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अनुनाद

>> Thursday, May 21, 2009


मन में


न जाने


कैसा ये शोर है


वो चाहता कुछ और


और कहता


कुछ और है ।



जानता ये नही


कि--


चाह मन



घोर अनुनाद कर रही


कुछ छिपाना चाहता


पर दिखाता


कुछ और है ।



ज़रा सुनो


तुम ध्यान से


उसकी प्रतिध्वनि


शब्द कुछ और


कह रहे


पर अर्थ


कुछ और है ।



कुछ पहेली सी है


आज ये मन की बात


पूछ कुछ और रहा


पर उत्तर कुछ और है

1 comments:

masoomshayer 5/25/2009 11:55 AM  

advity aisa likhne ka man hota hai nahee likh pata

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