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ठहराव ......

>> Monday, May 7, 2012



उम्र के  
छठे  दशक  का 
प्रथम  पड़ाव -
सोच पर भी 
आ जाता है 
जैसे एक ठहराव ,
अनुभवों की पोटली 
संग बंधी रहती है 
फिर भी कभी कभी 
अनुभवों की 
बहुत कमी लगती है 
लगता है कि
जैसे सब कुछ 
बिखर रहा है 
समेटने के लिए 
अंजुरी का दायरा 
कम पड़ रहा है 
फिर मैं अंजुरी छोड़ 
बाहों को फैला देती हूँ 
सारे जहां का दर्द 
खुद में  समेट लाती हूँ 
आज भी आँखों में 
स्वप्न चले आते हैं 
मेरे मन  के व्योम  को 
विस्तृत कर जाते हैं 
भावनाओं के पाखी 
अब थक चुके हैं 
गहन विश्राम के लिए 
चल चुके हैं 
अब कोई विस्तार नहीं 
बस - पड़ाव चाहिए 
ज़िंदगी में बस 
एक ठहराव चाहिए .... 



80 comments:

सदा 5/07/2012 4:38 PM  

अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है
बहुत ही सही ... उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

सहज साहित्य 5/07/2012 5:00 PM  

संगीता जी बहुत अच्छी कविता है । सच्चे अनुभव उम्र के इस पड़ाव पर होते हैं और हम पड़ताल करने पाते हैं कि पूरा जीवन किस चूहादौड़ में खपा दिया है ! आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई -
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....

संतोष त्रिवेदी 5/07/2012 5:02 PM  

ऐसा ठहराव जो मन को सुकून दे,
तन को आराम दे,
कई बार ज़रूरी होता है
इस उम्र में !

Suman 5/07/2012 5:08 PM  

अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
जीवन का सारा निचोड़ है इस रचना में
बहुत सुंदर लगी !

रश्मि प्रभा... 5/07/2012 5:30 PM  

अनुभवों को ब्रेक मिलता है , जब बच्चे अनुभवों के रास्ते तय करने लगते हैं , तब एक अव्यक्त थकान होती है जहाँ ठहराव कहें या आराम ... उसकी ज़रूरत होती है

रश्मि प्रभा... 5/07/2012 5:31 PM  

अनुभवों को ब्रेक मिलता है , जब बच्चे अनुभवों के रास्ते तय करने लगते हैं , तब एक अव्यक्त थकान होती है जहाँ ठहराव कहें या आराम ... उसकी ज़रूरत होती है

Anupama Tripathi 5/07/2012 5:39 PM  

सबसे पहले पुनः जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें

....अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....

कितने सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है ....!!
बहुत सुंदर रचना ....!!

अनुपमा पाठक 5/07/2012 5:46 PM  

यह पड़ाव ठहराव भी बने और गति भी दे...!
ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
Many many happy returns of the day:)

Sadhana Vaid 5/07/2012 5:48 PM  

बहुत सारगर्भित रचना है संगीता जी ! लेकिन जन्मदिन के शुभ अवसर पर विचारों पर निराशा का यह कोहरा अवांछनीय है ! आज की रचना तो सूर्य की प्रथम किरण सी दिव्य आलोक से जगमगाती होनी चाहिये ! जन्मदिन की आपको हार्दिक शुभकामनायें ! ज़िंदगी के हर पड़ाव पर मिलने वाले अनुभव हमें प्रतिपल और समृद्ध बनाते हैं ! बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! बधाई स्वीकार करें !

Amrita Tanmay 5/07/2012 5:59 PM  

जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..अनुभवी धरातल पर खिली अति सुन्दर रचना के लिए बधाई..पर ये भाव तो मुझे वक्त-बेवक्त ठहरा ही देता है..

आशा बिष्ट 5/07/2012 6:17 PM  

उत्‍कृष्‍ट

Yashwant R. B. Mathur 5/07/2012 6:30 PM  

बहुत खूब आंटी!


जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सादर

udaya veer singh 5/07/2012 6:34 PM  

जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..अति सुन्दर रचना के लिए बधाई.

कविता रावत 5/07/2012 6:36 PM  

आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!

mridula pradhan 5/07/2012 6:37 PM  

अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है......bahut sunder pangtiyan.....janmdin ki badhayee.

