूउउ
पानी को कहता है पायी
दादी नहीं कहा जाता है
कहता काक्की आई ।
छुक - छुक को वो तुक- तुक कहता
बॉल को कहता है बो
शब्दों के पहले अक्षर से ही
बस काम चला लेता है वो ।
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
90 comments:
अहा ...कैसा अमृत बरसा रही है आपकी रचना .....बहुत प्यारा है .. ...दादी का अनमोल खिलौना ...!!
बाबा की गोदी में खेलें प्यारे ललना ....
दादी का जिया गुलज़ार करें ...
आओ लालन तुम्हें प्यार करें ...!!
अक्षत को ढेर सारा प्यार ...!!
अत्ती तविता अएः)( अच्छी कविता है)
आधे अधूरे शब्द दादी के लिए नए शब्दकोश का निर्माण कर रही हे...बहुत बढ़िया!!
अक्षत को ढेरों स्नेहाशीष !!
इन्ही के बचपन में ढूंढते है
हम भी अपने दिन सुहाने
काश! कि हम भी कभी न होते
हुए हैं जैसे आज बूढ़े और पुराने.....
आशीर्वाद |
अनोखी शब्दावली कितनी प्यारी है .. मनमोहक
बहुत सुन्दर रचना
आभार
इस शब्दावली के आगे सारे शब्द न्योछावर...
वाह वाह वाह ..क्या पढ़ रही हो आजकल समझ में आ रहा है.और आखिरी तस्वीर देखकर लगता है पोता, दादी को एकदम जॉबलेस करके छोडेगा:)
बहुत ही प्यारी सी कविता, मन के भावों को जस का तस रखते हुए भी दिल को छू जाती है.
वाह ... जितने प्यारे शब्द उतना ही प्यारा सा वर्णन ... अनुपम
ममता और वात्सल्य से परिपूर्ण बहुत ही अद्भुत रचना है संगीता जी ! बच्चों की इसी बोली पर तो बलिहारी जाने का मन करता है ! वर्षों के बाद भी बच्चों की इस अटपटी भाषा की मधुर स्मृति कानों में अमृत रस घोलती रहती है ! प्यारे अक्षत को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद !
बच्चों के यही प्यार भरे शब्द हम बुजुर्गों जीने की ऊर्जा देते है,,,,,
इस मनमोहक शानदार रचना के लिये,,,बधाई,,,,
RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
chhote bacchon ki aisi totli si bhasha badon k man ko bahut bhati hai aur to aur bacche k bahut bade ho jane tak bhi uski ye bhasha yaad rahti hai aur use bade hone par bataya jata hai ki vo bachpan me aise bolta tha.
bahut pyare photo ....last photo se to laga bas akshat ab dadi ki seat sambhalne ki koshish kar raha hai. ab pata chala ki apka net kam kaisi ho gaya :-) ab aap net-net khele ya akshat, no. to kisi ek ka hi aayega.
सच्ची दी.....एक वक्त ऐसा होता है जब हम भी बच्चों की भाषा बोलने लगते हैं.....
प्यार आ गया आपकी इस पोस्ट पर...
:-)
सादर
अनु
आंटी कविता पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
और वह फोटो भी जिसमे अक्षत कंप्यूटर पर बैठे हैं।
GOD BLESS HIM !
सादर
बालमन को सहेजती सुन्दर कविता |आभार
बहुत प्यारी रचना :)
अक्षत को बहुत सारा स्नेह !
शब्दों के पहले अक्षर से ही
बस काम चला लेता है वो ।
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
अति सुन्दर प्रस्तुति ………॥
स्नेहमयी भाषा का ये कमाल है
जिसने दादी को किया निहाल है
इससे खूबसूरत भी क्या कविता होगी !!
क्या कविता रछि है, जीवंत वर्णन और कविता की रचना हो गयी. बहुत सुंदर लगा कि कैसे दादी की दुनियाँ अब उसके गिर्द ही घूम रही है यहाँ तक कि जो लिखा वह भी उसके ही गिर्द रहकर लिखा.
एक नई शब्दावली मैंने भी सीख ली है. बहुत बहुत अच्छी लगी ये अभिव्यक्ति.
इस रचना को पढ़ कर बचपन की यादें ताजा हो गई क्योंकि
मैं बचपन में बहुत बाद तक तुतलाता रहा !
बहुत सुन्दर एवं कोमल रचना !
आभार !
प्या्ले प्याले अक्षत को.बहुत बहुत प्यार.सुन्दर कोमल शब्दावली पर हम तो न्योछावर हो गए..संगीता जी...
