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पुस्तक समीक्षा -- " खिलते प्रसून " ( भारती दास )

>> Thursday, July 7, 2022

 


सुश्री   भारती दास  ने  अपना  काव्य - संग्रह " खिलते प्रसून "  भेंट स्वरूप मुझे भेजा है ।  हालाँकि इनके रचना संसार से मैं अधिक परिचित नहीं थी  लेकिन इस पुस्तक को पढ़ते हुए  मैंने जाना  कि  कवयित्री  भारती दास  का सृजन  अधिकांश रूप से    प्रकृति , परमेश्वर , उत्सवों  और  ऋतुओं  पर किया गया  है  ।


इनकी रचनाओं में प्रकृति  चित्रण मुख्य रूप से उभर कर आता है ।इनकी कविताएँ पढ़ते हुए प्रतीत होता है कि इन्होंने विषय के साथ पूरा न्याय किया है  ।  मन के भावों को गढ़ने में सौंदर्य की  कहीं कोई कमी नहीं दिखती  । 

इनके पूरे संग्रह में प्रेम , इश्क़ , या विरह  जैसे विषय पर  रचनाएँ न के बराबर  हैं । इस काव्य - संग्रह में कुल 50 कविताओं का समावेश है ।
इस संग्रह की पहली कविता  में कुछ प्रेम का होना मुखरित हो रहा है । लगता है नायक के आने से  नायिका के मन के भाव कहने का प्रयास किया है - ..... था सूना मन का आँगन / उपहार प्यार का भर लाये /  चिर बसंत फिर घर आये ।

ऐसे ही श्रृंगार रस  ,करुण रस वीभत्स रस  से भरी हैं इनकी सभी वो कविताएँ जो  ऋतुओं से संबंधित हैं । कुछ उदाहरण देखिये ---
ग्रीष्म ऋतु ---
ज्योति प्रलय साकार खड़ा है / जलता पशु बेजान पड़ा है / दीन विकल रोदन ध्वनि गाये /  कहो जेठ तुम कब आये ।
शरद ऋतु --
बीत गयी पावस की रातें / सजल सघन जल की बरसातें /  दृश्य मनोरम  मुग्ध नयन हैं / शरद सुंदरी अभिनंदन है । 
बसंत ऋतु ---
विभा बसंत की छाई भू पर / कण कण में मद प्यार भरा है /  आलिंगन में भरने को आतुर /  गगन भी बाहें पसार खड़ा है ।
वर्षा ऋतु में बाढ़ का वीभत्स रूप भी दिखाया गया है ----
आतप वेदना दृश्य डरावना / वीभत्स भयानक भू का कोना / बहती है कातर सी नयना / कहर बाढ़ ने  छीना हँसना । 
कुछ रचनाओं में  ईश्वर को इंगित करते हुए धन्यवाद प्रेषित किया गया है ---
मैं कृतज्ञ हूँ हे परमेश्वर / धन्यवाद करती हूँ ईश्वर / अंधकार पथ में बिखरे थे / छंद आनंद के खिलेंगे फिर से ।
 दीपावली ,हिंदी दिवस आदि विषय पर भी कविताएँ  इस संग्रह में शामिल हैं ।
नारी के विषय में जो इनके विचार है वो " मैं धीर सुता मैं नारी हूँ  " में  प्रकट होते हैं ।
मैं धीर सुता मैं  नारी हूँ / सृष्टि का श्रृंगार हूँ मैं /  हर रूपों में जूझती रहती / राग विविध झंकार हूँ मैं ।

कुछ विचारोत्तेजक रचनाएँ है तो कुछ अपने देश के भूभागों का चित्रण किया है जैसे हिमालय , कश्मीर आदि स्थल ।
" काल के जाल" कविता में   समय को भी दार्शनिक रूप से समझाने का प्रयास  किया  है ।
कुल मिला कर सभी रचनाएँ  भाव प्रधान होने के साथ साथ सशक्त भी हैं ।