अशोक सलूजा 5/07/2012 6:50 PM  

अच्छा लगा !किसी ने तो समझी मन की उलझन ..
उम्र के इस पडाव में .....न किसी की नाराज़गी ,
न किसी से किसी किस्म की बहस ....
सिर्फ ठहराव ..बस ठहराव ..सब शांत !!
जन्म-दिन की बधाई स्वीकार करें !
बहुत स्नेह के साथ !
खुश और स्वस्थ रहें!

ऋता शेखर 'मधु' 5/07/2012 6:58 PM  

जेनेरेशन गैप...नए अनुभवों के सामने पुराने अनुभवों का कोई महत्व नहीं रहता है...फिर भी old is gold...तन को आराम चाहिए, मन गतीशील बना रहे...
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !!!

***Punam*** 5/07/2012 6:58 PM  

अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है !!

जन्मदिन मुबारक हो.....
तुम जियो हजारों साल...
साल के दिन हों......
अपने हिसाब से भर लीजिएगा मन चाहा.....
हमारी तो बस शुभ-कामनाएँ हैं.....
जियेँ.....जीएन....खूब जियेँ...!!

विभूति" 5/07/2012 7:50 PM  

बहुत ही खुबसूरत
और कोमल भावो की अभिवयक्ति......
जन्मदिन मुबारक हो.....

प्रवीण पाण्डेय 5/07/2012 7:56 PM  

स्मृति का एक बड़ा कोष है आपके पास..उतराने के लिये।

shikha varshney 5/07/2012 8:22 PM  

जन्मदिन पर गज़ब के ख़याल आये हैं आपको. सच है जीवन में जैसे अनुभव कभी पूरे ही नहीं पड़ते. और ठहराव...वो भी कहाँ आता है.
जीवन हर पल एक नया संघर्ष है.
बहुत ही अच्छी कविता .
और हैप्पी बर्थडे :):).

संध्या शर्मा 5/07/2012 8:27 PM  

आपका जीवन अनुभवों का खजाना है संगीता जी यह हम आपकी रचनाओं के माध्यम से कह सकते हैं. फिर भी ठहराव और आराम की जरुरत तो महसूस होती ही है... दीर्घायु हों खुश रहें...

रविकर 5/07/2012 8:55 PM  

उह
भगवान् स्वस्थ रखे-

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 5/07/2012 9:44 PM  

अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....

जन्मदिन की आपको हार्दिक शुभकामनायें ! ज़िंदगी के इस पड़ाव पर मिलने वाले अनुभव हमें और समृद्ध बनाते हैं ! आपने विचारों को बहुत सुन्दर ढंग से लिखा है,....बधाई

RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

Anju (Anu) Chaudhary 5/07/2012 9:57 PM  

दुआ करेंगे कि इस पड़ाव में भी वही मर्यादा ...मान सम्मान बना रहे ....और ऐसे ही आपके अनुभव पढ़ने को मिलते रहे ...आभार

प्रतिभा सक्सेना 5/07/2012 10:14 PM  

सर्वप्रथम जन्म-दिवस की शुभकामनाये -साठ के पार जीवन के सारे अनुभव निर्मल आनन्द के वाहक बन
नई आस्थाओं का सूत्रपात करें !
जीवन के सत्यों को अनावरित करती सुन्दर कविता के लिये बधाई !

vandana gupta 5/07/2012 10:23 PM  

अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
अनुभवो का खज़ाना भर दिया

जन्म दिन की
शुभकामना देती
मित्र तुम्हारी

जीवन बीते
बनके फुलवारी
महके मन

हर दिन हो
पुष्पों सा महकता
खिले जीवन

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ..........:):):):):)

Dr.NISHA MAHARANA 5/07/2012 10:24 PM  

waah janamdin mubarak ho sangeetajee ....jivan ka nichod accha lga....thahraw bhi jaruri hai...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 5/07/2012 10:31 PM  

दीदी,
आपके आशीष का हाथ हमारे सिर पर बना रहे.. आपके जन्मदिन पर बस यही हमारा स्वार्थ है.. बस स्नेहाशीष बना रहे, सालगिरह मुबारक!!

ashish 5/07/2012 10:35 PM  

अनुभव हमेशा से सम्मान का पात्र रहा है , किसी भी काल खंड में और अनुभव कभी ठहरता नहीं उसे तो पथप्रदर्शक की भूमिका निभानी ही है. पड़ाव तो ठीक लेकिन केवल विश्राम के लिए, ठहराव के लिए नहीं.बहने दीजिये कल कल जीवन सरिता और कलम की स्याही को.जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं.

