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उजला आसमां

>> Thursday, June 24, 2010





मन के 

अशांत सागर में 

भावना की लहरें 

उद्वेग में आकर

ज्वार  सा 

उठा  देती हैं 

विक्षिप्त सा बन 

मन का सागर 

रिश्तों के 

साहिल का 

विध्वंस कर देता है 

जब आता  है भाटा

और हो जाता  है 

तूफ़ान शांत 

तो सोचती हूँ 

मैं   कि-

आशा किरण 

चारों ओर फ़ैल कर 

एक उजला सा 

आसमां  दे दे 

जहाँ कोई 

अमावस का 

चाँद भी ना हो .....




40 comments:

shikha varshney 6/24/2010 7:35 PM  

आमीन ...दी ये उजला आसमान हमारे ऊपर ही होता है बस नजर भर उठाकर देखने की देर है.बेहद भावपूर्ण रचना .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 6/24/2010 7:44 PM  

एक उजला सा

आसमां दे दे

जहाँ कोई

अमावस का

चाँद भी ना हो .....
--
रचना में अन्योक्ति का प्रयोग बहुत ही अच्छा किया गया है!

अनामिका की सदायें ...... 6/24/2010 7:45 PM  

भावनाओं की बाढ़ आ कर चले जाने के बाद और कुछ विध्वंस हो जाने के बाद ही सब शांत हो पाता है...न जाने इश्वर ने इन्सान और प्रकृति को ऐसी प्रवर्ति क्यों बख्शी है.

लेकिन यह भगवान की ही देन है..

सुंदर रचना.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 6/24/2010 7:47 PM  

मनुष्य का मन अऊर उसमें होने वाला भावनाओं के खेला को आप बहुत सुंदर ढंग से बर्णन की हैं...

kshama 6/24/2010 7:51 PM  

"Amawas ka chaand!" kya kalpna ki udaan hai!Jo chitr diya hai,mera ek bhittee chitr yaad gaya,use dekh!

rashmi ravija 6/24/2010 7:53 PM  

मन के सागर का रिश्तों के साहिल को विध्वंस करने की बात खूब कही.
उजले आसमान की ख्वाहिश भी ,बहुत दिलकश है

संगीता पुरी 6/24/2010 8:28 PM  

सबके मन की बात .. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति !!

रश्मि प्रभा... 6/24/2010 8:44 PM  

ज़रूर मिलेगा वो आसमान.... ख्वाहिशें अधूरी नहीं रहती

Sunil Kumar 6/24/2010 8:53 PM  

अच्‍छी अभिव्‍यक्ति !!

मनोज कुमार 6/24/2010 9:01 PM  

दोषरहित और गुणसहित, अनलंकृत, शब्द और अर्थमयी रचना!
इसे पढकर मार्टिन लुथर किंग की पंक्तियां स्मरण हो गईं "हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये।"

स्वप्निल तिवारी 6/24/2010 9:22 PM  

ek dum positive energy l;iye nazm hai mumma.. aaj kitna zaroori ho gaya hai aisa aasmaan ..jab ki har doosre din logon ki zindagi me amawas aa jati hai ... :(

Udan Tashtari 6/24/2010 9:25 PM  

बहुत बढ़िया रचना!

hem pandey 6/24/2010 10:44 PM  

'अमावस का

चाँद'
- वाह !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) 6/24/2010 11:04 PM  

सुंदर अभिव्यक्ति ... के साथ बहुत अच्छी लगी यह रचना....

vandana gupta 6/25/2010 10:46 AM  

क्या कहूँ………निशब्द हूँ………………बेहतरीन , उम्दा रचना।

Anupama Tripathi 6/25/2010 11:17 AM  

संवेदन शील स्त्री के मन की व्यथा -कथा
मर्म को स्पर्श करती हुई --
ठंडी हवा की तरह --
बहुत ही सुंदर ....!!!!!!!