पुस्तक का कागज़ और छपाई उत्तम है , इसका आवरण पृष्ठ भी आकर्षक है । जिसके लिए प्रकाशक बधाई के पात्र हैं । कहीं कहीं वर्तनी की अशुद्धि दिखती है, जिसे संपादित किया जा सकता था । अधिकांश रूप से अनुनासिका ( चंद्र बिंदु ) के स्थान पर अनुस्वार ( बिंदु ) का प्रयोग हुआ है । ऐसे ही  कहीं कहीं  शब्दों के लिंग में भेद नहीं कर पायीं हैं जैसे ....पृष्ठ 52 पर बस्ती डूबते .... बस्ती स्त्रीलिंग शब्द है  लेकिन यहाँ पुल्लिंग के रूप में लिखा गया है।

कवयित्री ने जो अपना परिचय दिया है उसके वाक्य विन्यास  में  भी  सुधार की आवश्यकता है ।
"  खिलते  प्रसून " कवयित्री का प्रथम काव्य संग्रह है ,जो  अधिकांश रूप से हर कसौटी पर खरा उतरता है । यह एक संग्रह योग्य पुस्तक है ।इसके लिए कवयित्री बधाई की पात्र हैं । इनकी लेखन यात्रा अनवरत जारी रहे ,इसके लिए शुभकामनाएँ देती हूँ । 

विशेष --  आलोचना को सकारात्मक लें जिससे  आगामी पुस्तकों में ये कमियाँ दृष्टिगोचर नहीं होंगी । 



पुस्तक का नाम ---- काव्य प्रसून 

प्रकाशक   ---- सहित्यपिडिया पब्लिशिंग / नोएडा /201301
 
मूल्य   ----  179₹

ISBN  ----- 978 - 93 - 91470 - 04 - 3 


26 comments:

Meena Bhardwaj 7/07/2022 7:12 PM  

बहुत सुन्दर सारगर्भित समीक्षा आ . दीदी । भारती दास जी को “खिलते प्रसून” हेतु बधाई
एवं शुभकामनाएँ ।

मन की वीणा 7/07/2022 10:35 PM  

संतुलित शब्दों में शानदार पुस्तक समीक्षा ।
जो पुस्तक का पूरा परिचय और कवियत्री के लेखन कौशल को तो प्रकट कर ही रही है साथ ही पुस्तक के प्रति रुचि भी जागृत कर रही है।
पुस्तक प्रकाशन के लिए कवियत्री भारती जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
और शानदार समीक्षा के लिए आदरणीय संगीता जी को बधाई एवं शुभकामनाएं।

Ravindra Singh Yadav 7/08/2022 2:30 AM  

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 08 जुलाई 2022 को 'आँगन में रखी कुर्सियाँ अब धूप में तपती हैं' (चर्चा अंक 4484) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

विश्वमोहन 7/08/2022 7:58 AM  

बहुत सार्थक समीक्षा। कवयित्री भारती जी को बधाई और भविष्य की शुभकामना!!!!

Jyoti khare 7/08/2022 8:38 AM  

सारगर्भित समीक्षा

कविता रावत 7/08/2022 11:54 AM  

बहुत अच्‍छी सारगर्भित समीक्षा प्रस्‍तुति। हार्दिक बधाई भारती दास जी को .

Anita 7/08/2022 12:15 PM  

भारती जी की कुछ कवितायेँ पहले पढ़ी हैं, विषय के साथ पूरा न्याय करती हैं, आपने उनकी प्रथम पुस्तक की सुंदर व सार्थक समीक्षा की है.

जिज्ञासा सिंह 7/08/2022 12:30 PM  

आपकी सुंदर, सार्थक समीक्षा द्वारा आदरणीय भारती दास जी की पुस्तक के बारे में पता चला । बहुत आभार दीदी । भारती दास जी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐❤️❤️

Onkar 7/08/2022 2:17 PM  

बहुत सुंदर समीक्षा

shikha varshney 7/08/2022 4:37 PM  

ईमानदार समीक्षा. लेखिका को बधाई

Usha Kiran,  7/08/2022 6:55 PM  

बहुत सुन्दर सारगर्भित समीक्षा … हार्दिक बधाई भारती दास जी को …उनकी कविता पढ़ने की उत्सुकका मन में जाग्रत हो गई !

