शिखा के पाँव के पंख उसे यात्राएँ कराते हैं और वहाँ की समस्त जानकारी जुटा कर सारा वृतांत वो हम पाठकों तक इस तरह से पहुँचाती है जैसे हम अभी उस जगह जाने का विचार कर रहे हों ।
पुस्तक की भूमिका में लिखा है कि - " अगर आप वाकई किसी यात्रा का आनंद लेना चाहते हैं तो उस स्थान के हृदय में पहुँच कर देखिए ,स्ट्रीट फूड खाइये बीच शहर में डेरा जमाइए और स्थानीय लोगों से जी भर कर बात कीजिये । " अब भूमिका ही इतनी रोमांचक है तो बाकी सब स्थानों के विषय में लिखा हुआ कितना रोमांचक होगा इसका अंदाज़ा आप स्वयं ही लगा लीजिये ।
शिखा की लिखी "स्मृतियों में रूस" हो या "देशी चश्में से लंदन डायरी" हो और या फिर ये पुस्तक "पाँव के पंख" हो --- यात्रा वृतांत होते हुए भी मुझे तो हमेशा पढ़ते हुए किस्से कहानी से ही लगे। और उससे भी खास बात ये कि जैसे लेखिका सामने बैठ कर ही अपनी किसी यात्रा का वर्णन कर रही हो ।
यूरोप के अनेक स्थानों का भ्रमण करते हुए हर जगह की विशेषताओं को जानना , वहाँ की भाषा , संस्कृति ,रहन - सहन , खान- पान के विषय में जानकारी जुटाना , वहाँ की भौगोलिक परिस्थिति के बारे में और वहाँ की ऐतिहासिक इमारतों के बारे में और उनके इतिहास की भी जानकारी सरल और रोचक ढंग से देना शिखा के लेखन की विशेषता है । मुझे तो हर स्थान के विषय में पढ़ते हुए ऐसा लगता रहा कि लेखिका गाइड बनी हाथ में एक छड़ी लिए हुए (छड़ी द्वारा) स्थानों को इंगित करते हुए सब जगह का वर्णन करती चल रही है और मैं सम्मोहित सी उसके द्वारा वर्णित किये को आत्मसात करती उसके पीछे चल रही हूँ ।
यूरोप के अनेक शहरों के विषय में इस पुस्तक में जानकारी दी है । पहले ही चैप्टर को पढ़ते हुए वेनिस से प्यार हो जाएगा । पानी का शहर सच कितना रोमांच से भरपूर होगा । वहाँ के गंडोले की सैर और नाविक से गीत गाने का अनुरोध बहुत भावनात्मक रूप से लिखा है ।
यूरोप के कई स्थानों की यात्राओं को इस पुस्तक में सहेजा है । ये यात्राएँ लेखिका द्वारा अलग अलग समय पर की गई हैं । किस जगह क्या परेशानी आ सकती है ,हर जगह को देखने और समझने के लिए क्या क्या जानना आवश्यक है , सारी ही बातों का ज़िक्र इस पुस्तक में मिलता है । किस जगह शाकाहारी भोजन उपलब्ध होता है और कहाँ केवल मांसाहारी ही उपलब्ध होगा , किस शहर का क्या विशेष खाद्य है इसका जिक्र भी शिखा करना नहीं भूली है । यहाँ तक कि उस खाद्य या पेय की रेसिपी भी लिख डाली है ।
इस पुस्तक की भाषा शैली की बात करूँ तो शिखा का लिखने का अपना विशेष अंदाज़ है , मुहावरों का प्रयोग बात को दमदार बना देता है । घटनाओं को पढ़ते हुए बरबस मुस्कुराहट आ जाती है । इस पुस्तक में शिखा द्वारा की गई यात्राओं के रोचक किस्से हैं ।
संक्षेप में कहूँ तो जो लोग यूरोप की यात्रा पर जा रहे हों उनके लिए ये पुस्तक बेहतरीन जानकारी देने में सक्षम है , और जो लोग इन जगहों को न देख पाने की स्थिति में हैं वो इस पुस्तक के माध्यम से इतनी सारी जगहों के बारे में अच्छी जानकारी रख सकते हैं । पुस्तक के अंत में कई स्थानों के चित्र भी दिए हैं । जानकारी के लिए उपयुक्त हैं लेकिन रंगीन होते तो अधिक अच्छा रहता ।
पुस्तक अमेज़ॉन पर उपलब्ध है ।
पाँव के पंख -- - शिखा वार्ष्णेय
प्रकाशक ---- शिवना प्रकाशन
ISBN ---- 978 -81 - 19018 - 41- 31
मूल्य ---- 175 ₹
18 comments:
आपके शब्द मेरे लिए अमूल्य हैं. पुस्तक धन्य हुई. सुबह चमकदार हुई.
पढ़ता हूं।
वाह…संगीता जी की समीक्षा पढ़ कर मन में तीव्र इच्छा हो आई लेकिन हमारी प्रति जाने कहाँ अटक गई जब कि उसी दिन ऑर्डर कर दी थी ।Shikha Varshneyकी शैली बेहद रोचक होती है। संगीता जी ने बहुत सुन्दर व सटीक समीक्षा लिखी है…शिखा को पुन: बधाई 👏👏👏👏
बहुत अच्छी टिप्पणी है | मन से पढ़कर दिया गया किताब का परिचय
आपकी समीक्षा बेहद खूबसूरत होती है, मनोबल को बढ़ा देती है
शिखा जी को ढेरों शुभकामनाएं
पुस्तक अमूल्य सूचनाओं से आबद्ध एवं संग्रहणीय प्रतीत होती है. लेखिका को बधाई एवं साधुवाद तथा पुस्तक से परिचित कराने हेतु आपका आभार.
जी दी ,
आपकी इतनी रोचक समीक्षा ने जबरदस्त उत्सुकता जगा दी है पुस्तक के लिए।
जल्दी ही आर्डर करते है।
बेहतरीन समीक्षा लिखी है आपने।
सप्रेम।
----
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ मई २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
रोचक समीक्षा के साथ शिखा जी की “पाँव के पंख” की जानकारी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आ. दीदी । सुन्दर समीक्षा और पुस्तक प्रकाशन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
बेहद खूबसूरत समीक्षा
पुस्तक पढ़ने की उत्सुकता जगाती लाजवाब समीक्षा ।
शिखा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं पुस्तक प्रकाशन हेतु।
🙏🙏
पुस्तक के परिचय के साथ ही शिखा जी के सुंदर व रोचक लेखन की भी जानकारी मिली। बहुत आभार आदरणीय दीदी। आप दोनों को बधाई शिखा जी को बहुत शुभकामनाएँ!
ये सच है इंटरनेट पर पढ़ना अलग बात है और किताब को सामने रखकर पढ़ना अलग। .
बहुत अच्छी पुस्तक समीक्षा
बहुत अच्छी समीक्षा, बहुत सारी शुभकामनाएँ ।
सुन्दर समीक्षा
प्रेरक
सूक्ष्म और रोचक समीक्षा
सुन्दर समीक्षा ... रोचक शैली ...
बहुत सार्थक समीक्षा !
हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका
Post a Comment