सुन्दर रचना ,सहज अनुभूति|
बहुत सुन्दर प्यारी ,ममता से भरी रचना...
अक्षत को ढ़ेर सारा आशीर्वाद
और ढ़ेर सारा प्यार...
:-)
वाह दीदी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति भावों की ....इतने ध्यान से तो आपने निक्कू और मिनी के प्रथम शब्दों को भी नहीं सुना होगा ....कहते हैं मूलधन से सूद ज्यादा प्यारा होता है ..... :) :)
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !:)
बच्चों की इस भाषा का अपना अलग ही स्वाद है, अलग मज़ा है... :-)
May God Bless him !!!:)
~सादर !!!
अक्षत की बोली पे वारी वारी .....इतनी खूबसूरत रचना के लिए दिल से आभार
jivan ke saare sukh iski pyari boli me mil jaate hai aur aapke nanhe ko bahut bahut aashish
सो कूल.. मतलब स्कूल नहीं.. आपकी कविता.. अक्षत जी अभी से एस.एम्.एस. की भाषा सीख रहे हैं.. मगर बाबा को बाबा और दादी को काकी कहकर डिप्लोमैटिक भी हो रहे हैं..
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि ये वही हैं जिन्होंने मुझे आपसे मिलवाया था, आज इतने बड़े हो गए हैं!!
गौड ब्लेस!!
सभी पाठकों का बहुत बहुत आभार .... अक्षत को आप सबका स्नेह और शुभकामनायें मिलीं .... शुक्रिया
@@ सलिल जी ,
अभी वो कूल को स्कूल ही समझता है .... बस का चित्र देख कर उसे यही कहते हैं कि बस में स्कूल जाएगा ...:):) थोड़ा और बड़ा होगा तो कूल कूल ही कहेगा :)
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
पूरा बचपन घूम गया . आज युवराज बड़ा हो गया है लेकिन आज भी शु शु , किची, निदी हमें सम्मोहित करते रहते हैं
सबसे सरस,सबसे मधुर भाषा यही है, रिकार्ड करके रख लीजिये इन प्यारी-प्यारे क्षणों को. और हाँ, उसे (मेरे नाती का नाम भी अक्षत है)स्नेह और आशीष .
मनमोहक रचना .... बाल क्रीड़ा रगों से सजी ....
बोत ही बलिया तविता बनाई
छोते छोते बच्चों ने ताली बजायी
छाली की छाली छमझ में आयी!
छुक - छुक को वो तुक- तुक कहता
बॉल को कहता है बो
शब्दों के पहले अक्षर से ही
बस काम चला लेता है वो ।
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
बाल भाषा के अपने कूट संकेत होतें हैं .एकाक्षरी होती है यह भाषा .डिजिटल से आगे ,मीलों ये भागे .बहुत सुन्दर बाल चित्त कि अनुकृति उतारी है इस रचना में एक शब्द चित्र गढ़ा है अन -गढ़ .बधाई !पूरे परिवार को .
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
आपके द्वारा कलमबद्ध मासूम यादें , बड़े होकर उसकी निधि बनेगी !
मंगल कामनाएं !
संगीताजी जी भरकर इस समय का मज़ा उठा लीजिये...यही पल तो धरोहर हैं हमारे जीवन के ...अक्षत को इस दादी के भी ढेरों आशीष ...!
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
मन के भावों को उकेरती बाल सुलभ एवं मन को मोहती रचना बधाई
बहुत प्यारी कविता...आपके पास आपका पौत्र अक्षत है औए मेरे पास मेरा पुत्र अगस्त्य...बच्चों की बोली का अपना एक अलग समांतर कोष है...मीठा-मीठा प्याला-प्याला...लेकिन ये भाषा ही अधिक प्राकृत लगती है मुझे बिना किसी औपचारिकता के...
इस प्यारी कविता के लिय हार्दिक बधाई!!
अहा, शब्द नहीं तो भाव टपकते।
आपकी रचना ने एक दूसरी दुनियां में ही पहुंचा दिया..अक्षत को ढेरों प्यार और आशीष..
बचपन जीवंत कर दिया दीदी आपने
घोड़ा को वो घोआ कहता
भालू को कहता है भाऊ
भिण्डी को कहता है बिन्दी
आलू को वो आऊ ।
उसे झट से गोद में उठाने को मन मचल गया एक बार !
हर साँस में धड़कती हुई कविता ..भला पूरी धरती पर इससे सुन्दर और क्या हो सकता है ?
वात्सल्य रस से ओतप्रोत सुंदर रचना व चित्र..बधाई !