Vocal Baba 7/11/2022 1:10 PM  

एक ईमानदार और संतुलित समीक्षा के लिए आपको बधाई। लेखिका भारती दास जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

जितेन्द्र माथुर 7/11/2022 6:16 PM  

भारती दास जी को अनेक शुभकामनाएं। आपकी समीक्षा वस्तुपरक एवं निष्पक्ष है। पुस्तक तथा कवयित्री की प्रतिभा दोनों ही के साथ न्याय किया है आपने।

Bharti Das 7/11/2022 10:48 PM  

बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी
एवम्
समस्त स्नेही जनों को तहे दिल से धन्यवाद करती हूं

Sweta sinha 7/14/2022 5:08 PM  

प्रिय दी,
आपकी लिखी निष्पक्ष,सटीक और पुस्तक के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करती पुस्तक समीक्षा बेहद प्रभावशाली है।
पुस्तक में छपी सूक्ष्म त्रुटियों को इंगित करने के लिए मुखर होना, बेबाकी से लिखना आसान नहीं है। आपकी ईमानदार प्रतिक्रिया साहित्य और साहित्यकार दोनों के लिए
महत्वपूर्ण हैं।
भारती जी को प्रथम काव्य संग्रह के प्रकाशन के लिए बधाई।
प्रणाम सादर।

रंजू भाटिया 7/14/2022 8:46 PM  

बहुत सुंदर समीक्षा की है आपने

Anupama Tripathi 7/15/2022 3:23 PM  

सारगर्भित समीक्षा !!

विभा नायक,  7/16/2022 2:43 AM  

पुस्तक के माध्यम से लेखकीय सृजन से पेरिचित कराने के लिये शुक्रिया। अनुस्वार और अनुनासिक की गलतियाँ तो अब जैसे सामान्य बात है। पर आपने इस ओर धान खींचा है सराहनीय है। भारती जी को भी बधाई🌷🌷

Sudha Devrani 7/16/2022 3:42 PM  

बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक समीक्षा... पुस्तक एवं लेखन की खूबियों के साथ त्रुटियों को भी स्पष्ट कर समीक्षा को उत्कृष्टता प्रदान की है आपने...बहुत बहुत साधुवाद🙏🙏🙏🙏
भारती जी को पुस्तक प्रकाशन की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

Jyoti Dehliwal 7/16/2022 8:46 PM  

बहुत ही सारगर्भित समिक्षा, संगीता दी।

डॉ. मोनिका शर्मा 7/18/2022 8:29 AM  

बहुत बढ़िया टिप्पणी

Satish Saxena 7/21/2022 2:25 PM  

प्रणाम , बेहतरीन समीक्षक को !

Jyoti khare 8/12/2022 11:58 PM  

बहुत अच्छी समीक्षा

विश्वमोहन 8/24/2022 6:33 PM  

अत्यंत सटीक समीक्षा। भारती जी को हार्दिक बधाई उनकी इस पहली पुस्तक के प्रकाशन की।

Amrita Tanmay 10/03/2022 4:38 PM  

सर्जनात्मक समीक्षा।

रेणु 10/08/2022 11:43 PM  

जी प्रिय दीदी,भारती जी ब्लॉग जगत की जानी पहचानी रचनाकार हैं।उनकी पुस्तक की सांगोपांग समीक्षा के जरिये आपने अपने उत्तम समीक्षक होने का परिचय दिया है,साथ में भारती जी के काव्य के मर्म को विस्तार दे कर उनके लेखन को सार्थक किया है।बड़ी बेबाकी से पुस्तक के कमजोर पक्ष की ओर इंगित करके आपने रचनाकर को सजगता से मार्ग दर्शन दिया है।अगली पुस्तक या इसी पुस्तक के आगामी संस्करण में ये सुझाव भारती जी के बहुत काम आयेंगे।प्रथम अनुभव में त्रुटियाँ आम हैं।प्रिय भारती जी कौ उनकी प्रथम पुस्तक केलिये हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।आपका हार्दिक आभार इस भावपूर्ण समीक्षा के लिए 🙏🌹🌹

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