ठहराव ......
>> Monday, May 7, 2012
उम्र के
छठे दशक का
प्रथम पड़ाव -
सोच पर भी
आ जाता है
जैसे एक ठहराव ,
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है
लगता है कि
जैसे सब कुछ
बिखर रहा है
समेटने के लिए
अंजुरी का दायरा
कम पड़ रहा है
फिर मैं अंजुरी छोड़
बाहों को फैला देती हूँ
सारे जहां का दर्द
खुद में समेट लाती हूँ
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
80 comments:
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है
बहुत ही सही ... उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
संगीता जी बहुत अच्छी कविता है । सच्चे अनुभव उम्र के इस पड़ाव पर होते हैं और हम पड़ताल करने पाते हैं कि पूरा जीवन किस चूहादौड़ में खपा दिया है ! आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई -
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
ऐसा ठहराव जो मन को सुकून दे,
तन को आराम दे,
कई बार ज़रूरी होता है
इस उम्र में !
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
जीवन का सारा निचोड़ है इस रचना में
बहुत सुंदर लगी !
अनुभवों को ब्रेक मिलता है , जब बच्चे अनुभवों के रास्ते तय करने लगते हैं , तब एक अव्यक्त थकान होती है जहाँ ठहराव कहें या आराम ... उसकी ज़रूरत होती है
अनुभवों को ब्रेक मिलता है , जब बच्चे अनुभवों के रास्ते तय करने लगते हैं , तब एक अव्यक्त थकान होती है जहाँ ठहराव कहें या आराम ... उसकी ज़रूरत होती है
सबसे पहले पुनः जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें
....अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
कितने सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है ....!!
बहुत सुंदर रचना ....!!
यह पड़ाव ठहराव भी बने और गति भी दे...!
ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
Many many happy returns of the day:)
बहुत सारगर्भित रचना है संगीता जी ! लेकिन जन्मदिन के शुभ अवसर पर विचारों पर निराशा का यह कोहरा अवांछनीय है ! आज की रचना तो सूर्य की प्रथम किरण सी दिव्य आलोक से जगमगाती होनी चाहिये ! जन्मदिन की आपको हार्दिक शुभकामनायें ! ज़िंदगी के हर पड़ाव पर मिलने वाले अनुभव हमें प्रतिपल और समृद्ध बनाते हैं ! बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! बधाई स्वीकार करें !
जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..अनुभवी धरातल पर खिली अति सुन्दर रचना के लिए बधाई..पर ये भाव तो मुझे वक्त-बेवक्त ठहरा ही देता है..
उत्कृष्ट
बहुत खूब आंटी!
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर
जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..अति सुन्दर रचना के लिए बधाई.
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है......bahut sunder pangtiyan.....janmdin ki badhayee.
अच्छा लगा !किसी ने तो समझी मन की उलझन ..
उम्र के इस पडाव में .....न किसी की नाराज़गी ,
न किसी से किसी किस्म की बहस ....
सिर्फ ठहराव ..बस ठहराव ..सब शांत !!
जन्म-दिन की बधाई स्वीकार करें !
बहुत स्नेह के साथ !
खुश और स्वस्थ रहें!
जेनेरेशन गैप...नए अनुभवों के सामने पुराने अनुभवों का कोई महत्व नहीं रहता है...फिर भी old is gold...तन को आराम चाहिए, मन गतीशील बना रहे...
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !!!
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है !!
जन्मदिन मुबारक हो.....
तुम जियो हजारों साल...
साल के दिन हों......
अपने हिसाब से भर लीजिएगा मन चाहा.....
हमारी तो बस शुभ-कामनाएँ हैं.....
जियेँ.....जीएन....खूब जियेँ...!!
बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति......
जन्मदिन मुबारक हो.....
स्मृति का एक बड़ा कोष है आपके पास..उतराने के लिये।
जन्मदिन पर गज़ब के ख़याल आये हैं आपको. सच है जीवन में जैसे अनुभव कभी पूरे ही नहीं पड़ते. और ठहराव...वो भी कहाँ आता है.