वाह, बहुत प्यारी रचना
अक्षत है भाषा का ज्ञाता ,
शब्द बोध का है प्रज्ञाता .
एक अक्षर से काम चलाता ,
मितव्यय- ता वह हमें सिखाता .
बढ़िया शिशु गीत .टोद्लर गान ,एक बच्चे की मुस्कान
दुनिया की सबासे अनमोल रचना हो सामने तो कविता रचने की ज़रूरत कहां रह जाती है।
अक्षत है भाषा का ज्ञाता ,
शब्द बोध का है प्रज्ञाता .
एक अक्षर से काम चलाता ,
मितव्यय- ता वह हमें सिखाता .
बढ़िया शिशु गीत .टोद्लर गान ,एक बच्चे की मुस्कान .
यही शब्द शहद के जैसे लगते है. शयद शब्दों का उद्भव भी ऐसे ही हुआ हो.
अक्षत को बहुत सारा प्यार.
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ । sedha-sada....sachcha pyar.....
देर से आये तो इस adbhut वात्सल्य की सुरसरी में akanth nimagn hokar ja raha hoo.
कितनी सुंदर कविता आपने लिखी है मन प्रसन्न हो गया....साडी नानी-दादी इसे पढ़ कर सोचेगीं अरे , यह तो हमारे दिल की भाषा है.....
शब्द नहीं,बहती सरिता है
बच्चों का जीवन कविता है
वात्सल्य रस में भीगी इस रचना ने अद्भुत आनंद दिया.
आपकी कविता पढ़कर अब कह सकता हूँ .... "भाषा के 'नवल प्रशिक्षु' विशेषज्ञों की क्रीड़ा का सामान बनते ही हैं."
कुछ हद तक यह आनंद 'हिन्दी बोलते हुए' एक दक्षिण भारतीय भी देता है और एक मराठी भी, गुजराती भी, बंगाली भी.
किसी भी अन्य भाषा का भाषी जब हिन्दी बोलता है बहुत सुखकर होता है. मुझे किसी विदेशी के द्वारा हिंदी प्रयास भी बहुत सुहाते हैं.
जापानी हो या अमेरिकन .... हिंदी बोलते हुए एक अवर्णनीय आनंद दे जाते हैं.
मेरी भतीजी अदिति .. मेरी माँ को आवाज लगाना सीख गयी थी... 'उम्दा'. और मेरी पत्नी को आवाज लगाया करती थी 'साइका'
और इन्हीं उच्चारणों में उनके असली नाम छिपे थे. और दीवार पर टहलते एक जीव को देखकर सहसा एक 'किलक' उठती थी 'पिचकली'
सच में बच्चों की अपनी शब्दावली होती है और वह बहुत अनूठी होती है.... मुझे वे प्रायः एक प्राकृतिक भाषाविद भी लगते हैं :)
बहुत प्यारी सी शब्दावली 'प्यारे से अक्षत ' की और उतनी ही प्यारी रचना 'अक्षत की दादी , नहीं काक्की ' की |
नन्हे अक्षत की भाषा को सूक्ष्मता से महसूस किया है आपने।
बच्चे तो जीवंत किताब होते हैं, बिरले ही उन्हें पढ़ पाते हैं !
"Kavita likhna bhool gayee hoon" mat kahiye, kavita ka sabak jahan khatm hokar agla adhyaay shuru hota hai, vahan hai aapki yah 'Rachna'
बच्चे की भाषा में कोई स्पैलिंग मिस्टेक नहीं होती और न हम उसे ढूँढते हैं. बस उसे समझ लेते हैं. बोत प्याली तविता. हार्दिक आशीष.
बच्चों की शब्दावलियों को
दादी जाने,माँ पहचाने |
भैया दीदी बूझ ना पायें
बाबूजी भी करें बहाने ||
मम का मतलब
होता पानी
माऊ ,बिल्ली-
बड़ी सयानी
अगड़म-बगड़म बोल के रोऊँ
आते सारे तुरत मनाने ||
सुंदर भोलीभाली रचना...........
बच्चों की शब्दावलियों को
दादी जाने,माँ पहचाने |
भैया दीदी बूझ ना पायें
बाबूजी भी करें बहाने ||
मम का मतलब
होता पानी
माऊ ,बिल्ली-
बड़ी सयानी
अगड़म-बगड़म बोल के रोऊँ
आते सारे तुरत मनाने ||
सुंदर भोलीभाली रचना...........
