एक नया अंदाज़
>> Thursday, April 15, 2010
बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं जा रहा....बस लगता है कि कुछ लिख ही नहीं पाउंगी...मन में आये भावों को कुछ टूटे शब्द दिए हैं....शायद फिर से कुछ लिख पाऊं ....
मन की
बेचैनियों ने
क़तर दिए हैं पंख
मेरी कल्पना के
उड़ने की
सारी कोशिशें
नाकाम हो रही हैं
दिखता है
सामने एक
विस्तृत आसमाँ
पर
उड़ने की क्षमता
ख़त्म हो रही है .
खूंटे से
बंधा मन
कुछ
सोच नहीं पाता है
सीमित दायरे में बस
घूमता रह जाता है
घूमते घूमते
ना जाने कब
टूटन समा जाती है
और ये
मेरी सोच पर
एक विराम
लगा जाती है .
लेखनी मेरी
सुप्त है
और शब्द
बिखरे हुए हैं
लगता है जैसे सब
खोये से हुए हैं .
कल्पना को
कहीं पंख भी
नहीं मिल रहे हैं
उड़ने की लालसा
बस एक
कल्पना बन गयी है
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
तब होगी
उड़ान शायद
एक नया अंदाज़ लिए ...
मन की
बेचैनियों ने
क़तर दिए हैं पंख
मेरी कल्पना के
उड़ने की
सारी कोशिशें
नाकाम हो रही हैं
दिखता है
सामने एक
विस्तृत आसमाँ
पर
उड़ने की क्षमता
ख़त्म हो रही है .
खूंटे से
बंधा मन
कुछ
सोच नहीं पाता है
सीमित दायरे में बस
घूमता रह जाता है
घूमते घूमते
ना जाने कब
टूटन समा जाती है
और ये
मेरी सोच पर
एक विराम
लगा जाती है .
लेखनी मेरी
सुप्त है
और शब्द
बिखरे हुए हैं
लगता है जैसे सब
खोये से हुए हैं .
कल्पना को
कहीं पंख भी
नहीं मिल रहे हैं
उड़ने की लालसा
बस एक
कल्पना बन गयी है
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
तब होगी
उड़ान शायद
एक नया अंदाज़ लिए ...
29 comments:
एक निराशा के अन्धकार में डूबा हुआ टूटा मन...और उसकी व्यथा..दिल को छू गयी आपकी रचना. शब्दों को सुन्दर माला में पिरो अच्छी रचना बन गयी है.
बधाई.
man ke vihcar par ....aashaon ki dor bandhi ......dikhai deti hai is rachna mein ........bahut khoob
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
bahut khub
shandar
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
उड़ान तो शुरू हो गई है!
intezar hai aapki lekhni ko shabdon ke milan ka...bina milan bhi kafi kuch kehti hai...
Yadi kisi ke dawara bichlit man hone ke baad me is tarh ki kavita likhta hai to wah nishchit hi badhayi ka paatra hai...bahut sundar rachna....
vikas pandey
www.vicharokadarpan.blogspot.com
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
इससे अच्छी उड़ान और क्या होगी.
बेहतरीन
bahut dino ke baad aaj kuch padane ka samay mila aur aapka blog khola....yah rachana padi aur phir se kahi kho gai....gahan bhavanae liye ek anupam krati pesh karane ke liye dhanywaad!!
nice
अगर ये बिना उडान की कविता है तो पता नहीं उड़ान वाली कविता क्या होगी ! "टूटे शब्दों" का माला ही सही पर बहुत सुन्दर ! कभी कभी ऐसा होता है की कुछ लिखा नहीं जाता है, पर शायद ये मन का भ्रम है अपने मन में जो भी भाव हैं, उन्हें लिख डालें तो कुछ अच्छा ही निकलता है .... जैसे आपने किये है !
सुन्दर शब्द चित्र!
मुख से वाह-वाह ही निकलती है!
waaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh........mumaaaaaaaaaaaaaaa........naa likhne par bhi kya dhansu type likh dala .....heheh...aur wo bhi naye andaaz me.... :P.....taliyaaaaaaaaaaaaaaaaaannnnnnn
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
तब होगी
उड़ान शायद
एक नया अंदाज़ लिए ...
ज़रूर होगी!
आपका ये इंतज़ार जल्दी ख़त्म हो.....
जरूर आपके अरमान परवान चढ़ेगें -चाह है तो राह भी है !
बहुत बहुत सुन्दर रचना...इतनी आसानी से आप मन की बातों को कविता में कैसे ढाल लेती हैं??...हैराण रह जाती हूँ...बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति
अपनी कशमकश को आपने उचित शब्द दिये हैं ।
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
तब होगी
उड़ान शायद
एक नया अंदाज़ लिए-------------------------------------आदरणीया संगीता जी, यह कशमक्श की स्थिति तो सभी के जीवन में आती है---लेकिन हमें यही इन्तजार के क्षण लिखने की प्रेरणा भी देते हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति-पूनम
Jeevan ki kashmakash ko baakhoobi utaar diya hai aapne .. aasha ki umeed hi sapnon ko saakaar karti hai ...
ati sunder..........
आपके उसी उड़ान के मुन्तजिर हैं ......!!
काश जल्दी ही आपकी कल्पना को पंख मिलें
hum to aapkee pratibha ke
shuru se hai kayal.................
dua karte hai ki aapkee shavdavalee se
do teen shavd gayab ho jae
jaise nirasha jakhm aur ghayal............:)
खोये से हुए हैं .
isko sirf
खोये हुए हैं . aisa likhe to ...?
इंतज़ार है कि
फिर से
निकलेंगे पंख
एक नयी परवाज़ लिए
तब होगी
उड़ान शायद
एक नया अंदाज़ लिए
kya andaj hai ..awaysome ,uniqe as always or chitra jo diya hai vo to kalnaon m uDaa le jata hai
bandhai swikaren Gatika ji
shandar
लाजवाब रचना।
नित्यानंद सेक्स स्केंडल के बहाने कुछ और बातें
bahut hi achhi kavita...
yun hi humein achhi rachnayein dete rahein,....
Sach...aisa ho jata hai..aur kuchh bhi karneka man nahi karta...aapne bahut achhese shabdbaddh kiya hai bhavonko..!
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