जीवन हर पल एक नया संघर्ष है.
बहुत ही अच्छी कविता .
और हैप्पी बर्थडे :):).
आपका जीवन अनुभवों का खजाना है संगीता जी यह हम आपकी रचनाओं के माध्यम से कह सकते हैं. फिर भी ठहराव और आराम की जरुरत तो महसूस होती ही है... दीर्घायु हों खुश रहें...
उह
भगवान् स्वस्थ रखे-
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
जन्मदिन की आपको हार्दिक शुभकामनायें ! ज़िंदगी के इस पड़ाव पर मिलने वाले अनुभव हमें और समृद्ध बनाते हैं ! आपने विचारों को बहुत सुन्दर ढंग से लिखा है,....बधाई
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
दुआ करेंगे कि इस पड़ाव में भी वही मर्यादा ...मान सम्मान बना रहे ....और ऐसे ही आपके अनुभव पढ़ने को मिलते रहे ...आभार
सर्वप्रथम जन्म-दिवस की शुभकामनाये -साठ के पार जीवन के सारे अनुभव निर्मल आनन्द के वाहक बन
नई आस्थाओं का सूत्रपात करें !
जीवन के सत्यों को अनावरित करती सुन्दर कविता के लिये बधाई !
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
अनुभवो का खज़ाना भर दिया
जन्म दिन की
शुभकामना देती
मित्र तुम्हारी
जीवन बीते
बनके फुलवारी
महके मन
हर दिन हो
पुष्पों सा महकता
खिले जीवन
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ..........:):):):):)
waah janamdin mubarak ho sangeetajee ....jivan ka nichod accha lga....thahraw bhi jaruri hai...
दीदी,
आपके आशीष का हाथ हमारे सिर पर बना रहे.. आपके जन्मदिन पर बस यही हमारा स्वार्थ है.. बस स्नेहाशीष बना रहे, सालगिरह मुबारक!!
अनुभव हमेशा से सम्मान का पात्र रहा है , किसी भी काल खंड में और अनुभव कभी ठहरता नहीं उसे तो पथप्रदर्शक की भूमिका निभानी ही है. पड़ाव तो ठीक लेकिन केवल विश्राम के लिए, ठहराव के लिए नहीं.बहने दीजिये कल कल जीवन सरिता और कलम की स्याही को.जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं.
जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनायें .......... जीवन इसी तरह खुशियों से भरा रहे|
आप सभी पाठकों का बहुत बहुत आभार ... आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ
इस अनुभव का कोई सानी नहीं है
कविता में पिरो कर जो बात आपने कही है वह एक परिपक्व कवि की निशानी है।
बस यूं ही आपकी कविताएं खिलती रहें
और आप हर पल खिलखिलाती रहें।
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!!
इस अनुभव का कोई सानी नहीं है
कविता में पिरो कर जो बात आपने कही है वह एक परिपक्व कवि की निशानी है।
बस यूं ही आपकी कविताएं खिलती रहें
और आप हर पल खिलखिलाती रहें।
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!!
वाह क्या बात है!! आपने बहुत उम्दा लिखा है...बधाई
इसे भी देखने की जेहमत उठाएं शायद पसन्द आये-
फिर सर तलाशते हैं वो
सुंदर सशक्त रचना ..... जन्मदिन की शुभकामनायें स्वीकारें
कितना अच्छा होता यदि न घडी होती न कैलेंडर...न उम्र का अहसास होता न पड़ाव का शुमार...बस चलते रहते और बुलावा आने पर चल देते..लेकिन घडी भी है कैलेंडर भी...इसलिए अहसास तो होंगे ही और अहसास की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति भी होगी.
इसी को तो जिन्दगी कहते है ! मन के भाव वर्णित करती उत्तम रचना ! जन्मदिन की आपको हार्दिक वधाई !
