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दीवानगी ---------

>> Monday, August 31, 2009



कहते हैं लोग कि-
हम किसीको
दीवानों की तरह
प्यार करते हैं
किसी पर
दिल - औ - जाँ से
मरते हैं
पर प्यार के बदले
कुछ पाने की
चाह भी रखते हैं .
तो फिर ये
कैसी दीवानगी है--
जो ख्वाहिशों से
भरी है
पूरी न हो ख्वाहिशें
तो
ज़िन्दगी अधूरी है .

दीवानगी तो थी
मीरा की
जिसने प्रेम में
गरल भी पिया था
हर इल्जाम
अपने सिर लिया था
कुछ पाने की
ख्वाहिश नहीं थी
बस समर्पण ही किया था..

2 comments:

रश्मि प्रभा... 8/31/2009 3:46 PM  

jab chah ho to kaisi deewangi? pyaar to bas deta hai........waah

दिगम्बर नासवा 8/31/2009 4:52 PM  

अगर हर कोई meera vaala प्यार कर सके तो ishvar के kareeb न हो जाये ..............
lajawaab rachna है ........... umda

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