Dr. sandhya tiwari 5/07/2012 11:00 PM  

जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनायें .......... जीवन इसी तरह खुशियों से भरा रहे|

संगीता स्वरुप ( गीत ) 5/07/2012 11:46 PM  

आप सभी पाठकों का बहुत बहुत आभार ... आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ

मनोज कुमार 5/07/2012 11:52 PM  

इस अनुभव का कोई सानी नहीं है
कविता में पिरो कर जो बात आपने कही है वह एक परिपक्व कवि की निशानी है।
बस यूं ही आपकी कविताएं खिलती रहें
और आप हर पल खिलखिलाती रहें।
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!!

मनोज कुमार 5/07/2012 11:52 PM  

इस अनुभव का कोई सानी नहीं है
कविता में पिरो कर जो बात आपने कही है वह एक परिपक्व कवि की निशानी है।
बस यूं ही आपकी कविताएं खिलती रहें
और आप हर पल खिलखिलाती रहें।
MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY!!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 5/08/2012 1:46 AM  

वाह क्या बात है!! आपने बहुत उम्दा लिखा है...बधाई
इसे भी देखने की जेहमत उठाएं शायद पसन्द आये-
फिर सर तलाशते हैं वो

डॉ. मोनिका शर्मा 5/08/2012 3:50 AM  

सुंदर सशक्त रचना ..... जन्मदिन की शुभकामनायें स्वीकारें

devendra gautam 5/08/2012 8:18 AM  

कितना अच्छा होता यदि न घडी होती न कैलेंडर...न उम्र का अहसास होता न पड़ाव का शुमार...बस चलते रहते और बुलावा आने पर चल देते..लेकिन घडी भी है कैलेंडर भी...इसलिए अहसास तो होंगे ही और अहसास की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति भी होगी.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 5/08/2012 10:32 AM  

इसी को तो जिन्दगी कहते है ! मन के भाव वर्णित करती उत्तम रचना ! जन्मदिन की आपको हार्दिक वधाई !

ANULATA RAJ NAIR 5/08/2012 10:38 AM  

अरे कुछ ठहराव नहीं दी....................

चलते रहिये......भागते रहिये........
तभी तो दृश्य परिवर्तन होंगे,,,,,,,
तभी तो आनंद आएगा.................

बस दुआ है कि ऊर्जा और उत्साह बना रहे
:-)

शुभकामनाओं का बड़ा सा पुलिंदा......

अनु

Pravin chandra roy 5/08/2012 10:59 AM  

आपकी प्रस्तुत रचना विश्राम मांग रही है ...हमारे उम्र को बाहें फैलाएं जीने की नयी सीख़ दे रही है | आभारी हूँ, विचारों की सुन्दर अभिव्यक्ती के लिये...........

Dr (Miss) Sharad Singh 5/08/2012 11:08 AM  

अंजुरी का दायरा
कम पड़ रहा है
फिर मैं अंजुरी छोड़
बाहों को फैला देती हूँ
सारे जहां का दर्द
खुद में समेट लाती हूँ
आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं


भावनाओं को बहुत सुन्दरता से पिरोया है आपने...अंजुरी का दायरा छोटा होने पर बांहों को फैलाने की बात मन को गहरे तक छू गई...बहुत गहन विचार...

पूनम श्रीवास्तव 5/08/2012 11:43 AM  

di
sach me jindgi ka safar aisa hi hai hi ki tamam anubhavo ke bavjud lagta hai ki abhi to bahut kami rah gai hai .
kahten hain na seekhne ke liye pryapt jivan bhi kam lagne lagta hai.
hame to sada se hi aapki rachnaon se seekhne ka housla mila hai.aap yun hi likhte rahein aur aapki shbh kamnao se hame bhinit naye anubhavo ka khajana milta rahe----
sadar naman
poonam

पूनम श्रीवास्तव 5/08/2012 11:44 AM  

di
sach me jindgi ka safar aisa hi hai hi ki tamam anubhavo ke bavjud lagta hai ki abhi to bahut kami rah gai hai .
kahten hain na seekhne ke liye pryapt jivan bhi kam lagne lagta hai.
hame to sada se hi aapki rachnaon se seekhne ka housla mila hai.aap yun hi likhte rahein aur aapki shbh kamnao se hame bhinit naye anubhavo ka khajana milta rahe----
sadar naman
poonam