अरे कुछ ठहराव नहीं दी....................
चलते रहिये......भागते रहिये........
तभी तो दृश्य परिवर्तन होंगे,,,,,,,
तभी तो आनंद आएगा.................
बस दुआ है कि ऊर्जा और उत्साह बना रहे
:-)
शुभकामनाओं का बड़ा सा पुलिंदा......
अनु
आपकी प्रस्तुत रचना विश्राम मांग रही है ...हमारे उम्र को बाहें फैलाएं जीने की नयी सीख़ दे रही है | आभारी हूँ, विचारों की सुन्दर अभिव्यक्ती के लिये...........
अंजुरी का दायरा
कम पड़ रहा है
फिर मैं अंजुरी छोड़
बाहों को फैला देती हूँ
सारे जहां का दर्द
खुद में समेट लाती हूँ
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
भावनाओं को बहुत सुन्दरता से पिरोया है आपने...अंजुरी का दायरा छोटा होने पर बांहों को फैलाने की बात मन को गहरे तक छू गई...बहुत गहन विचार...
di
sach me jindgi ka safar aisa hi hai hi ki tamam anubhavo ke bavjud lagta hai ki abhi to bahut kami rah gai hai .
kahten hain na seekhne ke liye pryapt jivan bhi kam lagne lagta hai.
hame to sada se hi aapki rachnaon se seekhne ka housla mila hai.aap yun hi likhte rahein aur aapki shbh kamnao se hame bhinit naye anubhavo ka khajana milta rahe----
sadar naman
poonam
di
sach me jindgi ka safar aisa hi hai hi ki tamam anubhavo ke bavjud lagta hai ki abhi to bahut kami rah gai hai .
kahten hain na seekhne ke liye pryapt jivan bhi kam lagne lagta hai.
hame to sada se hi aapki rachnaon se seekhne ka housla mila hai.aap yun hi likhte rahein aur aapki shbh kamnao se hame bhinit naye anubhavo ka khajana milta rahe----
sadar naman
poonam
जिन्दगी में ठहराव नहीं रवानी होनी चाहिए।
और जन्मदिन तो आते रहेंगे,तो ठहराव तो संभव ही नहीं। हम हर दिन कुछ न कुछ तो नया अनुभव करते ही हैं।
*
असीम शुभकामनाएं इस पड़ाव के लिए।
कभी न कभी जीवन में ठहराव तो हर कोई चाहता है ताकि फिर से नव स्फूर्ति से चल सके ...
कभी कभी इस ठहराव में राडों कों सहलाने की छह भी रहती है ...
जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें ...
ये ठहराव थोड़ी देर का है फिर जोश से आगे बढिए ...शुभकामनाये
बहुत ही भाव पूर्ण .......... ठहराव तो एक कलपना ही है .....वास्तविकता तो ये है की मृत्यु के उपरांत भी ठहराव नहीं आता है फिर क्यों सोचा जाये ठहराने की बात .............समय के साथ बहते चलो ...समय ही हमें ना जाने कितने जीवन की यात्राओं का बोध कराएगा .....हम गति माँ थे ., हैं , और रहेंगे भी ......हमारी यत्र अनंत है .संगीता जी .....रचना आपकी बहुत ही प्रभावशाली लगी आभार के साथ ही बधाई
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
बेहतरीन पंक्तियाँ ....
बहुत ही सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है बहुत सुन्दर.....जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
बहुत खूब !....भावों की बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति...जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें !
sarv pratham janm din ke dheron shubhkaamnaayen. chaaha to tha ki aap ko shubhkaamnayen apse mil kar den, par aisa ho n saka.
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है
लगता है कि जैसे
सब कुछ बिखर रहा है
समेटने के लिए
अंजुरी का दायरा
कम पड़ रहा है
mujhe bhi kabhi kabhi aapki ye rachnaayen padh kar lagta hai ki samajhne ki abhi mujhme bahut kami hai...dimag ka dayra kam hai aur main bhi apni soch ki dayra badha deti hun...
ha.ha.ha.
bahut vilakshanta se ehsaso ko shabdon ki mala me piroya hai.
बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
:) शुभकामनायें! :)
padav hardam lambi yatra ke beech bahut jaruri hoti hai. ati sundar kavita
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
THE LAST TRUTH OF THE LIFE.
SO BEAUTIFUL LINES NEAR TO HEART AND LIFE . I LIVI IN .
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
बढ़िया प्रस्तुति भावों को झंकृत करती कुछ कहती सी .दुलराती सी बतियाती सी खुद अपने से ही .मन की सात्विक आंच का सिंक देती हुई सी .
Alle........dadi ka happy budday hai....very very happy birthday....saanjh aur saanjh ke ujaale ki taraf se :)
उम्र के हर मोड़ की अपनी मांग होती है...बहुत सुंदर शब्दों और भावों से आपने इस मोड़ पर जन्म दिन का स्वागत किया है..बधाई !
bahut sundar rachna
waah bahut hi sundar....chand panktiyon me dil khol kar rakh diya...badhaai...
मील के पत्थरों में पड़ाव नहीं होता
जीवन यात्रा में कभी ठहराव नहीं होता
अनुभवों की झाड़ियाँ ही छाँव देती हैं
इनकी पत्तियों में कभी बिखराव नहीं होता.
स्वप्न आते हैं , व्योम विस्तार लेता है
जिंदगी और दर्द में, अलगाव नहीं होता.
भावना-पाखी थके कितना भी उड़-उड़ के
उन्मुक्त गगन से कभी टकराव नहीं होता.
.
सादर प्रणाम !
सुना है,
उम्र के छठे दशक से हर पड़ाव पर चाहने वालों को मिठाई खिलाते रहना चाहिए …
बतलादें दावत पर कब आना है … :)
गंभीर हो जाता हूं …
अनुभवों से उपजी भाव पूर्ण रचना के लिए साधुवाद !
ठहराव विश्राम आप जैसी ऊर्जावान सृजक को रास नहीं आ सकता …
बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …
स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें , नाती-पोतों की किलकारियों में व्यस्त रहते हुए आनंद-गीतों का सृजन करती रहें …
सादर …
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
छोटों को राह बताने का समय अब आया है।
जन्मदिन मुबारक।
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं ..aaderneeya sangeeta jee..jab tak aapke paas anubhav kee potli hai aaur aankho mein swapn hain jindagi me thahrav aa hee nahi sakta..lekin manah sthitiyon ka ek sunder khaka aapne apne shabdon ke jaadu se kheecha hai..jiske praman aapke sabhi rachnaon me milte hain..sadar pranaam ke sath
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं .
HAPPY FAMILY DAY MAY 15,2012.
एक ठहराव चाहिए ...
फिर मैं अंजुरी छोड़
बाहों को फैला देती हूँ
सारे जहां का दर्द
खुद में समेट लाती हूँ ....
क्या ही अभिव्यक्ति है....
सादर बधाईयाँ दी...
जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ....संगीता जी ...!!
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!! शान्ति की खोज का काव्य!!
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिया दर्पण की ओर से आभार।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिया दर्पण की ओर से आभार।
कोमल भाव लिए हुए बेहतरीन रचना,,,
बेहतरीन प्रस्तुति....
behtreen rachna.......
हर एक भावना मन को छूती हुई...बहुत सुन्दर प्रवाहमयी रचना
अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है ...
बहुत खूब ...
आभार आपका !
कल 23/05/2012 को आपके ब्लॉग की किसी एक पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... ... तू हो गई है कितनी पराई ... ...
जिंदगी में ठहराव चाहिये सच कहा है विस्तार को तो समेट कर बांह भर कर लेना है । सुंदर सामयिक रचना मेरे जैसों के लिये ।
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए .... bahut khoob darshan
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