भावनाओं की बाढ़ आ कर चले जाने के बाद और कुछ विध्वंस हो जाने के बाद ही सब शांत हो पाता है...न जाने इश्वर ने इन्सान और प्रकृति को ऐसी प्रवर्ति क्यों बख्शी है.
दोषरहित और गुणसहित, अनलंकृत, शब्द और अर्थमयी रचना! इसे पढकर मार्टिन लुथर किंग की पंक्तियां स्मरण हो गईं "हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये।"
ek dum positive energy l;iye nazm hai mumma.. aaj kitna zaroori ho gaya hai aisa aasmaan ..jab ki har doosre din logon ki zindagi me amawas aa jati hai ... :(
बहुत ही सुन्दर और काव्यमय रचना ! ऐसा उजाला हर मन को आलोकित करे और हर मन के अन्धकार को मिटा दे आपके साथ मेरे दोनों हाथ भी इसी प्रार्थना के लिए जुड गए हैं ! एक बहुत ही प्यारी और हृदयग्राही अभिव्यक्ति !
कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
40 comments:
आमीन ...दी ये उजला आसमान हमारे ऊपर ही होता है बस नजर भर उठाकर देखने की देर है.बेहद भावपूर्ण रचना .
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो .....
--
रचना में अन्योक्ति का प्रयोग बहुत ही अच्छा किया गया है!
भावनाओं की बाढ़ आ कर चले जाने के बाद और कुछ विध्वंस हो जाने के बाद ही सब शांत हो पाता है...न जाने इश्वर ने इन्सान और प्रकृति को ऐसी प्रवर्ति क्यों बख्शी है.
लेकिन यह भगवान की ही देन है..
सुंदर रचना.
मनुष्य का मन अऊर उसमें होने वाला भावनाओं के खेला को आप बहुत सुंदर ढंग से बर्णन की हैं...
"Amawas ka chaand!" kya kalpna ki udaan hai!Jo chitr diya hai,mera ek bhittee chitr yaad gaya,use dekh!
मन के सागर का रिश्तों के साहिल को विध्वंस करने की बात खूब कही.
उजले आसमान की ख्वाहिश भी ,बहुत दिलकश है
सबके मन की बात .. अच्छी अभिव्यक्ति !!
ज़रूर मिलेगा वो आसमान.... ख्वाहिशें अधूरी नहीं रहती
अच्छी अभिव्यक्ति !!
दोषरहित और गुणसहित, अनलंकृत, शब्द और अर्थमयी रचना!
इसे पढकर मार्टिन लुथर किंग की पंक्तियां स्मरण हो गईं "हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये।"
ek dum positive energy l;iye nazm hai mumma.. aaj kitna zaroori ho gaya hai aisa aasmaan ..jab ki har doosre din logon ki zindagi me amawas aa jati hai ... :(
बहुत बढ़िया रचना!
bahot achcha hai.
'अमावस का
चाँद'
- वाह !
सुंदर अभिव्यक्ति ... के साथ बहुत अच्छी लगी यह रचना....
क्या कहूँ………निशब्द हूँ………………बेहतरीन , उम्दा रचना।
संवेदन शील स्त्री के मन की व्यथा -कथा
मर्म को स्पर्श करती हुई --
ठंडी हवा की तरह --
बहुत ही सुंदर ....!!!!!!!
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो .....
वाह !!!!मैं भी तो वही ढूंढ़ रही हूँ आपको मिले तो चाहें उसको मेरा पता या मुझको उसका पता बता देना
बहुत सुंदर रचना है...मन की गहराइयों में उतरती
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो .....
सुन्दर विरोधाभास....शुभकामनाये......
bahut hi achhi rachna...
maaf kijiyega thodi der ho gayi aane mein..
aajkal thoda wyast hoon naukri ki talaash mein...
जहां कोई अमावस का चांद न हो।
चांद वह भी अमावस का...
अंधेरे से उजाले की ओर यही एक अहसास हो सकता था शायद..
शायद.
हां... शायद।
behad khubsurat..:)
बहुत सुन्दर रचना ... आशावादी सोच ...
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो ....
बहुत बढ़िया रचना!
मन के बेहतरीन भावों से सजी एक सुंदर भावपूर्ण रचना..प्रणाम संगीत जी
बहुत सुन्दर गीत..खूबसूरत.
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'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !
umeed..aur yeh sirf umeed ..
मेरे साधारण शब्दों को अपनी चर्चा के लिये चुनने के लिये आपका धन्यवाद।"सच में" के प्रति स्नेह बनाये रखें।
बहुत ही सुन्दर और काव्यमय रचना ! ऐसा उजाला हर मन को आलोकित करे और हर मन के अन्धकार को मिटा दे आपके साथ मेरे दोनों हाथ भी इसी प्रार्थना के लिए जुड गए हैं ! एक बहुत ही प्यारी और हृदयग्राही अभिव्यक्ति !
bahut sundar bhav .
ujale sda bne rahe
nice thought...inspiring
sangeeta ji,
behad swapnil aasmaan, kaash ki aisa ujla aasmaan sabko haasil ho...
आशा किरण
चारों ओर फ़ैल कर
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो .....
sundar abhivyakti, badhai sweekaren.
भावनाओं की खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...साधुवाद.
एक उजला सा
आसमां दे दे
जहाँ कोई
अमावस का
चाँद भी ना हो
वाह !! .... बहुत सुन्दर
hamesha ki tarah yah bhi kavitaa bhavpoorn hai. badhai apko stareey lekhan k liye.
भावना की लहरें
उद्वेग में आकर
ज्वार सा
उठा देती हैं
विक्षिप्त सा बन
मन का सागर
रिश्तों के
साहिल का
विध्वंस कर देता है
.......एक अति सुंदर रचना!
hamesha ki tarah talkh haqiqat ko aapne shabd diye hai ..avismarniiy
मन के भावों की उठा पटक को बहुत सुंदर से रक्खा है आपने .....
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