राजेश उत्‍साही 5/08/2012 12:16 PM  

जिन्‍दगी में ठहराव नहीं रवानी होनी चाहिए।

राजेश उत्‍साही 5/08/2012 12:18 PM  

और जन्‍मदिन तो आते रहेंगे,तो ठहराव तो संभव ही नहीं। हम हर दिन कुछ न कुछ तो नया अनुभव करते ही हैं।
*

असीम शुभकामनाएं इस पड़ाव के लिए।

दिगम्बर नासवा 5/08/2012 12:22 PM  

कभी न कभी जीवन में ठहराव तो हर कोई चाहता है ताकि फिर से नव स्फूर्ति से चल सके ...
कभी कभी इस ठहराव में राडों कों सहलाने की छह भी रहती है ...

दिगम्बर नासवा 5/08/2012 12:23 PM  

जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

sonal 5/08/2012 12:37 PM  

ये ठहराव थोड़ी देर का है फिर जोश से आगे बढिए ...शुभकामनाये

Naveen Mani Tripathi 5/08/2012 1:15 PM  

बहुत ही भाव पूर्ण .......... ठहराव तो एक कलपना ही है .....वास्तविकता तो ये है की मृत्यु के उपरांत भी ठहराव नहीं आता है फिर क्यों सोचा जाये ठहराने की बात .............समय के साथ बहते चलो ...समय ही हमें ना जाने कितने जीवन की यात्राओं का बोध कराएगा .....हम गति माँ थे ., हैं , और रहेंगे भी ......हमारी यत्र अनंत है .संगीता जी .....रचना आपकी बहुत ही प्रभावशाली लगी आभार के साथ ही बधाई

Pallavi saxena 5/08/2012 2:56 PM  

भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं
गहन विश्राम के लिए
चल चुके हैं
अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
बेहतरीन पंक्तियाँ ....

Maheshwari kaneri 5/08/2012 3:14 PM  

बहुत ही सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है बहुत सुन्दर.....जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ..

Kailash Sharma 5/08/2012 3:32 PM  

आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं

बहुत खूब !....भावों की बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति...जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें !

अनामिका की सदायें ...... 5/08/2012 7:39 PM  

sarv pratham janm din ke dheron shubhkaamnaayen. chaaha to tha ki aap ko shubhkaamnayen apse mil kar den, par aisa ho n saka.

अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है
फिर भी कभी कभी
अनुभवों की
बहुत कमी लगती है
लगता है कि जैसे
सब कुछ बिखर रहा है
समेटने के लिए
अंजुरी का दायरा
कम पड़ रहा है

mujhe bhi kabhi kabhi aapki ye rachnaayen padh kar lagta hai ki samajhne ki abhi mujhme bahut kami hai...dimag ka dayra kam hai aur main bhi apni soch ki dayra badha deti hun...

ha.ha.ha.

bahut vilakshanta se ehsaso ko shabdon ki mala me piroya hai.

विभूति" 5/08/2012 7:58 PM  

बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......

Smart Indian 5/09/2012 6:21 AM  

:) शुभकामनायें! :)

मुकेश पाण्डेय चन्दन 5/09/2012 10:29 AM  

padav hardam lambi yatra ke beech bahut jaruri hoti hai. ati sundar kavita

Ramakant Singh 5/09/2012 1:21 PM  

अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....
THE LAST TRUTH OF THE LIFE.
SO BEAUTIFUL LINES NEAR TO HEART AND LIFE . I LIVI IN .

virendra sharma 5/09/2012 2:57 PM  

आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
बढ़िया प्रस्तुति भावों को झंकृत करती कुछ कहती सी .दुलराती सी बतियाती सी खुद अपने से ही .मन की सात्विक आंच का सिंक देती हुई सी .

Anonymous,  5/10/2012 11:08 AM  

Alle........dadi ka happy budday hai....very very happy birthday....saanjh aur saanjh ke ujaale ki taraf se :)

Anita 5/11/2012 8:52 AM  

उम्र के हर मोड़ की अपनी मांग होती है...बहुत सुंदर शब्दों और भावों से आपने इस मोड़ पर जन्म दिन का स्वागत किया है..बधाई !

