आज की ताज़ा खबर
>> Friday, April 2, 2010
चिलचिलाती धूप में
चीथड़े पहने हुए
चौराहे पर खड़ा
चौदह बरस का बालक
चिल्ला रहा था --
" आज की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर -
चौदह साल तक के
बच्चों को
शिक्षा का अधिकार
इसके लिए प्रतिबद्ध है
हमारी सरकार "
लाल बत्ती होते ही
हर कार की खिड़की से
झाँक कर कह उठता -
बाबू जी -
अखबार ले लो ना ...
लोग
हिकारत की नज़र से
देख
आगे बढ़ा देते थे
अपनी कार
और बालक
रह जाता था
कहता हुआ
बाबू -
ले लो ना अखबार
आज की ताज़ा खबर
शिक्षा का सबको अधिकार
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_03.html
24 comments:
क्या गज़ब की कविता लिखी है...रोंगटे खड़े हो गए...ऐसा विरोधाभास...ओह्ह समाज की विसंगतियों पर क्रूर प्रहार है यह कविता
ले लो ना अखबार
आज की ताज़ा खबर
शिक्षा का सबको अधिकार
बेध दिया मर्म को आपकी इस कविता ने
अशक्त, असहाय लोगों पर लिखी यह कविता काफी मर्मस्पर्शी बन पड़ी है।
बहुत सुंदर रचना।
kya kuch nahin kah diya is ek pariprekshya se.......waah sangeeta ji
Adaraniya Bhabiji,
Der ke nate khasma chahati hhon sath sath ye bhi kahati hoon ki parne aur anudhaban karne waqt ki jarurat hai. Sagar ki kinare chamatkar hai.
Aj ki taja khabar swabhabikata ko apka lekhani ne asim rup dia hai.Dainandin samanya bisay ko asadharan uchhata par laye hai.Tasbiron ka upayog bhi jatharth aur bhabnaon ko sparsh kiya.
Apki snehadhanya
Kalpana Som 09432750890 KOLKATA.
Yah kaisi vidambana hai...shayad yah din bhi guzar jayenge!
aaj ka such hai ye..........
ha jagah ye drushy dekhane ko milta hai.........
aise ma baap bhee hai jo school bhejne se bheekh mangwana jyada sahee samjhate hai.......
jagrookata aa rahee hai par houle houle............
rachana vishay accha laga kavita ke sath.........
विषय मार्मिक है और शब्दों का चयन उसे और भी निखार रहा है. ..सच में हम राह चलते ऐसे रोज-मर्रा की घटनानाओ को कैसे नज़र-अंदाज़ कर जाते है..और आपने जिस भावुकता से इसे उकेरा है आपकी संवेदनशीलता को भी बताता है.
आभार
बहुत गजब!! वाह!
भारत के जीते जागते भविष्य का आपने बहुत ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है!
ek katu satya ko ujagar karti rachna hriday ko jhanjhod jati hai.
बहुत ही अच्छी व्यंग्य रचना |शिक्षा के अधिकार के समाचार वाला समाचार पत्र बेच रहा है एक अपढ़ बालक
ग़ज़ब का व्यंग है ... ये सरकारी घोषणाएँ नेताओं के पैसा खाने का माध्यम हैं ...
असली समस्या कोई देख नही पाता .. सामाजिक बदलाव अब पुरानी बाते हो गयी हैं ... अब सब कुछ राजनीति निर्धारित करती है ...
कदम उठाया है तो बढेगा भी
आज जो अखबार बेच रहा है
वह कल इसे पढ़ेगा भी
बड़ा होकर कार में जाएगा
तब उसे सड़क पर अखबार बेचता
कोई बच्चा नजर नहीं आएगा
kya karara vyang likha hai aapne.par kavita ki akhiri lain padh kar dil ko chot si lagi.
Bahut hi sundar marmik kavita hai...
vyabsthaa par isase karari chot ho hi nahi sakti
वाह !!
बहुत चुटीली विचार प्रधान रचना है । बधाई । सबसे खास बात कविता के अनुकूल चित्रों का सही स्थान पर लगाना ।
और कवि सुरेन्द्र दुबे जी की यह टिप्पणी आपकी रचना को सबसे बेहतरीन तोहफा है -
'कदम उठाया है तो बढेगा भी
आज जो अखबार बेच रहा है
वह कल इसे पढ़ेगा भी
बड़ा होकर कार में जाएगा
तब उसे सड़क पर अखबार बेचता
कोई बच्चा नजर नहीं आएगा'
सुरेन्द्र जी क्या बात है !!!
Sach me....marmahat karne wae shabd
sundar hamesha ki tarah ..aapka chintan gahra hai
रचना तो अच्छी ही है----कवि! कुछ एसी तान सुनाओ जिससे कुछ समाधान भी निकले?
बाबू -
ले लो ना अखबार
आज की ताज़ा खबर
शिक्षा का सबको अधिकार ...aakhir me nazm zabardast tareeke se jhakjhorti hai mumma... :)
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