बहुत सुन्दर बच्चों की तोतली लुभावनी जुबान सच में सब कुछ भुला देती है बहुत बढ़िया प्रस्तुति
बड़ी प्यारी बाल कविता है।
प्यारी और मोहक रचना -बचपन की खुशबु से भरी
अक्षत को ढेर सारा प्यार
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
madhur madhu aha mithi mithi....................
bachchon ki bhasha kamal hoti hai
bahut bahut badhai
rachana
दादी का अनमोल खिलौना भावनाओं, ममत्व सनेह का भाव विहल संसार हिलोरे मार रहा है आपकी रचना में ....प्रिय अक्षत को ढेर सारा प्यार ओर दुलार...!!!
बच्चों की शब्दावली अनोखी ही होती है. मेरी दीदी की बिटिया जब छोटी थी, तो उनका नाम लेकर बुलाती थी क्योंकि जीजाजी नाम लेते थे. दीदी का नाम साधना है तो उन्हें 'ताता' कहती थी. जब दीदी घर आईं तो बिटिया साल भर की हो गयी थी. मेरा चेहरा दीदी से मिलता-जुलता है, तो मुझे भी 'ताता' कहने लगी. उसे लगता था कि लंबी नाक और डिम्पल पड़े चेहरे वाली सारी औरतें 'ताता' होती हैं. हा हा हा!
मनमोहक रचना.
बच्चे को ढेर सारा प्यार और शुभाशीष भी.
ऩन्हे अक्षत के प्यारे प्यारे बोल दादी के साथ साथ हमें भी लुभा रहे हैं । उसको ढेर सारा प्यार ।
पूरा वात्सल्य उंडेल दिया
बहुत सुंदर रचना
क्या कहने
क्या बात है..अति सुन्दर!!
बहुत ही प्यारी प्यारी प्रस्तुति है आपकी.
अक्षत की बोली में अपने बोलो को मिलाती हुई.
बाबा दादी क्या सभी के दिल को खूब खूब हर्षाती हुई.
हार्दिक आभार,संगीता जी.
बच्चो के साथ बच्चे बनना भी मजेदार एहसास की अनुभूति करवाता है। खूबसूरत रचना, आभार
भावनाओं से अभिभूत ,बेहद ममत्व ,अपनत्व से भरी प्यारी सी रचना ...
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/2.html
Bahut hi masoom si kavita .........grand Mom ban'ne ka sukh or gourav aapke lafzo se saf dekhai de raha hain .......:)
मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
maza aa gaya aapke sath mujhe bhi sangeeta jee ....
सुन्दर रचना... पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...
शुभकामनायें... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
bahut sundar rachana ...
बहुत बढ़िया
अरे :) :) :)
सो स्वीट.....
मैंने टिप्पणी की थी.
दिखाई नही दे रही.
शायद स्पैम में पड़ी हो.
बहुत ही प्यारी लाड भरी प्रस्तुति है आपकी.
प्यारे अक्षत को ढेर सा प्यार और आशीर्वाद.
मनमोहक .. बहुत प्यारी लगी !
ब्लॉग पे नियमित नहीं हूँ..अपनी हाजिरी आपके ब्लॉग पे भी नगण्य होती है... आपकी भावनाए ओत प्रोत कर देती है ....... हमें इनसे सरोबार करते रहिये...आपकी टिप्पणी हौसला देती है..अन्य रचनाओ का रस्वादन करेंगे...आशा है...बहुत धन्यवाद्...!!!
मेरे बेटे का बचपन याद दिला दी आपकी ये खुबसूरत रचना !!
बहुत खुबसूरत..मासूमियत पर प्यार आता ही हैं..ये दुनिया खुबसूरत हैं, क्योकि बच्चे हैं....
भूल गयी हूँ कविता लिखना
बस उसकी भाषा सुनती हूँ
एक अक्षर की शब्दावली को
मन ही मन मैं गुनती हूँ ।
.........u r always great
नई भाषा सीखना ही नहीं बोलना भी जरूरी हो जाता है इन नन्हे फरिश्तों के साथ
एक ऐसी रचना जिसके लिए कोई शब्द ही नहीं मेरे पास ...क्या कहूँ क्या लिखूं बस खो गया इन्हीं नन्ही-नन्ही शब्दावलियों में।
आभार !!
sare janha ka pyar simat aaya hai aapkee panktiyon me
ye ek ek pal yado ke khazane me sahej rakhiyega.....accha hee hua potlee aap fek aaee...
itna kuch naya sukhad jo hai sanjone savarne ke liye...
ha ha ha..didi...aapne to ye kavitaa sb maaon ke liye likh di he..........aajkal mera yahii haal chal rhaa he...........monu mere bete ki shbdaawlii hi bolti hun
bahut hiiiiiiiiiii pyaaari kavita
sach me,.
ati sundar .........
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