Onkar 5/12/2012 11:11 AM  

bahut sundar rachna

स्वाति 5/13/2012 6:28 PM  

waah bahut hi sundar....chand panktiyon me dil khol kar rakh diya...badhaai...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 5/13/2012 8:16 PM  

मील के पत्थरों में पड़ाव नहीं होता
जीवन यात्रा में कभी ठहराव नहीं होता
अनुभवों की झाड़ियाँ ही छाँव देती हैं
इनकी पत्तियों में कभी बिखराव नहीं होता.
स्वप्न आते हैं , व्योम विस्तार लेता है
जिंदगी और दर्द में, अलगाव नहीं होता.
भावना-पाखी थके कितना भी उड़-उड़ के
उन्मुक्त गगन से कभी टकराव नहीं होता.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार 5/14/2012 11:24 AM  

.

सादर प्रणाम !

सुना है,
उम्र के छठे दशक से हर पड़ाव पर चाहने वालों को मिठाई खिलाते रहना चाहिए …
बतलादें दावत पर कब आना है … :)

गंभीर हो जाता हूं …
अनुभवों से उपजी भाव पूर्ण रचना के लिए साधुवाद !

ठहराव विश्राम आप जैसी ऊर्जावान सृजक को रास नहीं आ सकता …

बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …
स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें , नाती-पोतों की किलकारियों में व्यस्त रहते हुए आनंद-गीतों का सृजन करती रहें …

सादर …

महेन्‍द्र वर्मा 5/14/2012 10:42 PM  

अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए ....

छोटों को राह बताने का समय अब आया है।
जन्मदिन मुबारक।

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" 5/15/2012 7:58 PM  

आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं ..aaderneeya sangeeta jee..jab tak aapke paas anubhav kee potli hai aaur aankho mein swapn hain jindagi me thahrav aa hee nahi sakta..lekin manah sthitiyon ka ek sunder khaka aapne apne shabdon ke jaadu se kheecha hai..jiske praman aapke sabhi rachnaon me milte hain..sadar pranaam ke sath

virendra sharma 5/16/2012 1:31 AM  

आज भी आँखों में
स्वप्न चले आते हैं
मेरे मन के व्योम को
विस्तृत कर जाते हैं
भावनाओं के पाखी
अब थक चुके हैं .
HAPPY FAMILY DAY MAY 15,2012.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') 5/17/2012 5:51 PM  

फिर मैं अंजुरी छोड़
बाहों को फैला देती हूँ
सारे जहां का दर्द
खुद में समेट लाती हूँ ....

क्या ही अभिव्यक्ति है....
सादर बधाईयाँ दी...

हरकीरत ' हीर' 5/19/2012 5:34 AM  

जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें ....संगीता जी ...!!

सुज्ञ 5/19/2012 10:38 PM  

उत्‍कृष्‍ट अभिव्यक्ति!! शान्ति की खोज का काव्य!!

India Darpan 5/20/2012 1:13 PM  

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


इंडिया दर्पण
की ओर से आभार।

India Darpan 5/20/2012 1:14 PM  

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


इंडिया दर्पण
की ओर से आभार।

मेरा मन पंछी सा 5/21/2012 10:28 AM  

कोमल भाव लिए हुए बेहतरीन रचना,,,
बेहतरीन प्रस्तुति....

Unknown 5/21/2012 11:23 AM  

behtreen rachna.......

Saras 5/21/2012 6:25 PM  

हर एक भावना मन को छूती हुई...बहुत सुन्दर प्रवाहमयी रचना

Satish Saxena 5/22/2012 9:41 AM  

अनुभवों की पोटली
संग बंधी रहती है ...

बहुत खूब ...
आभार आपका !

सदा 5/22/2012 3:38 PM  

कल 23/05/2012 को आपके ब्‍लॉग की किसी एक पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


... ... तू हो गई है कितनी पराई ... ...

Asha Joglekar 5/29/2012 10:21 PM  

जिंदगी में ठहराव चाहिये सच कहा है विस्तार को तो समेट कर बांह भर कर लेना है । सुंदर सामयिक रचना मेरे जैसों के लिये ।

निर्झर'नीर 6/11/2012 4:46 PM  

अब कोई विस्तार नहीं
बस - पड़ाव चाहिए
ज़िंदगी में बस
एक ठहराव चाहिए .... bahut khoob darshan

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