रचना दीक्षित 6/25/2010 1:33 PM  

एक उजला सा

आसमां दे दे

जहाँ कोई

अमावस का

चाँद भी ना हो .....
वाह !!!!मैं भी तो वही ढूंढ़ रही हूँ आपको मिले तो चाहें उसको मेरा पता या मुझको उसका पता बता देना

अर्चना तिवारी 6/25/2010 10:20 PM  

बहुत सुंदर रचना है...मन की गहराइयों में उतरती

ज्योत्स्ना पाण्डेय 6/26/2010 1:39 PM  

एक उजला सा


आसमां दे दे


जहाँ कोई


अमावस का


चाँद भी ना हो .....


सुन्दर विरोधाभास....शुभकामनाये......

Anonymous,  6/26/2010 7:10 PM  

bahut hi achhi rachna...
maaf kijiyega thodi der ho gayi aane mein..
aajkal thoda wyast hoon naukri ki talaash mein...

राजकुमार सोनी 6/26/2010 8:42 PM  

जहां कोई अमावस का चांद न हो।
चांद वह भी अमावस का...
अंधेरे से उजाले की ओर यही एक अहसास हो सकता था शायद..
शायद.
हां... शायद।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" 6/26/2010 10:41 PM  

बहुत सुन्दर रचना ... आशावादी सोच ...

Shabad shabad 6/27/2010 5:12 PM  

एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो ....
बहुत बढ़िया रचना!

विनोद कुमार पांडेय 6/28/2010 8:27 AM  

मन के बेहतरीन भावों से सजी एक सुंदर भावपूर्ण रचना..प्रणाम संगीत जी

Akshitaa (Pakhi) 6/28/2010 11:03 AM  

बहुत सुन्दर गीत..खूबसूरत.

***************************
'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !

Reetika 6/28/2010 3:49 PM  

umeed..aur yeh sirf umeed ..

ktheLeo (कुश शर्मा) 6/28/2010 11:15 PM  

मेरे साधारण शब्दों को अपनी चर्चा के लिये चुनने के लिये आपका धन्यवाद।"सच में" के प्रति स्नेह बनाये रखें।

Sadhana Vaid 6/29/2010 1:57 AM  

बहुत ही सुन्दर और काव्यमय रचना ! ऐसा उजाला हर मन को आलोकित करे और हर मन के अन्धकार को मिटा दे आपके साथ मेरे दोनों हाथ भी इसी प्रार्थना के लिए जुड गए हैं ! एक बहुत ही प्यारी और हृदयग्राही अभिव्यक्ति !

शोभना चौरे 6/29/2010 12:20 PM  

bahut sundar bhav .
ujale sda bne rahe

Saumya 6/29/2010 1:41 PM  

nice thought...inspiring

डॉ. जेन्नी शबनम 6/29/2010 8:46 PM  
This comment has been removed by the author.
डॉ. जेन्नी शबनम 6/29/2010 8:52 PM  

sangeeta ji,
behad swapnil aasmaan, kaash ki aisa ujla aasmaan sabko haasil ho...

आशा किरण

चारों ओर फ़ैल कर

एक उजला सा

आसमां दे दे

जहाँ कोई

अमावस का

चाँद भी ना हो .....


sundar abhivyakti, badhai sweekaren.

KK Yadav 6/30/2010 2:39 PM  

भावनाओं की खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...साधुवाद.

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) 7/01/2010 3:40 PM  

एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो

वाह !! .... बहुत सुन्दर

girish pankaj 7/02/2010 10:56 AM  

hamesha ki tarah yah bhi kavitaa bhavpoorn hai. badhai apko stareey lekhan k liye.

Aruna Kapoor 7/02/2010 2:44 PM  

भावना की लहरें


उद्वेग में आकर


ज्वार सा


उठा देती हैं


विक्षिप्त सा बन


मन का सागर


रिश्तों के


साहिल का


विध्वंस कर देता है

.......एक अति सुंदर रचना!

निर्झर'नीर 7/04/2010 1:30 PM  

hamesha ki tarah talkh haqiqat ko aapne shabd diye hai ..avismarniiy

दिगम्बर नासवा 7/04/2010 10:58 PM  

मन के भावों की उठा पटक को बहुत सुंदर से रक्खा है आपने .....

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